संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर बिहार के लाखों किसानों और मजदूरों ने लखीमपुर खीरी किसान नरसंहार को चिन्हित करते हुए सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया
3 अक्टूबर 2023
*आज दिल्ली में जन पक्षीय और मोदी सरकार से सवाल पूछने वाले पत्रकारों के घरों पर छापेमारी उनकी गिरफ्तारी तथा उनके इलेक्ट्रोनिक उपकरणों की जप्त किया जाना किसान महासभा के राज्य सचिव उमेश सिंह ने मोदी सरकार द्वारा सीधा लोकतंत्र व अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है बताते हुए इसके खिलाफ राज्य भर में प्रतिवाद का आह्वाहन किया।
आज संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर बिहार के लाखों किसानों और मजदूरों ने लखीमपुर खीरी किसान नरसंहार को चिन्हित करते हुए सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया और जिलाधिकारी को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। दो वर्ष पहले आज ही के दिन, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र टेनी ने, लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया में, तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन से लौट रहे किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा कर उन्हें रौंद दिया था। इस “पूर्वनियोजित” हत्याकांड में पांच किसान शहीद हो गए। इसके साथ एक निर्दोष पत्रकार की भी जान चली गई।
आज इस नृशंस हत्याकांड के दो वर्ष बीत जाने के बाद भी वे शहीद किसान और उनका परिवार न्याय से वंचित है। इस नरसंहार के मुख्य आरोपी आशीष मिश्र टेनी अंतरिम जमानत पर बाहर घूम रहे हैं। वहीं, कई निर्दोष किसानों पर झूठा मुकदमा दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। किसानों की गुहार के बावजूद मोदी सरकार ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने से मना कर दिया। न ही शहीद किसानों के परिजनों को मुआवजा दिया गया।
इस परिप्रेक्ष्य में संयुक्त किसान मोर्चा और केन्द्रीय श्रमिक संगठनों ने 24 अगस्त को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित “अखिल भारतीय मजदूर किसान संयुक्त राष्ट्रीय सम्मेलन” में 3 अक्टूबर 2023 को राष्ट्रव्यापि काला दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया था। आज किसान और मज़दूर संगठनों ने एक संयुक्त कार्रवाई में देश के सभी जिला मुख्यालयों पर लखीमपुर खीरी किसान नरसंहार को चिन्हित करते हुए विरोध प्रदर्शन आयोजित किया है।
बिहार के 38 जिलों में संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय श्रमिक संगठनों के बैनर तले जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया, और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया।
पटना में संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने एक संयुक्त प्रतिरोध मार्च का आयोजन किया। यह मार्च पटना के जीपीओ गोलंबर से बुलंद नारों के साथ निकली, और जिला समाहरणालय तक गई, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका और एक सभा का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता किसान महासभा के राज्य सचिव कॉमरेड उमेश सिंह और सीटू के गणेश शंकर सिंह ने संयुक्त रूप से किया ।जिसमे कार्यक्रम में शामिल सभी किसान और मजदूर संगठन के प्रतिनिधियों ने आपनी बातें रखी ।इसके बाद किसान और मजदूर संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी से मिला और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन के जरिए लखीमपुर खीरी किसान नरसंहार से जुड़ी दो मांग राष्ट्रपति के सामने रखी गई।
1) लखीमपुर खीरी जिला के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार करके जेल भेजा जाए।
2) लखीमपुर खीरी हत्याकांड में जो निर्दोष किसान जेल में कैद हैं, उनको तुरन्त रिहा किया जाए और उनके ऊपर दर्ज फर्जी मामले तुरन्त वापस लिए जाएं। शहीद किसान परिवारों एवं घायल किसानों को मुआवजा देने का सरकार अपना वादा पूरा करे।
ज्ञापन के जरिए किसान और मजदूर संगठनों ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि यदि यह मांगे नहीं पूरी की जाती हैं, तो इस आंदोलन को और तेज किया जाएगा। मार्च में ऐटक के गज़नफ़र नवाब, अजय कुमार और हरदेव ठाकुर, सिटू के गणेश शंकर सिंह और अनुपम कुमार, एआईयूटीयूसी की अनामिका और सुमन, टीयूसीसी के अनिल शर्मा, इंटक के अखिलेश पांडेय, एआईसीसीटीयू के आरएन ठाकुर श्याम लाल प्रसाद, रामबली प्रसाद और अखिल भारतीय किसान महासभा के उमेश सिंह और राजेंद्र पटेल, कृपा नारायण सिंह , मधेश्वर शर्मा , बिहार राज्य किसान सभा (जमाल रोड) के शिव कुमार विद्यार्थी, अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान सभा के नंद किशोर सिंह, जय किसान आंदोलन के ऋषि आनंद, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के उदयन राय, ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के इंद्रदेव राय, क्रांतिकारी किसान यूनियन के वी०वी० सिंह, जल्ला किसान संघर्ष समिति के शंभू नाथ मेहता, सहित दर्जनों किसान और मजदूर नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए।
संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय श्रमिक संगठन के आह्वान पर 26-27-28 नवंबर 2023 को पटना में एक तीन दिवसीय महापड़ाव आयोजित किया जाएगा, जिसमें पूरे बिहार से हजारों की संख्या में किसान और मजदूर एकजुट होंगे और किसानों, मजदूरों और आम नागरिकों की मांगों को उठाएंगे।
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