*जातिगत गणना पर जीकेसी बिहार प्रदेश अध्यक्ष की  प्रतिक्रिया*

*जातिगत गणना पर जीकेसी बिहार प्रदेश अध्यक्ष की प्रतिक्रिया*


जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 03 अक्टूबर ::


देश की आजादी के बाद राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी राज्य ने अपने यहाँ की जातिगत गणना के आंकड़े जारी किए है। बिहार के जातिगत सर्वे के अनुसार बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ है। जातिगत आंकड़े जो सामने आए हैं उसमें कायस्थों को कम दर्शाया गया है। उक्त बातें जीकेसी (ग्लोबल कायस्थ कान्फ्रेंस) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह प्रदेश अध्यक्ष दीपक अभिषेक ने कही।


उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान गणना के आधार पर कायस्थों को बिहार में अल्पसंख्यक घोषित किया जाना चाहिए और वर्तमान में सरकार द्वारा जो सुविधाएँ अल्पसंख्यकों को दी जा रही है वह सभी सुविधाएँ कायस्थों को मिलनी चाहिए। 


दीपक अभिषेक ने कहा है कि जातिगत गणना अपने आप में पर्याप्त नहीं है। इस गणना को वास्तविक आर्थिक स्थिति को जोड़ कर देखने की आवश्यकता है। इस गणना में कायस्थों की संख्या और प्रतिशत जो दर्शाया गया है, वह वास्तविकता से पड़े प्रतीत होता है। इससे समाज में विषमता फैलना शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि आशियाना दीघा रोड स्थित अपार्टमेंट, अनिसाबाद स्थित अपार्टमेंट, नागेश्वर कॉलोनी स्थित अपार्टमेंट, विश्वशरैया भवन के पीछे पुनाईचक स्थित मकानों में जातिगत गणना नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में गणना अविश्वनीय माना जा सकता। जबकि सही अर्थों में आबादी में जो संख्या कायस्थ समाज का दर्शाया गया है वह गलत प्रतीत होता है।


दीपक अभिषेक ने कहा है कि बिहार सरकार को वर्तमान समय में नौकरियों के साथ  साथ अन्य जगहों पर  कायस्थ जाति को अलग से आरक्षण देने और सामान्य श्रेणी से हटा कर अल्पसंख्यक घोषित करने की पहल करनी चाहिए। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि कायस्थों की आबादी कम दर्शाया गया है इसे दुरुस्त करने के लिए पुनः कायस्थों की गणना करायी जाय। 

   

0 Response to " *जातिगत गणना पर जीकेसी बिहार प्रदेश अध्यक्ष की प्रतिक्रिया* "

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article