उन्नत तकनीकों और सरकारी योजनाओं से होगा किसानों का लाभ : कृषि मंत्री

उन्नत तकनीकों और सरकारी योजनाओं से होगा किसानों का लाभ : कृषि मंत्री

राष्ट्रीय किसान दिवस के शुभ अवसर पर किसानों के सम्मान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा “अनुसंधान से आत्मनिर्भरता की उड़ान – समृद्ध कृषि, सशक्त किसान” थीम पर दिनांक 23 दिसंबर 2025 को दो दिवसीय भव्य किसान मेला–2025 का शुभारंभ किया गया। इस किसान मेले का प्रमुख उद्देश्य उन्नत एवं वैज्ञानिक कृषि तकनीकों को किसानों तक पहुँचाना तथा उन्हें विकसित भारत–रोज़गार गारंटी एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 (वीबी–जी राम जी विधेयक, 2025) सहित विभिन्न कृषि कल्याणकारी योजनाओं के प्रति जागरूक करना है। मेले के उद्घाटन सत्र में माननीय केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्चुअल माध्यम से किसानों को संबोधित करते हुए आधुनिक एवं अनुसंधान आधारित कृषि तकनीकों को अपनाने का आह्वान किया।
किसान मेले के मुख्य अतिथि बिहार सरकार के माननीय कृषि मंत्री श्री राम कृपाल यादव ने वृक्षारोपण कर मेले का औपचारिक उद्घाटन किया | माननीय मंत्री जी ने कृषि प्रदर्शनियों का अवलोकन करते हुए उत्कृष्ट प्रदर्शनियों की सराहना की एवं उन्नत तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने पर जोर दिया | उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना द्वारा किये गए शोध-कार्य, जैसे धान-परती भूमि का वैज्ञानिक प्रबंधन, धान, फल, सब्जियों एवं मखाना की उन्नत किस्मों का विकास प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय हैं | साथ ही, उन्होंने बताया कि बिहार सरकार ने बिहार कृषि रोड मैप के अनुसार केन्द्रीय संस्थानों के साथ मिलकर किसानों के लिए काम किया है एवं आशवस्त किया कि किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए आगे भी कार्य करते रहेंगे | कार्यक्रम में उन्होंने “विकसित कृषि संकल्प अभियान–2025” से संबंधित एक पुस्तिका का भी विमोचन किया।
संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए किसान मेला को अनुसंधान प्रयोगशालाओं और किसानों के खेतों के बीच एक सशक्त सेतु बताया। डॉ. दास ने  संस्थान किसानों की जरूरतों के अनुरूप तकनीकों के विकास, परीक्षण और उनके प्रभावी प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि पूर्वी भारत में कृषि को अधिक टिकाऊ, लाभकारी और जलवायु-सहिष्णु बनाया जा सके। 
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ. के. एम. बुजरबरुआ, पूर्व उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान), आईसीएआर, नई दिल्ली ने कहा कि स्वाधीनता से लेकर अब तक हमारी जनसँख्या लगभग चार गुना बढ़ी है लेकिन खाद्यान्न उत्पादन में छह गुना से ज्यादा वृद्धि हुई जिसमें बिहार भूमिका महत्वपूर्ण है | डॉ. निरंजन कलिता, कुलपति, असम पशु चिकित्सा एवं मत्स्य विश्वविद्यालय, गुवाहाटी ने आईसीएआर–आरसीईआर, पटना द्वारा विकसित किसानों के लिए उपयोगी कृषि प्रौद्योगिकियों के विकास तथा उनके बिहार सरकार के सहयोग से प्रभावी प्रसार में संस्थान द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। डॉ. डी. जे. राजखोवा, पूर्व संयुक्त निदेशक, आईसीएआर–एन.ई.एच.आर., नागालैंड केंद्र ने बताया कि अनुसंधान संस्थानों द्वारा खाद्य, पोषण सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण पर अनुसंधान हो रहा है और विभिन्न तकनीकियाँ विकसित की गई हैं जिसे किसानों तक पहुँचाना जरुरी है | डॉ. अंजनी कुमार सिंह, निदेशक, अटारी, पटना ने किसानों से आह्वान किया कि वे आईसीएआर और कृषि विज्ञान केंद्र से लागातार संपर्क में रहे और इसका आय संवर्धन में इसका लाभ उठाएं | श्री डी. पी. त्रिपाठी, निदेशक, बामेती ने किसानों को आत्मा के माध्यम से जुड़कर बामेती में प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया एवं कृषि यंत्रों पर अनुदान का लाभ उठाने के बारे में भी उन्हें बताया | 
किसान मेले में पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, गया, बक्सर और जहानाबाद सहित विभिन्न जिलों से आये 815 से अधिक किसानों सहित कुल 1185 लोगों ने भाग लिया | कृषि प्रदर्शनी में विभिन्न विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, कृषि विज्ञान केन्द्रों, प्रगतिशील किसानों एवं गैर-सरकारी संगठनों द्वारा कुल 26 स्टॉल लगाए गए | इनमें उन्नत फसल किस्मों, आधुनिक कृषि तकनीकों, कृषि यंत्रों, पशुपालन एवं मत्स्य पालन से जुड़े नवाचारों का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों ने अपने कृषि से जुड़े अनुभवों को साझा किया | कृषि में उत्कृष्ट योगदान के लिए कई किसानों को सम्मानित किया गया | रामगढ़ से आये किसानों द्वार प्रस्तुत लोक नृत्य आकर्षण का मुख्य केंद्र था |
किसान मेले के दौरान आयोजित किसान–वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम में प्राकृतिक खेती, जलवायु-सहिष्णु कृषि, आलू व रबी फसलों की उन्नत उत्पादन तकनीक, दुधारू पशुओं का वैज्ञानिक प्रबंधन, बिहार में मोटे अनाजों की खेती की संभावनाएँ, मशरूम उत्पादन की समस्याओं की जानकारी दी गई। किसानों ने अपनी क्षेत्रीय समस्याओं को सीधे वैज्ञानिकों के समक्ष रखा और व्यवहारिक समाधान प्राप्त किए। 
इसके साथ ही किसानों को प्रक्षेत्र भ्रमण कराया गया, जहाँ उन्हें अनुसंधान खेतों पर विकसित उन्नत फसल किस्मों, नवीन उत्पादन तकनीकों और आधुनिक कृषि प्रबंधन पद्धतियों का प्रत्यक्ष अवलोकन कराया गया।
कार्यक्रम का समापन डॉ. उज्ज्वल कुमार, प्रभागाध्यक्ष, डी.एस.ई.ई. एवं आयोजन सचिव, आईसीएआर–आरसीईआर, पटना द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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