मानव अधिकार रक्षक संस्था ने टूटते रिश्ते को फिर से जोड़ा

मानव अधिकार रक्षक संस्था ने टूटते रिश्ते को फिर से जोड़ा

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 21 नवम्बर  :: 

परिवार समाज की सबसे मजबूत इकाई होता है, लेकिन कई बार गलतफहमियाँ, तनाव और संवादहीनता रिश्तों को टूटने की कगार पर ले जाती हैं। ऐसे कठिन समय में यदि कोई आगे बढ़कर समाधान का मार्ग दिखाए, तो न केवल दो जीवन संवर जाते हैं बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी जाता है। मानव अधिकार रक्षक संस्था ने हाल ही में ऐसा ही सराहनीय उदाहरण पेश किया है।

सासाराम, बिहार के निवासी जयप्रकाश ने संस्था से मदद की गुहार लगाई थी। उनकी पत्नी कुमकुम से मतभेद बढ़ता जा रहा था और रिश्ते में दरारें आने लगी थीं। उन्होंने उम्मीद के साथ मानव अधिकार रक्षक संस्था को आवेदन भेजा कि शायद कोई बीच का रास्ता निकल सके। आवेदन मिलते ही संस्था की संस्थापिका रीता सिन्हा ने बिना किसी देरी के इस मामले को प्राथमिकता दी और समस्या के समाधान के लिए टीम को सक्रिय किया।

मानव अधिकार रक्षक संस्था के इस विशेष अभियान में महिला टीम सदस्य नीरू और पूजा, तथा सासाराम जिला सचिव संतोष अग्रवाल शामिल हुए। टीम ने तुरंत झारखंड का रुख किया, जहाँ जयप्रकाश की पत्नी कुमकुम रह रही थीं। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं था, बल्कि रिश्ते को बचाने की दिशा में एक संवेदनशील कदम था।

झारखंड पहुँचकर टीम ने जयप्रकाश की पत्नी कुमकुम से प्रेम और समझ के साथ बातचीत की। किसी भी पक्ष को दोष देने के बजाय टीम ने दोनों के मन की बात को शांति से सुना। संवाद को प्राथमिकता देते हुए टीम ने एक ऐसा माहौल बनाया, जहाँ कुमकुम और जयप्रकाश दोनों अपने विचार खुलकर रख सकें।

लगातार समझाना, विश्वास दिलाना और धैर्यपूर्ण बातचीत के बाद आखिरकार वह क्षण आने लगा जब दोनों के बीच की गलतफहमियाँ दूर होने लगीं। भावनाओं के इस पुल को मजबूत बनाने में संस्था की संवेदनशीलता और सेवा की भावना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंततः, जयप्रकाश और कुमकुम ने एक-दूसरे का हाथ प्रेमपूर्वक थाम लिया और साथ मिलकर आगे बढ़ने का निर्णय लिया।

यह सफलता सिर्फ एक परिवार का पुनर्मिलन नहीं है, बल्कि यह संदेश भी है कि “जब समाज के लोग मानवता के साथ आगे आते हैं, तो कोई भी रिश्ता इतना टूटा नहीं होता कि उसे जोड़ा न जा सके।” मानव अधिकार रक्षक संस्था लगातार ऐसी ही पहल के लिए प्रतिबद्ध है, जहाँ संवाद, समझ और संवेदना के माध्यम से परिवारों को फिर से जोड़ा जा सके।

संस्था की संस्थापिका रीता सिन्हा, महिला सदस्य नीरू और पूजा, तथा जिला सचिव संतोष अग्रवाल ने मानवता की सच्ची सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनका यह प्रयास साबित करता है कि समाज में बदलाव केवल बड़े कार्यों से नहीं, बल्कि ऐसे छोटे-छोटे मानवीय कदमों से भी आता है, जो दिलों को जोड़ने की क्षमता रखते हैं।
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