अरुणाचल प्रदेश के तवांग में कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के सुदृढ़ीकरण हेतु राष्ट्रीय कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण का आयोजन

अरुणाचल प्रदेश के तवांग में कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के सुदृढ़ीकरण हेतु राष्ट्रीय कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण का आयोजन

“कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के सुदृढ़ीकरण द्वारा ग्रामीण सीमावर्ती किसानों में कृषि-उद्यम विकास और सतत आजीविका” विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण का सफलतापूर्वक आयोजन 12 सितम्बर, 2025 को तवांग, अरुणाचल प्रदेश में किया गया।
इस अवसर पर भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल श्री कोन्साम हिमालय सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। उन्होंने अपने उद्बोधन में “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान” के नारे की प्रासंगिकता पर बल दिया तथा किसानों और वैज्ञानिकों से सीमावर्ती किसानों की समृद्धि के लिए मिलकर कार्य करने का आह्वान किया।
यह कार्यक्रम भा.कृ.अनु.प. का पूर्वी अनुसंधान परिसर , पटना; आईसीएआ-आईवीआरआई; आईसीएआर-एनडीआरआई; तथा आईसीएआर-अटारी, क्षेत्र VI द्वारा, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (सीएयू), इम्फाल के सहयोग से संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथियों में डॉ. ए.के. सिंह, कुलपति, आरएलबीसीएयू, झांसी; डॉ. पी.एस. पांडेय, कुलपति, आरपीसीएयू, समस्तीपुर; तथा डॉ. अनुपम मिश्रा, कुलपति, सीएयू, इम्फाल शामिल थे।
तवांग जिले की उपायुक्त सुश्री नमग्याल आंगमो कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुईं और किसानों को उपस्थित विशेषज्ञों द्वारा प्रदान किए गए तकनीकी मार्गदर्शन और संसाधनों का पूरा लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया।
अन्य प्रमुख अतिथियों  में श्री अतुल जैन, अध्यक्ष, डीआरआई, नई दिल्ली; डॉ. जी. कादिरवेल, निदेशक, आईसीएआर-अटारी, क्षेत्र VI; डॉ. एल.एम. गारण्यक, निदेशक (अनुसंधान), सीएयू इम्फाल; तथा डॉ. रंजीत शर्मा, निदेशक प्रसार शिक्षा, सीएयू इम्फाल सम्मिलित थे। इसके अतिरिक्त सीएयू के विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, नाबार्ड के अधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्रों के विशेषज्ञ, एफपीओ प्रतिनिधि, जिला प्रशासनिक अधिकारी और विभिन्न आईसीएआर संस्थानों के वैज्ञानिक भी शामिल हुए। कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, सीएयू, पासीघाट ने स्थानीय आयोजक की भूमिका निभाई।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएयू, इम्फाल के कुलपति प्रो. अनुपम मिश्रा ने विभिन्न विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के संयुक्त प्रयासों की सराहना की और विशेष रूप से भा.कृ.अनु.प. का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के योगदान का उल्लेख किया। भा.कृ.अनु.प. का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के निदेशक डॉ. अनुप दास तथा प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अभय कुमार ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। 
अपने विचार रखते हुए डॉ. अनुप दास ने बताया कि इस क्षेत्र के किसान मुख्यतः लाल धान, मोटा अनाज, दलहन, टमाटर, पत्ता गोभी, पत्तेदार सब्ज़ियों की खेती तथा याक, मिथुन और मुर्गीपालन में लगे हैं। लेकिन वे जंगली सूअर के हमलों, फेंसिंग की समस्या, पशु आहार और खनिज मिश्रण की कमी, बार-बार भूस्खलन और अत्यधिक ठंड जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं। उन्होंने किसानों की क्षमता निर्माण तथा एफपीओ-आधारित तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे उनकी आजीविका सुदृढ़ हो सके और सतत कृषि विकास सुनिश्चित किया जा सके।
डॉ. अभय कुमार ने किसानों को जलवायु-सहिष्णु कृषि, समेकित कृषि प्रणालियों और आय विविधीकरण के अवसरों पर प्रकाश डाला, जिससे तवांग जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों में किसानों की सालभर आजीविका सुनिश्चित हो सके। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि तवांग क्षेत्र में मुख्य रूप से मोनपा जनजाति (अधिकांशतः बौद्ध) निवास करती है, जिनकी सांस्कृतिक धरोहर अत्यंत समृद्ध है।
कार्यशाला के दौरान भा.कृ.अनु.प. का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के उत्तर-पूर्वी पर्वतीय (एनईएच) घटक के अंतर्गत किसानों को स्प्रेयर, जैव उर्वरक, हरित खाद बीज, पशु चिकित्सा किट, जैव कीटनाशक और छोटे कृषि उपकरण दिए गए। इसके अतिरिक्त उद्यमिता विकास, क्षमता निर्माण तथा नवोन्मेषी कृषि पद्धतियों पर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें सीमावर्ती किसानों द्वारा झेली जाने वाली कठिनाइयों जैसे—कठिन जलवायु परिस्थिति, दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र, आदान की कमी और प्रशिक्षण अवसरों के अभाव आदि का समाधान प्रस्तुत किया गया। 
किसानों ने अपने पारंपरिक कृषि अनुभव भी साझा किए, जैसे—ओक वृक्ष की पत्तियों का उपयोग खाद बनाने में करना तथा बकरियों का पालन मुख्यतः खाद के लिए करना। यह इस क्षेत्र की बौद्ध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में निहित पर्यावरण-अनुकूल खेती पद्धतियों को दर्शाता है, जहाँ पशु वध से परहेज किया जाता है।
यह आयोजन वैज्ञानिकों, संस्थानों और किसानों को एक ही मंच पर लाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास रहा, जिससे अरुणाचल प्रदेश के महत्त्वपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्रों में सतत कृषि एवं आजीविका को सुदृढ़ बनाया जा सके। इस कार्यक्रम में सीमावर्ती क्षेत्र के 20 गाँवों से आए 200 से अधिक किसानों तथा देशभर से आए 50 प्रतिष्ठित विशेषज्ञों और गणमान्य व्यक्तियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का समापन एक सांस्कृतिक संध्या के साथ हुआ, जिसमें स्थानीय परंपराओं और संस्कृति की समृद्ध झलक प्रस्तुत की गई।




0 Response to "अरुणाचल प्रदेश के तवांग में कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के सुदृढ़ीकरण हेतु राष्ट्रीय कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण का आयोजन"

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article