जल जीवन हरियाली तभी तो आयेगी खुशहाली, चौर की जमीन बनेगी आजीविका का साधन।

जल जीवन हरियाली तभी तो आयेगी खुशहाली, चौर की जमीन बनेगी आजीविका का साधन।

मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना के तहत किसान मत्स्य पालन के साथ खेती, बागवानी भी कर सकेगें। 
पटना 05 अगस्त 2025
मुख्यमंत्री समेकित चौर विकास योजना के तहत किसान अब मत्स्य पालन के साथ खेती और बागवानी भी कर सकेगें। इस योजना के तहत निजी चैर की जमीन को मत्स्य पालन के साथ समेकित जल कृषि को लेकर उपयोगी बनाया जा रहा है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मत्स्य निदेशालय के द्वारा राज्य में बड़े पैमाने पर उपलब्ध निजी चौर भूमि को मत्स्य आधारित समेकित जलकृषि हेतु विकसित करना है जिससे अव्यवहृत पड़े चौर संसाधनों में मछली पालन के साथ साथ कृषि बागवानी एवं कृषि वानिकी का समेकन कर उत्पादन एवं उत्पादकता में अभिवृद्धि की जा रही है। इस योजनान्तर्गत चौर विकास हेतु लाभुक आधारित चौर विकास एवं उद्यमी आधारित चौर विकास का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
इस योजनान्तर्गत एक हेक्टेयर रकवा में दो तालाब निर्माण जिसका इकाई लागत (इनपुट सहित) रू0 8.88 लाख प्रति हे0 है। एक हेक्टेयर रकवा में चार तालाब निर्माण में इकाई लागत (इनपुट सहित) रू0 7.32 लाख प्रति हे0 है तथा एक हेक्टेयर रकवा में एक तालाब निर्माण एवं भूमि विकास में इकाई लागत (इनपुट सहित) रू0 9.69 लाख प्रति हे0 है। इस योजनान्तर्गत उत्यंत पिछड़ा वर्ग/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए 70 प्रतिशत तथा अन्य वर्ग के लिए 50 प्रतिशत अनुदान एवं उद्यमी आधारित चौर विकास के लिए 40 प्रतिशत तथा अधिकतम 05 करोड़ राशि सीमित रहेगी। एक व्यक्ति प्रति परिवार को न्यूनतम 0.1 हे0 तथा अधिकतम 05 हे0 एवं समूह में 20 हे0 (न्यूनतम 4 व्यक्ति) से अधिक भूमि के लिए उद्यमी आधारित अनुदान दिया जा रहा है। लाभुक द्वारा आवेदन के बाद विभागीय स्तर से आवेदन की जाँच कर तालाब निर्माण और आवेदन की प्रक्रिया पूरी की जायेगी। सभी इच्छुक लाभार्थी 31 अगस्त तक Fisheries.bihar.gov.in पर आवेदन कर सकते है। इस संबंध में अधिक जानकारी अधिकारिक बेवसाइट https://state.bihar.gov.in/ahd/CitizenHome.html पर अथवा जिला मत्स्य कार्यालय में संपर्क कर प्राप्त की जा सकती है।
चौर विकास योजना न केवल राज्य के मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा दे रही है बल्कि जल-जीवन-हरियाली जागरूकता अभियान के तहत पानी की गुणवत्ता भी बढ़ा रही है। इसके लिए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग सभी विभागों को तकनीकि सहायता प्रदान करने हेतु तत्पर है ताकि इस अभियान का उद्देश्य एवं प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के साथ पार्यावरण संरक्षण को पूरा किया जा सके।

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