बामेती, पटना में राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस 2025 का भव्य आयोजन।
आज दिनांक 12 जुलाई 2025 को बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान (बामेती), पटना में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार के मत्स्य प्रभाग द्वारा राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस 2025 के अवसर पर एक दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन माननीय मंत्री, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग श्रीमती रेणु देवी द्वारा किया गया, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने की। इस अवसर पर विभाग के सचिव श्री मनीष कुमार एवं डाॅ0 इन्द्रजीत सिंह, कुलपति, बिहार पषु विज्ञान विष्वविद्यालय, पटना भी उपस्थित थे। स्वागत भाषण श्री अभिषेक रंजन, निदेशक मत्स्य तथा संबोधन अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्य क्रमषः श्री ललन कुमार, श्री अजीत चैधरी, श्री अरविन्द सिंह, श्रीमती रेणु सिंह एवं श्री राजकुमार, बिहार राज्य मछुआरा आयोग के द्वारा दिया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में मत्स्य कृषक, विभागीय अधिकारी, वैज्ञानिक, नीति निर्माता और अन्य हितधारक उपस्थित थे।
गौरतलब है कि प्रतिवर्ष 10 जुलाई को पूरे भारत में राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस मनाया जाता है। यह दिवस वर्ष 1957 में उड़ीसा के अंगुल में प्रोफेसर डॉ. हीरालाल चैधरी और उनके सहयोगी डॉ. अलीकुन्ही द्वारा मेजर कार्प प्रजातियों में प्रेरित प्रजनन की ऐतिहासिक सफलता की स्मृति में मनाया जाता है। इस तकनीक को ‘हाइपोफिजेशन’ कहा जाता है, जो भारतीय मत्स्य पालन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रतीक बनी। इसी उपलब्धि की याद में प्रतिवर्ष यह दिवस मत्स्यपालकों और मछुआरों के योगदान को सम्मानित करने, जल संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देने तथा जागरूकता फैलाने हेतु मनाया जाता है। बिहार में इसे विशेष मछुआरा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
बिहार राज्य जल संसाधनों से समृद्ध है। यहां 1.25 लाख हेक्टेयर तालाब, 13,804 हेक्टेयर ऑक्स - बो लेक, 9.41 लाख हेक्टेयर आर्द्रभूमि, 56,565 हेक्टेयर जलाशय, 18,154 किलोमीटर लंबी नहरें तथा 3200 किलोमीटर लंबी नदियाँ उपलब्ध हैं, जो मात्स्यिकी विकास की असीम संभावनाएँ प्रदान करती हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य में कुल 8.73 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हुआ था, जो 2024-25 में बढ़कर 9.59 लाख मीट्रिक टन हो गया। वर्तमान में बिहार देश में आंतरिक मत्स्य उत्पादन में चैथे स्थान पर है। राज्य से 39.07 हजार टन मछली नेपाल, लुधियाना, अमृतसर, सिल्लीगुड़ी, बनारस, गोरखपुर, राँची आदि शहरों को भेजी जा रही है, जो इसके निर्यात क्षमताओं को दर्शाता है।
राज्य सरकार द्वारा मत्स्य बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र में अब तक 232 मत्स्य बीज हैचरियों की स्थापना की गई है, जिनमें से 167 हैचरियाँ क्रियाशील हैं। वर्ष 2024-25 में 2100 मिलियन मत्स्य बीज उत्पादन के लक्ष्य के विरुद्ध 2044.29 मिलियन बीजों का उत्पादन सफलतापूर्वक किया गया है। मत्स्यपालकों के कौशल विकास के लिए अब तक राज्य में कुल 62,416 मत्स्य कृषकों को विभाग द्वारा निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जिनमें से 16,999 कृषकों को प्ब्।त् संस्थानों में और 45,417 को राज्य के अंदर प्रशिक्षित किया गया है।
मत्स्य विकास को और अधिक वैज्ञानिक एवं लाभकारी बनाने हेतु बिहार सरकार द्वारा बिहार राज्य जलाशय मात्स्यिकी नीति को स्वीकृति दी गई है। इसके अंतर्गत राज्य के जलाशयों में केज एवं पेन आधारित मत्स्यपालन को प्रोत्साहन दिया जाएगा, जिससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए स्वरोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
इस अवसर पर विभाग द्वारा उत्कृष्ट कार्य कर रहे पदाधिकारियों एवं उत्कृष्ट मत्स्य कृषक को बेहतर क्रियान्वयन एवं कुशल प्रबंधन हेतु प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया। सम्मानित किए गए पदाधिकारियों में श्री प्रमोद भगत, सहायक मत्स्य निदेशक (योजना) एवं जिला मत्स्य पदाधिकारी शेखपुरा, लखीसराय, समस्तीपुर श्री आशीष कुमार, श्री रंजीत कुमार, मो० नियाजउद्दीन एवं श्री षिवप्रकाष सहनी, सिवान क्रमशः शामिल रहें। कार्यक्रम में तकनीकी सत्र, योजनाओं की प्रदर्शनी, कृषकों से संवाद और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन जैसी विविध गतिविधियाँ आयोजित की गईं। माननीय मंत्री, श्रीमती रेणु देवी ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि बिहार को देश में मत्स्य उत्पादन में शीर्ष पर लाया जाए और इसके लिए सरकार द्वारा हर आवश्यक संसाधन, तकनीकी सहयोग और प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके अलावा विभाग द्वारा संचालित मत्स्य कृषकों के लिए सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना एवं मुख्यमंत्री मछुआ कल्याण योजना का जिक्र किया एवं मत्स्य कृषकों को इसका ज्यादा-से-ज्यादा लाभ उठाने के लिए उत्साहित किया।
इस अवसर पर विभाग की अपर मुख्य सचिव, डाॅ0 एन0 विजयलक्ष्मी ने कहा कि राज्य में मत्स्य कृषक, मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। इसके साथ हीं उन्होंने कृषकों को उनके बेहतरीन कार्य के लिए षुभकामनाएँँ दी। इसके अलावा मत्स्य पालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्षन के लिए बिहार को राष्ट्रªीय-स्तर पर सम्मान मिलने के लिए निदेषक मत्स्य तथा सभी विभागीय पदाधिकारियों को शुभकामनाएँँ दी। महोदया के द्वारा बताया गया कि राज्य में मत्स्य उत्पादन का कारोबार 25 हजार करोड़ का है तथा उसको 01 लाख करोड़ करने की संभावनाओं पर जोर देने की बात कही। अंत में राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस-2025 के शुभकामनाओं के साथ अपना संबोधन समाप्त किया।
योजना के संबंध में संयुक्त मत्स्य निदेशक, श्री दिलीप कुमार सिंह के द्वारा मत्स्य कृषकों को जानकारी दिया गया, इसके अलावा समाज कल्याण विभाग के प्रतिनिधि श्रीमती रष्मि रंजन, प्रबंधक (क्षमतावर्द्धन), श्रीमती अंकिता कष्यप, पाॅष नोडल पदाधिकारी एवं श्रीमती गुंजन बिहारी, जेंडर विषेषज्ञ के द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं से उत्पीड़न के विरूद्ध प्रावधान पर चर्चा की गई। इस अवसर पर डाॅ0 एकलाकुल रहमान का संबोधन बायोफ्लाॅक/आर0ए0एस0 तकनीक से मत्स्य पालन एवं प्रबंधन के विषय पर हुआ। कार्यक्रम का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि सतत् जलकृषि, वैज्ञानिक मत्स्य पालन और जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से बिहार को मत्स्य पालन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाया जाएगा। अंत में उप मत्स्य निदेशक, श्री पवन कुमार पासवान के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया एवं संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मोना हल्दकार, मत्स्य प्रसार पदाधिकारी के द्वारा किया गया।
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