केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बिहार में अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ावा देने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत बनाने संबंधी घोषणाएं की
“राष्ट्रीय जलमार्ग – 1 पर नई ढांचागत सुविधाओं के साथ ही पटना जल परिवहन के प्रमुख गढ़ के रूप में उभर रहा है” – श्री सर्बानंद सोनावाल
* “बिहार में, दो हाइब्रिड कैटामरान जहाज, 4 स्थानों पर QPOMs, 2 RO-PAX टर्मिनल तथा 16 नई कम्युनिटी जेटी” - श्री सर्बानंद सोनावाल
* “पटना के लिए प्रस्तावित दो जहाज मरम्मत सुविधाएं और शहरी जल मेट्रो से नदी आधारित ढांचागत तंत्र बनेगा मजबूत” - - केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनावाल
* सर्बानंद सोनावाल ने बिहार में राष्ट्रीय जलमार्ग – 1 (गंगा) पर सस्टेनेबल विकास के अवसरों को टटोलने के लिए संयुक्त कार्य बल की घोषणा की
* गंडक नदी (एनडब्ल्यू37) को चालू करने के लिए भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण कराएगा अध्ययन
* अंतर्देशीय जलमार्ग सेक्टर ने माल वाहन और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए 2030 तक ₹35,000 करोड़ की परियोजनाओं की रूपरेखा तैयार की
* “47 राष्ट्रीय जलमार्गों पर 2030 तक 51 नए रिवर क्रूज़ सर्किट तैयार करने की योजना” - श्री सर्बानंद सोनावाल
पटना, 16 जून, 2025: केंद्रीय पोत, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज बिहार में अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ावा देने के लिए ढांचागत सुविधाएं विकिसत करने संबंधी प्रमुख घोषणाएं की हैं। ये घोषणाएं राष्ट्रीय जलमार्ग – 1 (गंगा नदी) पर अंतर्देशीय जलमार्ग विकास संबंधी परामर्श कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के मौके पर की गई। यह अपनी तरह की पहली कार्यशाला है।
इस परामर्श कार्यशाला की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने की, तथा गिरिराज सिंह, बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, बिहार सरकार, बिहार की परिवहन मंत्री शीला कुमार, उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, पश्चिम बंगाल सरकार में सिंचाई एवं जलमार्ग मंत्री मानस रंजन भूनिया, पटना साहिब से लोकसभा सांसद रवि शंकर प्रसाद, आरा से सांसद सुदामा प्रसाद उपस्थति थे। साथ ही, बिहार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष विजय कुमार सहित राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार के अन्य कई वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
इस मौके पर, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “आज इस परामर्श कार्यशाला के मौके पर, हम अपनी नदियों को पुनर्जीवित करने, खासतौर से राष्ट्रीय जलमार्गों को भविष्य में हमारे विकास के इंजन के तौर पर स्थापित करने का संकल्प लेते हैं, ताकि ये संसाधन केवल गुजरे अतीत की निशानियां बनकर न रह जाएं। अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) सर्वाधिक स्वच्छ, सबसे अधिक किफायती और पर्यावरण अनुकूल परिवहन साधन है।”
गंगा नदी को पुनर्जीवित करने के संदर्भ में, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनावाल ने कहा, “मैं पावन गंगा नदी के सम्मान में अपना शीश झुकाता हूं – यह शाश्वत जीवनदायिनी है, हमारी भारतभूमि पर सभ्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है। गंगा केवल नदी नहीं है, यह भारतीय उपमहाद्वीप के दिल की धड़कन भी है। और जा, हम यहां पटना शहर में एकत्र हुए हैं – ताकि विकास और बदलाव से गुजरते हुए देश के आधुनिक सफर को इस पावन नदी के साथ एकाकार करते हुए आगे बढ़ने को प्रेरित किया जा सके।”
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस मौके पर बिहार में अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ावा देने वाली कई बड़ी घोषणाएं भी कीं।
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “पटना शहर को वॉटर मेट्रो शुरू करने के लिहाज से उपयुक्त शहर के तौर पर देखा जा रहा है, और यहां कोच्चि वॉटर मेट्रो मॉडल को, भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर, पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से, दोहराया जाएगा। यह प्रस्तावित सिस्टम नदियों के दोनों किनारों को परस्पर जोड़ेगा और साथ ही, बिहार राज्य की राजधानी के लिए कुशल, तथा आधुनिक शहरी परिवहन समाधान उपलब्ध कराएगा। इसके अलावा, पटना में एक जहाज मरम्मत सुविधा भी शुरू की जाएगी जिससे अंतर्देशीय जहाज इकोसिस्टम को भी सहायता मिलेगी। यहां मरम्मत के अलावा, नए जहाजों के निर्माण की सुविधा भी तैयार की जाएगी। ये घोषणाएं गंगा नदी को सस्टेनेबल शहरी परिवहन की जीवनरेखा के तौर पर स्थापित करने और पर्यावर्रण अनुकूल, नदी-केंद्रित विकास के राष्ट्रीय प्रयासों के साथ इन्हें एकाकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।”
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बिहार सरकार, पोत, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय तथा भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के स्तर पर संयुक्त कार्य बल गठित करने भी घोषणा की है। पटना स्थित नेशनल इनलैंड नेवीगेशन इंस्टीट्यूट (NINI) का स्तर बढ़ाकर इसे सेंटर टॉफ एक्सीलेंस (सीओई) का दर्जा देने की तैयारी भी चल रही है और यहां मौजूदा सुविधाओं को उन्नत बनाने तथा नई सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नए सिरे से निवेश भी किया जाएगा। नेशनल इनलैंड नेवीगेशन इंस्टीट्यूट (NINI) देश में अंतर्देशीय जल नौगम्यता के क्षेत्र में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थान है।
राष्ट्रीय जलमार्ग (एनडब्ल्यू – 1) पर यात्रियों के आवागमन को बढ़ावा देने के लिए सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “नरेंद्र मोदी सरकार देश के अंतर्देशीय जल परिवहन को बिहार के लोगों के लिए विश्वसनीय, कुशल और पर्यावरण अनुकूल परिवहन साधन के तौर पर विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। राज्य में मौजूदा 21 जेटी के अलावा, प्रमुख जिलों में 16 नई कम्युनिटी जेटी विकसित की जा रही हैं और यहां स्थानीय किसानों, व्यापारियों तथा छोटे कारोबारियों को नदी-आधारित बाजारों से सीधे संपर्क सुविधा का लाभ मिलेगा। पटना शहर उत्तरी बिहार तथा नेपाल से जुड़े कारोबार के लिए कालूघाट टर्मिनल के लॉजिस्टिक हब के तौर पर उभर रहा है। यहां चार स्थानों पर क्विक पॉन्टून ओपनिंग मैकेनिज़्म (QPOMs), 2 RO-PAX टर्मिनल तथा दो हाइब्रिड इलैक्ट्रिक केटामेरान जहाजों की तैनाती से यात्रियों को सुगम, पर्यावरण अनुकूल और किफायती यात्रा की सुविधाएं मिलेंगी। ये प्रयास अधिक स्वच्छ, अधिक पर्यावरण अनुकूल और सस्टेनेबल अंतर्देशीय जलमार्गों से बिहार को जोड़ने की दिशा में मोदी सरकार के प्रयासों को प्रदर्शित करते हैं। ये घोषणाएं केवल नीतिगत घोषणाएं ही नहीं हैं। ये वास्तव में, हमारे इरादों को दर्शाती हैं – कि बिहार, जहां से पावन गंगा नदी गुजरती है, व्यापार, पर्यटन और नवाचार के लिए अंतर्देशीय जल-आधारित वाणिज्य सुविधाओं का प्रमुख गढ़ बनकर उभरेगा।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में 2014 से अंतर्देशीय जलमार्गों की प्रगति को रेखांकित करते हुए, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में अंतर्देशीय जलमार्गों में व्यापक बदलाव आया है। 2014 से अब तक, मालढुलाई में 700% की वृद्धि हुई है, और चालू जलमार्गों में करीब नौ गुना (800% से अधिक) बढ़ोतरी हुई है तथा निवेश में भी गई गुना (510%) वृद्धि दर्ज की गई है। यह सेक्टर मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स की दृष्टि से प्रमुख आधारस्तंभ है जो भारी तथा थोक माल ढुलाई के लिए सड़क एवं रेल परिवहन की तुलना में अधिक स्वच्छ, किफायती विकल्प हैं। नदी क्रूज़ मार्गों के तैयार होने के बाद, जिसमें 20213 के बाद से 333% की शानदार बढ़त दर्ज की गई है, हमारे राष्ट्रीय जलमार्गों की पर्यटन संभावनाओं में भी काफी बढ़ोतरी हुई है।”
जनवरी 2018 में ₹5,061.15 करोड़ की लागत से मंजूर जल मार्ग विकास प्रोजेक्ट (जेएमवीपी) के तहतद्, राष्ट्रीय जलमार्ग – 1 (हल्दिया से वाराणसी) के 1390 किलोमीटर खंड को विकसित किया जाएगा और सुगम नौगम्यता की दृष्टि से इसमें पर्याप्त गहराई और चौड़ाई का प्रावधान होगा। मई 2015 की स्थिति के अनुसार, यह परियोजना 68.86% पूरी हो चुकी है, और इस पर 2014-15 में 5.05 MMT की तुलना में 2024-25 में 16.38 MMT यानि 220% की बढ़त दर्ज की गई है। परियोजना के अंतर्गत, शून्य तरल निर्वहन, जैव-शौचालयों और गंगा नदी की डॉल्फनों की सुरक्षा के लिए पिंगर्स की व्यवस्था जैसे पर्यावरणीय प्रावधान सुनिश्चित किए गए हैं।
जल मार्ग विकास प्रोजेक्ट (जेएमवीपी) के प्रमुख घटकों में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के वाराणसी-हल्दिया खंड पर कार्गो टर्मिनलों का विकास, फेयरवे रखरखाव, और जहाजों के आवागमन के समय को कम करने की राह में पेश आने वाली अड़चनों को दूर करना शामिल है। इस प्रोजेक्ट में कम्युनिटी जेटी का निर्माण भी शामिल है जिनसे प्रतिदिन 1.22 लाख यात्रियों का आवागमन होगा और साथ ही, लॉजिस्टिक्स लागत में कमी लाने के लिए कार्गो एग्रीगेशन हब्स तैयार किए जाएंगे, तथा देरी को कम करने के लिए क्विक पॉन्टून ओपनिंग मैकेनिज़्म (QPOM) भी तैयार किया जाएगा। साथ ही, इसके अंतर्गत, जहाजों की मरम्मत, क्रूज़ टर्मिनल, और ट्रेनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर भी शामिल है जो तेजी से बढ़ रहे अंतर्देशीय जलमार्ग इकोसिस्टम को सपोर्ट करेगा।
भारत के अंतर्देशीय जलमार्ग सेक्टर में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उल्लेखनीय बदलाव देखा जा रहा है, और 2014 में जहां केवल 03 राष्ट्रीय जलमार्ग (एनडब्ल्यू) चालू थे वहीं आज 11 राज्यों में कुल 29 जलमार्गों पर परिचालन हो रहा है।
कुल 111 राष्ट्रीय जलमार्गों की घोषणा की गई है जो 23 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में हैं और इनकी कुल नौगम्य लंबाई 20,187 किलोमीटर है। इस लगातार बढ़ रहे नेटवर्क को सपोर्ट करने के लिए 124 टर्मिनलों का नेटवर्क है, जिनमें 27 स्थायी और 97 फ्लोटिंग टर्मिनल फिलहाल चालू हैं। राष्ट्रीय जलमार्गों पर माल ढुलाई वित्तीय वर्ष 2024-25 में 145.84 मिलियन टन तक जा पहुंची है, और यह 2014 से 20.89% की CAGR से बढ़ रही है। वित्तीय वर्ष25 में, इन जलमार्गों से की गई माल ढुलाई में 85% हिस्सेदारी कोयला, लौह अयस्क, कोक, रेत, राख, वाहनों, यात्रियों, चूना पत्थर, क्लिंकर, और सीमेंट की थी, जो इस बात का प्रमाण है कि थोक और भारी माल की आवाजाही के लिए जलमार्ग कितने उपयोगी हैं।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) न्यूनतम उपलब्ध गहराई (एलएडभ् का आकलन करने के लिए हर महीने 10,000 किलोमीटर का देशांतरीय सर्वे करा रहा है, और वित्तीय वर्ष 24 में 11 राज्यों की तुलना में वित्तीय वर्ष27 तक इसे 22 राज्यों तथा 4 केंद्र शासित प्रदेशों तक पहुंचाने की योजना है। इस सेक्टर के लगातार बढ़ रहे महत्व के मद्देनज़र, अगले पांच वर्षों के दौरान, पीपीपी (सार्वजिनक-निजी भागीदारी) समेत ₹35,000 मूल्य की परियोजनाओं पर काम शुरू हो जाएगा। सरकार ने भी अपने वार्षिक बजट में 48% की बढ़ोतरी की प्रतिबद्धता जतायी है, और इसे वित्तीय वर्ष में ₹1,203 करोड़ की तुलना में वित्तीय वर्ष 25 में ₹1,752 करोड़ करने की योजना है।
पोत, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई), बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और झारखंड सरकारों के वरिष्ठ अधिकारीगण भी इस परामर्श कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में उपस्थित थे।
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