जूही सिन्हा ने एक ऐसे संस्थान की स्थापना की है, जो मुख्य रूप से दृष्टिबाधित और दिव्यांग लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए समर्पित है।
कुमारी जूही सिन्हा, ब्रैली इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड ट्रेनिंग (फाउंडेशन) की संस्थापिका और सचिव, सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि उन हज़ारों जिंदगियों के लिए उम्मीद की किरण हैं, जिन्हें समाज अक्सर हाशिए पर छोड़ देता है। उनका जीवन और कार्य, सेवा, सशक्तिकरण और संवेदना का एक जीता-जागता उदाहरण है।
जूही सिन्हा ने एक ऐसे संस्थान की स्थापना की है, जो मुख्य रूप से दृष्टिबाधित और दिव्यांग लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए समर्पित है। उनका मानना है कि इन लोगों को केवल दया की नहीं, बल्कि अवसर और सम्मान की आवश्यकता है। उनके फाउंडेशन के माध्यम से, वे:
ब्लाइंड एजुकेशन (दृष्टिबाधितों की शिक्षा): दृष्टिबाधित बच्चों और वयस्कों को शिक्षित करके उन्हें आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाती हैं।
विकलांग सशक्तिकरण: विभिन्न प्रकार की विकलांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए सहायता और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाती हैं, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को शिक्षित और प्रशिक्षित कर उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाती हैं, जिससे वे अपने जीवन के निर्णय स्वयं ले सकें।
जूही सिन्हा का कार्य केवल शिक्षा और सशक्तिकरण तक ही सीमित नहीं है। वे मानवीय सेवा के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी ध्यान देती हैं:
रक्तदान: उन्होंने दिव्यांग और दृष्टिबाधित लोगों के लिए रक्तदान को बढ़ावा दिया है, जो यह दर्शाता है कि हर व्यक्ति समाज में योगदान कर सकता है, चाहे उसकी शारीरिक स्थिति कुछ भी हो। वे स्वयं भी रक्तदान को प्रोत्साहित करती हैं।
स्लम क्षेत्रों में मुफ्त शिक्षा: समाज के सबसे वंचित तबके तक पहुँचते हुए, वे स्लम क्षेत्रों में बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करती हैं, यह सुनिश्चित करती हैं कि कोई भी बच्चा गरीबी के कारण ज्ञान की रोशनी से वंचित न रहे।
जूही सिन्हा का यह प्रयास, एक सरकारी स्कूल के छात्र के रूप में उनकी अपनी शिक्षा और फिर एक सफल डॉक्टर के रूप में उनके भाई के उदाहरण से प्रेरित है। उन्होंने सरकारी तंत्र में काम करने के बावजूद, अपने निजी खर्चों से बदलाव लाने का बीड़ा उठाया। उनकी दूरदर्शिता और दृढ़ता ने एक ऐसे संगठन को जन्म दिया है जो सिर्फ मदद नहीं कर रहा, बल्कि लोगों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिला रहा है।
कुमारी जूही सिन्हा की कहानी यह साबित करती है कि एक व्यक्ति की सच्ची लगन, करुणा और निस्वार्थ सेवा की भावना समाज में कितना गहरा और सकारात्मक बदलाव ला सकती है। वे वास्तव में एक प्रेरणास्रोत हैं, जिनकी पहचान गरीबों की मुस्कान और दिव्यांगों के सशक्तिकरण से जुड़ी है।
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