अतुल्या आर्ट्स पटना ,"माल्यदान" नाटक ने दर्शकों को हंसाया भी और रुलाया भी।
पटना रवींद्र परिषद के प्रेक्षागृह मे 10 मई 2025 को अतुल्या आर्ट्स पटना की नवीनतम नाट्य प्रस्तुति "माल्यदान" का मंचन लाडली कुमारी के निर्देशन मे किया गया।
नाटक की कथा वस्तु मे लेखक एवं कविगुरु रवींद्र नाथ ठाकुर ने भारतीय संस्कृति विवाह में माला का आदान प्रदान और निश्चल मन के साथ भावना का खेल कैसे मृत्यु सैया तक ले जाता है उसे दर्शाया है।
पटल जो की डिप्टी मजिस्ट्रेट हरकुमार बाबू की पत्नी है और निसंतान है जिसे प्लेग की विभीषिका के दौरान एक बालिका मरण अवस्था में मिलती है जिसकी सेवा जतन करके पटल उसी जीवित कर देती है और अपनी बेटी की तरह रखती है । एक दिन पटल के भाई यतीन का उसके घर आना होता जो पेशे से डॉक्टर है।जिसे डिप्टी मजिस्ट्रेट हरकूमार बाबू ने प्लेग के दौरान मरीजों के इलाज और बिन्नी के स्वास्थ्य का परीक्षण करने के लिए बुलाते है , पटल हसमुख होने के कारण यतीन को बिन्नी का दूल्हा पुकारकर हास्य करती है जिससे बिन्नी के मन में यतीन के प्रति भावना जागती है और वो यतीन को सच में अपना दूल्हा मान लेती है और यतीन को विवाह के प्रस्ताव के रूप में उसे मौलश्री की माला देती जिस बात से यतीन परेशान हो जाता है और घर छोड़ कर चला जाता है इस बात से आहत हो बिन्नी भी घर छोड़ कर चली जाती और यतीन के अस्पताल में मिलती है
पटल को जब जानकारी होती है की बिन्नी उसके द्वारा किए गए हास्य को सच मान लेती है तो उसे बहुत ग्लानि होती है । परंतु नियति कौन जानता था कि यतीन के आने और पटल का यतीन और बिन्नी के साथ किया गया हास्य बिन्नी को मृत्यु सैया तक ले जाएगा , और अंततः जतिन के दिल में प्यार का एहसास होता है पटल बिन्नी को दुल्हन के रूप में तैयार करती है और बिन्नी का कभी ना कहा गया सपना कम से कम इस भौतिक दुनिया से उसके प्रस्थान से पहले सच हो जाता है और बिन्नी निमग्न स्वपन में विलीन हो जाती है
बिन्नी की मृत्यु हो जाती है ।
नाटक मे अभिनय करने वाले कलाकारो मे - सिद्धांत सेतु, पार्थों दास, राजेंद्र नरेंद्र ,श्रीपर्णा चक्रवर्ती,लाडली कुमारी , सेल्फी रायना , अरविंद कुमार , समीर आदि ने बेहतर अभिनय कर नाटक की प्रस्तुती को बेहतर बनाया।
नेपथ्य से ध्वनि नियंत्रक -श्याम
संगीत संयोजन - पंकज कुमार,
प्रकाश परिकल्पना-अमिताभ दत्ता
प्रकाश व्यवस्था - वीर कश्यप , रूप सज्जा- चंदना घोष / शशांक घोष,
वस्त्र विन्यास-श्रीपर्णा चक्रवर्ती,
मंच परिकल्पना-रवि कुमार , और वीर कश्यप
समूह अतुल्या आर्ट्स पटना।
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