एशियन वॉटरबर्ड सेंसर (AWC) इंडिया कोऑर्डिनेटर्स मीटिंग में उभरी बिहार की नेतृत्वकारी भूमिका
पटना, 10 मई 2025
एशियन वॉटरबर्ड सेंसर (AWC) इंडिया कोऑर्डिनेटर्स मीटिंग का आयोजन 10–11 मई 2025 को होटल मौर्य, पटना में वर्ल्ड माइग्रेटरी बर्ड डे के अवसर पर किया जा रहा है। इस राष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण कार्यशाला में देशभर से आए 60 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें AWC राज्य समन्वयक, वन अधिकारी, वेटलैंड विशेषज्ञ, वैज्ञानिक एवं नागरिक समाज के प्रतिनिधि शामिल हैं। इस बैठक का उद्देश्य AWC के कार्यान्वयन की समीक्षा करना तथा भारत में जलपक्षी एवं आर्द्रभूमि निगरानी के लिए एक समन्वित राष्ट्रीय कार्य योजना बनाना है।
कुल 14 राज्यों — बिहार, गोवा, कर्नाटक, झारखंड, मणिपुर, ओडिशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, उत्तराखंड, केरल, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली — ने इस बैठक में भाग लिया और अपने अनुभव साझा किए, जिनमें नवाचार, चुनौतियाँ और बेहतरीन कार्यप्रणालियाँ प्रमुख रहीं।
यह आयोजन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) और वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया (WISA) के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया गया।
स्वागत संबोधन
श्री अरविंदर सिंह, IFS, प्रधान मुख्य वन संरक्षक-सह-मुख्य वन्यजीव संरक्षक, बिहार ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए बिहार में AWC के क्रियान्वयन की जानकारी दी।
श्री प्रभात कुमार गुप्ता, IFS, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (मुख्यालय), बिहार ने अपने उद्घाटन संबोधन में राज्य में हो रहे विभिन्न पक्षी संरक्षण प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने विशेष रूप से ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क संरक्षण, भागलपुर में बर्ड रिंगिंग एंड माइग्रेशन स्टेशन की स्थापना, तथा सेंट्रल एशियन फ्लाईवे स्टेट एक्शन प्लान के निर्माण जैसी पहलों की जानकारी दी।
इस बैठक में डेटा का मानकीकरण, नागरिक विज्ञान में सहभागिता, अंतरराज्यीय समन्वय, और AWC के संस्थागत निर्माण जैसे प्राथमिक विषयों पर चर्चा की गई।
माननीय मंत्री का उद्घाटन भाषण
श्री डॉ. सुनील कुमार, माननीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री, बिहार सरकार ने अपने उद्घाटन भाषण में सभी प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया और जलपक्षी संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने AWC को एक प्रमुख वैश्विक नागरिक विज्ञान कार्यक्रम बताते हुए भारत की 1987 से जारी भूमिका को रेखांकित किया।
उन्होंने बताया कि बिहार अकेला ऐसा राज्य है, जिसने 2022 से लगातार 5 वर्षों तक राज्यव्यापी, समन्वित AWC सर्वेक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किए हैं, जिनमें प्री और पोस्ट माइग्रेशन मॉनिटरिंग भी शामिल है। उन्होंने कहा, “यह बैठक केवल उपलब्धियों की समीक्षा नहीं, बल्कि भविष्य की सामूहिक रणनीति निर्माण का मंच है।”
उन्होंने कहा, "पंखों में अगर जान हो, तो उड़ान दूर नहीं होती;
दिल में अगर अरमान हो, तो आसमान दूर नहीं होता।"
अपर मुख्य सचिव का विशेष संबोधन
श्रीमती हरजोत कौर बमरा, आईएएस, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार ने अपने विशेष संबोधन में कहा कि बिहार AWC के संस्थानीकरण के लिए नवाचार, भागीदारी और डेटा आधारित कार्यवाही को बढ़ावा दे रहा है।
उन्होंने बताया कि AWC हेतु भारत की पहली स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) का विकास बिहार द्वारा किया गया है, जो अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय मॉडल बन सकती है। इसके साथ ही उन्होंने बर्ड रिंगिंग एंड मॉनिटरिंग सिस्टम (BRMS) मोबाइल ऐप का उल्लेख किया, जो BNHS के तकनीकी सहयोग से बिहार की IT सेल द्वारा विकसित किया गया है और रीयल-टाइम डेटा संग्रह, सत्यापन एवं विश्लेषण की सुविधा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि ये उपकरण विज्ञान और नीति के बीच की दूरी को कम कर रहे हैं और जैव विविधता निगरानी में नया मानक स्थापित कर रहे हैं।
बिहार की नेतृत्वकारी भूमिका
AWC बैठक के दौरान बिहार की राज्य स्तरीय वॉटरबर्ड्स एवं वेटलैंड्स कार्य योजना पर एक विशेष समानांतर सत्र भी आयोजित किया गया। इसमें वरिष्ठ वन अधिकारी एवं AWC समन्वयकों ने जमीनी अनुभव साझा किए तथा संस्थागत प्राथमिकताओं की पहचान की। चर्चा का केंद्र यह रहा कि वैज्ञानिक मॉनिटरिंग को संरक्षण कार्यवाही और नीति निर्माण से कैसे जोड़ा जाए।
यह बैठक इस बात की पुष्टि करती है कि बिहार न केवल एक सक्रिय राज्य है, बल्कि नागरिक विज्ञान आधारित संरक्षण प्रयासों में राष्ट्रीय नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर रहा है।
0 Response to "एशियन वॉटरबर्ड सेंसर (AWC) इंडिया कोऑर्डिनेटर्स मीटिंग में उभरी बिहार की नेतृत्वकारी भूमिका"
एक टिप्पणी भेजें