माननीय उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री, बिहार ने किया भूमि संरक्षण सबंधित कार्यो की समीक्षा
*विगत पांच सालों में भी पूरा नहीं होने वाले कार्यों की समीक्षा करें पदाधिकारीः*
विजय कुमार सिन्हा।
‘ *‘खेत की मिट्टी खेत में, खेत का पानी खेत में’’ के लिए आवश्यक है भूमि संरक्षण की योजनाएँ*
*ज्यादा-से-ज्यादा किसानों को भूमि संरक्षण योजनाओं का लाभ देने का दिया गया निर्देश*
*लाभान्वितों के चयन में पारदर्शिता बरतें पदाधिकारी*
*विगत पांच वर्षों में जो कार्य पूर्ण नहीं है हुए उसकी समीक्षा किया जाय*
(दिनांक 04.04.2025)
आज माननीय उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री, बिहार श्री विजय कुमार सिन्हा द्वारा कृषि भवन, पटना स्थित अपने कार्यालय कक्ष में भूमि संरक्षण निदेशालय के द्वारा संचालित योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की गई।
माननीय उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री ने कहा कि भूमि संरक्षण निदेशालय के माध्यम से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत जलछाजन विकास घटक-2.0 के तहत 35 परियोजनाएँ चलाई जा रही है। यह एक केन्द्र प्रायोजित योजना है। इन परियोजनाओं को पाँच वर्षो में पूरा करना है। जिसके लिए 440 करोड़ रूपए स्वीकृत है। यह योजना बिहार के 18 जिलों से संबंधित 326 पंचायतों में क्रियान्वित की जा रही है।
श्री सिन्हा ने कहा कि इन योजनाओं का कार्यान्वयन पंचायतों में गठित जलछाजन समिति, जिनके अध्यक्ष स्थानीय मुखिया होते है, उनके माध्यम से त्वरित गति में कराया जाये। इन योजनाओं में मुख्य रूप से आहर एवं तालाबों का जीर्णोद्धार, साद अवरोधक बाँध, बॉल्डर चेक डैम, शुष्क बागवानी आदि के कार्य किये जाते है। उन्होंने कहा कि योजनाओं का शत्-प्रतिशत लाभ किसानों तक पहुँचाना होगा, ताकि किसानों के जीवन-स्तर में सुधार हो सके तथा फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हो सके।
उन्होंने कहा कि वर्षा जल संरक्षण जल संकट से निपटने और जल संसाधनों के सतत् उपयोग के लिए एक आवश्यक कदम है। यह न केवल सिंचाई और पेयजल की आपूर्त्ति सुनिश्चित करता है, बल्कि मिट्टी की नमी को संरक्षित रखने में भी सहायक होता है। भूमिगत जल स्तर में गिरावट आज एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसे वर्षा जल के संचयन और पुनर्भरण तकनीकों द्वारा सुधारा जा सकता है। भू-क्षरण को नियत्रिंत करने में भी वर्षा जल संचयन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि बहता हुआ जल मिट्टी की उपजाऊ परत को नष्ट कर देता है। इसके अलावा बंजर और शुष्क भूमि को कृषि योग्य बनाने में संरक्षित जल का विशेष योगदान होता है। जल संरक्षण से प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षण भी संभव होता है, जिससे पर्यावरण संतुलन बना रहता है।
उन्होंने निदेश दिया कि लाभुकों के चयन में पूर्ण पारदर्शिता बरती जाये। लाभुकों का चयन ऑनलाईन आवेदन के माध्यम से कराया जाता है। माननीय मंत्री ने निर्देश दिया कि विगत पांच वर्षों में जो कार्य पूर्ण नहीं हुए हैं, इसकी गहनता से समीक्षा पदाधिकारी कर ले । स्थानीय जन प्रतिनिधियों के साथ-साथ आमजनों के बीच भूमि संरक्षण निदेशालय द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे कार्यो की जानकारी भी उपलब्ध कराने का निदेश दिया। साथ ही, सभी भूमि संरक्षण द्वारा निर्मित विभिन्न संरचनाओं में सूचनापट्ट अंकित कराने का आदेश दिया गया।
इस अवसर पर विशेष सचिव डॉ॰ वीरेन्द्र प्रसाद यादव कृषि निदेशक श्री नितिन कुमार सिंह, निदेशक, भूमि संरक्षण श्री सुदामा महतो सहित अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
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