विश्व नृत्य दिवस’ पर ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ संदेश के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम

विश्व नृत्य दिवस’ पर ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ संदेश के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम

पटना। कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार एवं भारतीय नृत्य कला मंदिर पटना के संयुक्त तत्वावधान में विश्व नृत्य दिवस के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में कला मंदिर का प्रांगण गीत-संगीत और नृत्य से गुंजायमान हो उठा। विश्व नृत्य दिवस के अवसर पर जब पूरी दूनिया नृत्य के विविध रुपों के साथ सांस्कृतिक उत्सव मना रही है ऐसे में राज्य की एक अग्रणी नृत्य संगीत संस्थान जो पूरी तरह कला को समर्पित संस्थान है जहाँ एक ही छत के नीचे संगीत नृत्य एवं वादन की शिक्षा दी जाती है और वो है भारतीय नृत्य कला मंदिर।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के पहले उपस्थित दर्शकों द्वारा नृत्यगुरु विश्वबंधु जी के तस्वीर पर पुष्पांजली अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजली दी गई। तत्पश्चात दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत कार्यक्रम में उपस्थित प्रथम दर्शक के रुप में श्री प्रणव कुमार सचिव कला, संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार के साथ डॉ० एन विजयलक्ष्मी, अपर मुख्य सचिव पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, डॉ० एस सिद्धार्थ अपर मुख्य सचिव, मंत्रिमंडल सचिवालय और शिक्षा विभाग, श्रीमती रचना पाटिल निदेशक पुरातत्व, श्रीमती रुबी निदेशक, सांस्कृतिक कार्य, विदुषी विद्या लाल कथक नृत्यांगना श्रीमती सोमा मंडल भरतनाट्यम नृत्यांगना एवं अन्य के द्वारा की गई।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति डॉ० एन विजयलक्ष्मी तथा भारतीय नृत्य कला मंदिर, पटना के विभिन्न नृत्य विभागों के शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं द्वारा बसुधैव कुटुम्बकम् थीम को लेकर नृत्य प्रस्तुति की गई। जिसमें यह दिखाने की कोशिश की गई है कि पूरा विश्व एक परिवार है। पृथ्वी पर सभी लोग एक दूसरे से जुड़े हुए है, और वो एक साथ हैं, एक समान हैं।

भरतनाट्यम, ओडिसी, मणिपुरी, मोहिनी अटट्म, कुचीपुड़ी, कथकली, कथक और लोकनृत्य इन सभी नृत्य को समावेश करते हुए वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा पर भारत की विविध संस्कृति जो कि हमारी आत्मा है। भावना है और यही सस्कृति यही भावना भारत को सदियो से सम्पूर्ण विश्व से जोड़ने के लिए प्रेरित करती है। इस प्रस्तुति में यहां के नृत्य गुरुओं और प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। डॉ० एन विजयलक्ष्मी, सुदीपा घोष, संगीता रमण कुटट्टी, कुमार कृष्ण किशोर, इमली दास गुप्ता, मानसी बेहेरा, तारा शंकर एव प्रशिक्षु साक्षी तिवारी, तृषा, अर्चना, प्राजल, अंशु, संस्कृति, काशिका, अंशिका, भवानी, आराध्या, मीरा, अनु श्रुती, काजल कृति, जागृति, अमी, आरुषी, अदिति, सम्युक्ता, प्राची, शीतांशु, शिवांगी काशवी एवं आन्वी।

शाम की दूसरी प्रस्तुति श्रीमती सोमा मंडल, गुरु शिरोमणि, द फेस ऑफ मिथिला, नृत्य सम्मान से सम्मानित भारतनाट्यम नृत्यांगना ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत दुर्गा कृति-दुर्गे दुर्गे जय-जय दुर्गे जो राग रेवती पर आधारित है दी। ताल आदि संगीत संयोजन श्री मदुराई एन कृष्णन और नृत्य निर्देशन श्रीमती सुजाता रामालिंगम् की रही।
इनके द्वारा अगली प्रस्तुति अष्टपदी प्रिय चारुशिला पर रही। जो कि राग बसंत पर आधारित है। ताल मिश्र चापू, संगीत संयोजत महाकवि जयदेव गोस्वामी और नृत्य संयोजन आचार्या अनुसुया बनर्जी।
इसी कड़ी में अगली प्रस्तुति तिल्लाना राग धनुश्री ताल आदि पर रही।  संगीत संयोजन महाराज स्वाती तिरुनल, नृत्य निर्देशन पद्म श्री लीलासैमसन।
शाम की तीसरी प्रस्तुति लेकर मंच पर उपस्थित हुई जयपुर घराने की ख्याति प्राप्त कथक नृत्यांगना विदुषी विद्या लाल।
इन्हें उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, युवा पुरस्कार सहित कई राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। साथ हीं गिनिज वर्ल्ड रिकार्ड में 1 मिनट में 103 चक्कर का रिकार्ड भी अपने नाम दर्ज किया है।

इनकी पहली प्रस्तुति 'भो शम्भू जो एक सुन्दर एवं आध्यात्मिक गूंज से भरपूर नृत्य रचना है।" ये केवल एक कथक नृत्य नहीं है बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है, जिसमें नर्तक भगवान शिव की दिव्य ऊर्जा को जागृत करने का माध्यम बनाता है।
मूल रचना दयानन्द सरस्वती पुनः संयोजित गृरु गीतांजली लाल, नृत्य संयोजन विदुषी विद्यालाल जी की रही।

इनकी अगली प्रस्तुति देखो सखी रही। इस कथक अभिनय में भगवान कृष्ण के जीवन से प्रसंग लिया गया है। जिसमें कृष्ण और गोपियों के बीच की चंचल बातचीत को नृत्य अभिनय के द्वारा दिखाया गया ।
इसी श्रृंखला में अगली प्रस्तुति सम्पदा कथक नृत्य एकल प्रस्तुति की गई। यह पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य का एक अंश है। जो नर्तक को जयपुर घराना शैली में कथक की पारंपरिक शब्दावली पर नृत्य प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करता है। इसमें तत्कार, परन मुद्राओं को दिखाया गया है।

कार्यक्रम में पटना के प्रबुद्ध कलाकारगण, संगीत प्रेमी और भारतीय नृत्य कला मंदिर, पटना के प्रशासी पदाधिकारी सुश्री कहकशाँ शिक्षक गण कार्यालय कर्मी और छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे। मच संचालन श्रीमती सोमा चक्रवर्ती द्वारा किया गया।

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