गर्मी बढ़ी तो लोगों ने अपनाया देसी उपाय – खादी मॉल, पटना में 1 अप्रैल से 20 अप्रैल तक 12 लाख के गमछें बिकें
पटना, 22 अप्रैल, 2025। प्रदेश में बढ़ती गर्मी के बीच आम जनमानस के बीच खादी से निर्मित बहुउपयोगी हस्तनिर्मित गमछों की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है। बिहार राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा संचालित खादी मॉल, पटना में इस वित्तीय वर्षा में केवल 20 दिनों में 10,400 गमछों की रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की गई, जिससे ₹12 लाख से अधिक की बिक्री हुई है।
इस संबंध में खादी मॉल के प्रबंधक श्री रमेश चौधरी ने बताया कि गर्मी को देखते हुए खादी और खादी कॉटन गमछों की उल्लेखनीय बिक्री हो रही है। हमारे यहाँ कई रंगों और बनावटों में गमछे उपलब्ध हैं—जैसे सफेद कॉटन गमछा, बॉर्डर वाला गमछा आदि, जिनकी कीमत ₹70 से शुरू होती है।”
बिहार में गमछा का उपयोग बहुउपयोगी रूप में होता है।
गाँवों से लेकर शहरों तक, गमछा हर जगह आमतौर पर देखा जा सकता है। लोग इसे पसीना पोंछने, सिर ढकने, चेहरे को धूप से बचाने, बिछाने, थैला बनाने या तौलिया के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
गांव में तो हर कोई गमछा रखता है, अब शहर के लोग भी इसे ट्रैवल टॉवल की तरह इस्तेमाल करने लगे हैं,"
"प्रदेश के नागरिकों द्वारा स्थानीय शिल्प और स्वदेशी उत्पादों के प्रति दिखाया गया यह विश्वास सराहनीय है।
खादी मॉल आये उपभोक्ता राजीव कुमार ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि, **आज भी यह गाँवों और सड़कों पर सबसे आम दृश्य है—जहाँ पुरुष इसे सिर पर बाँधते या कंधों पर डाले चलते हैं। देश की तपती गर्मियों में, यह पसीना और गंदगी पोंछने का सबसे सुलभ और व्यावहारिक उपाय बना हुआ है।**
**महिलाएँ अपने नवजात शिशुओं को इसमें लपेटती हैं, और चावल या सूखा राशन बांधने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल आम बात है। जिनके पास कौशल है, वे तो मछली पकड़ने के लिए इसे जाल की तरह भी इस्तेमाल कर लेते हैं। इतना ही नहीं बॉलीवुड के बिहारी सितारे जब किसी कार्यक्रम में गमछा लपेटकर नज़र आते हैं, तो वह सिर्फ एक फैशन नहीं होता—वह अपने गांव, अपनी मिट्टी और अपनी पहचान को साथ लेकर चलने का संदेश होता है।**
आज की पीढ़ी भी इसे फैशन में शामिल कर रही है—कभी स्कार्फ के रूप में, तो कभी ट्रेडिशनल एक्सेसरी की तरह।
बिहार राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड इस मांग को ध्यान में रखते हुए आगामी समय में गमछे की आपूर्ति और बिक्री व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में कार्यरत है। साथ ही, स्थानीय कारीगरों और बुनकरों को प्रोत्साहित करने हेतु प्रशिक्षण, उपकरण और विपणन सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है।
0 Response to "गर्मी बढ़ी तो लोगों ने अपनाया देसी उपाय – खादी मॉल, पटना में 1 अप्रैल से 20 अप्रैल तक 12 लाख के गमछें बिकें"
एक टिप्पणी भेजें