भारतीय कला दृष्टि और आधुनिक कला" विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन
आज दिनांक 05.03.2025 को कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार एवं बिहार ललित कला अकादमी, पटना के संयुक्त सौजन्य से "कला मंगल" श्रृंखला के अंतर्गत श्री अरविन्द ओझा, कला चिंतक और समीक्षक, नई दिल्ली के द्वारा "भारतीय कला दृष्टि और आधुनिक कला" विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन कन्सर्ट हॉल, बहुद्देशीय सांस्कृतिक परिसर में किया गया है।
इस अवसर पर पद्मश्री श्याम शर्मा जी एवं श्री अशोक कुमार सिन्हा, बिहार म्यूजियम, पटना द्वारा श्री अरविन्द कुमार ओझा को पुष्प गुच्छ एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
श्री ओझा जी ने अपने वक्तव्य में कहाँ कि भारतीय कला दृष्टि और आधुनिक कला दरअसल समयबोध और सौंदर्यबोध के केन्द्रीय अवधारणा से जुड़ा प्रसंग है, जिसमें समयबोध को विस्तार देते हुए अरविन्द ओझा ने वैराग्य शतक के श्लोक का उदाहरण दिया, जिसमें भर्त्तिहरि कहते है कि समय नहीं बितता हमसब बीत जाते है। समय की अवधारणा, सौंदर्यबोध की अवधारण को विस्तार देते हुए सच्चिदानंद की दार्शनिक अवधारणा, शिव कार्तिकेय और गणेश के रूपकीय महत्व को रेखांकित करते हुए अरविन्द ओझा ने रस निर्माण और ध्वनि सिद्धांत की बात की। भारतीय कला दृष्टि जहां भाव, रस और आत्मदर्शन से जुड़ा विषय है वहीं आधुनिक कला को व्याख्यायित करते हुए उन्होंने ऐतिहासिक दृष्टि और परम्परांगत दृष्टि को चित्रित किया। पूनरजागरण काल से जो विचार यूरोप में शुरू हुआ वो किस तरह से भाववाद और अस्तिववाद की अवधारण तक यात्रा करता गया और किस तरह से वैज्ञानिक और दार्शनिक अनुसंधान के माध्यम से आधुनिक कला की संकल्पना को विकसित किया वह ज्यादा महत्वपूर्ण रहा। आधुनिक और समकालीन कला के सदर्भों और रचनात्मक दृष्टियों को बताते हुए उन्होंने अपनी जड़ो और मौलिक दृष्टियों से जुड़ने का आग्रह किया ताकि रचनात्मक दृष्टियों में मौलिकता संभव हो पाये।
इस अवसर पर कार्यक्रम के सह संयोजक श्री मनोज कुमार बच्चन, श्री बिरेन्द्र कुमार सिंह, तथा वरिष्ठ कलाकार श्री मिलन दास, श्री शैलेन्द्र कुमार, अर्चना सिन्हा, श्री जितेन्द्र मोहन, श्री जयप्रकाश, मनोज कुमार साहनी, अलका दास, साधना देवी, अनीश अंकुर, श्री देवपूजन कुमार, श्री ओमकार नाथ, श्री चन्दन कुमार, कुमारी शिल्पी रानी एवं कई वरिष्ठ कलाकार, कला समीक्षक आदि उपस्थित रहे। मंच का संचालन मनोज कुमार बच्चन ने किया।
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