लाशों के ढ़ेर लगाने और ग़ज़ा को कब्रगाह बनाने के बाद सीजफायर हास्यास्पद है ~ सैय्यद दानिश
सीजफायर समझौते के तहत आज हमास ने 4 इसराइली बंधकों को रिहा किया। बदले में इसराइल ने 200 फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को रिहा किया। रिहा किये गए इन 200 फ़िलिस्तीनियों का भविष्य कैसा होगा आप तसव्वुर कीजिये। इसराइल - ग़ज़ा युद्ध में बच्चों और महिलाओं की मौत हुई जिसपर यूनाइटेड नेशंस ने कोई कारवाई नहीं कि। आखिर यूनाइटेड नेशंस को किसलिए बनाया गया और इसको कौन संचालित कर रहा है। ट्रम्प ने आते ही यूक्रेन का हुक्का पानी बन्द कर दिया और कहा कि यूक्रेन को ताक़तवर देश रूस से नहीं लड़ना चाहिये था मतलब ट्रम्प भी समझ रहा है कि रूस से सामने से जंग नहीं कि जा सकती। ट्रम्प ने इसराइल को मदद जारी रखी है मगर क्यों? जब यूक्रेन का हुक्का पानी बन्द किया गया तो इसराइल का भी करना चाहिए था क्योंकि एक तो उसने फ़िलीस्तीन की ज़मीन पर जबरन कब्ज़ा किया और उसके बाद फ़िलिस्तीनियों को ही उनकी ज़मीन से भगाने लगा। यूनाइटेड नेशंस पूरे मामले पर ख़ामोश है। फ़िलीस्तीनी मस्जिद ए अक़्सा को बचाने के लिए शहीद हो रहे हैं। फ़िलिस्तीनी अपनी ज़मीन के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। इसराइल को ट्रम्प द्वारा मदद जारी रखना ये संकेत है कि भविष्य में जंग फिर हो सकती है। वैसे ग़ज़ा कब्रगाह बन चुका है और कई साल पीछे चला गया। इसराइल ने ग़ज़ा में सामूहिक नरसंहार किया है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। दुनियाँ में आप कहीं भी हों अगर आपके सीने में जो दिल है वो फ़िलिस्तीनियों के लिए न धड़के तो आप मोमिन नहीं। हम आप आज हर तरह के संसाधनों के बीच हैं मगर कभी सोचिए चिंतन कीजिये ग़ज़ा के हालात किस तरह के होंगे। मासूम बच्चों का भविष्य किस तरह का होगा। कितनी औरतें विधवा हो गई उनके लिए दिल मे संवेदना तो होनी ही चाहिये। दज्जालियत के इस दौर में अल्लाह से दुआ है कि ग़ज़ा के मुसलमानों पर आसानियाँ फ़रमाये और ग़ैब से उनकी मदद फ़रमाये। साथ ही मुसलमानों को इस्लाम की नीतियों और उसूलों को समझने की तौफ़ीक़ दे।
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