मदरसा डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन के बैनर तले मदरसों की विभिन्न लंबित समस्याओं के निदान हेतु एक प्रेस वार्ता आयोजित
आज दिनांक 30.12.2024 दिन सोमवार को गाँधी मैदान स्थित आई०एम०ए० हॉल के कॉन्फ्रेंस हॉल में मदरसा डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन के बैनर तले मदरसों की विभिन्न लंबित समस्याओं के निदान हेतु एक प्रेस वार्ता आयोजित
कि गयी ज्ञात हो कि इन्हीं समस्याओं पर गत 24 दिसम्बर 2024 को राज्य के सभी जिलों में जिला पदाधिकारी को ज्ञापन सौपने के बाद प्रेस वार्ता आयोजित कि गई थी। जिसमें ऑग्रेनाईजेशन के प्रदेश एवं जिला स्तर के जिम्मेदारों ने मदरसों के विभिन्न समस्याओं पर विस्तार से चर्चा किया विहार के लोकप्रिय एवं विकास पुरुष अल्पसंख्यकों के मसीहा माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से अतिशीघ्र समस्याओं का निदान करने की अपील की इस मौके पर संबोधित करते हुए टीम एम०डी०ओ० के अभिभावक अब्दुल कुदुस ने बिहार के मुख्यमंत्री महोदय श्री नीतीश कुमार के द्वारा अल्पसंख्यकों के विकास एवं विशेष कर मदरसा के लिए किये गये कामों की सराहना कि उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने मदरसा शिक्षको को सरकारी विद्यालय के नियोजित शिक्षकों के समान सुविधा उपलब्ध कराने का वादा किया था लेकिन शिक्षा विभाग के पदाधिकारीयों कि अनदेखी के कारण अब तक सुविधायें प्रदान नहीं की गयी। वार्षिक वेतन वृद्धि चिकित्सा भत्ता और आवास भत्ता इत्यादि सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए पटना उच्च न्यायालय के आदेश को भी नजर अंदाज कर दिया गया। शिक्षा विभाग के पदाधिकारी लापरवाही बरतने में फोई कसर नहीं छोड़ते है। मुख्यमंत्री के छवी को घुमील किया जा रहा है। अब्दुल कुदुस ने कहा कि मुख्यमंत्री इस विषय पर विशेष ध्यान दे ताकि इन शिक्षकों कि समस्याओं का समाधान हो सकें। मदरसा बोर्ड में लंबे समय से अध्यक्ष कि नियुक्ति नहीं की गई है। जिस कारण अल्पसंख्यकों में काफी बेचैनी पैदा हो गयी है। मदरसों में नियुक्तिया नहीं हो रही है। प्रबंधन समिति का गठन और अनुमोदन रुका हुआ है। बिहार के सभी मदरसा शिक्षक के वेतन विपत्र पर बि०ई०ओ० से प्रतिहस्ताक्षरीत करने के नाम पर शोसन किया जा रहा है।
इस मौके पर मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए महासचिव महताब आलम ने कहा कि मदरसों को अल्पसंख्यक विद्यालय का दर्जा देते हुए मदरसा शिक्षकों एवं कर्मीयों को वे सारी सुविधायें उपलब्ध कराई जाये जो विद्यालय के शिक्षक एवं कर्मीयों को प्राप्त है। उन्होंने आगे कहा कि मदरसा बोर्ड नियमावली 2022 में संसोधन के लिए मुख्यमंत्री के आदेश पर पूर्व मुख्य सचिव आमीर सुभानी कि निगरानी में मदरसा बोर्ड के अधिकारीयों और मदरसा संघ के जिम्मेदारों कि उपस्थिति में नियमावली में संसोधन करके सरकार को सौपा गया मगर अब तक वह नियमावली शिक्षा विभाग के अलमारी कि शोभा बनी हुई है। कोई काम नहीं हुआ। वही स्कूल के नियमावली में दर्जनों बार संसोधन होता रहा है। ज्ञात हो कि नियमावली में संसोधन और मदरसा बोर्ड का गठन नहीं होने से सैकड़ो की संख्या में मदरसों में पद रिक्त है। उस पर नियुक्तिया नहीं हो रही है। बच्चों के शिक्षा का नूक्सान हो रहा है। जनाब महताब आलम ने मुख्यमंत्री का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए प्रार्थना कि जितना जल्द हो सकें नियमावली 2022 में संसोधन किया जाय।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए संयोजक सफी अंसारी ने कहा कि 2459+1 व 339+2 में बाकी बचे 1646 मदरसों कि शिक्षा विभाग के आदेश पर कई बार जाँच करायी गयी। मगर बार बार जाँच के नाम पर इन मदरसों के शिक्षकों को परेशान किया जाता रहा है। अब जबकि एक बार फिर हाईकोर्ट के आदेश पर जाँच होकर शिक्षा विभाग को जाँच प्रतिवेदन उपलब्ध करा दिया गया है उसके बाद भी इन मदरसों को अनुदान के नहीं दिया जाना चिंताजनक है। सफी अंसारी ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि जितना जल्द हो सकें इन मदरसा शिक्षको को न्याय के साथ अनुदान दिया जाय साथ ही 205 और 609 कोटी के 133 शेष बचे मदरसों के शिक्षकों का वेतन भुगतान का रास्ता निकाला जाये। वेतन नहीं मिलने के कारण अधिकतर शिक्षक भुखमरी के शिकार हो रहे हैं।
वहीं इस अवसर पर संबोधित करते हुए प्रदेश प्रवक्ता मनाजेरुल इस्लाम ने कहा कि 1128 कोटी के मदरसों में बहाल हाफिज का वेतन आदेशपाल से भी कम है जो शर्मानक है। इस दिशा में मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए अनुरोध किया के आखिर चुक कहा से है क्यों इन शिक्षको के साथ सौतेलापन हो रहा है। ज्ञात हो कि इस संबंध में कई बार सरकार को एम०डी०ओ० कि ओर से ज्ञापन (मांग पत्र) भी दिया गया मगर अब तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की इन हाफिजों को मदरसों में बहाल मौलवी पद के शिक्षको के समान वेतन भुगतान कराया जाए।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए जनाब दानिस आबेदिन ने कहा कि मदरसों में विज्ञान शिक्षक के पद पर बहाल शिक्षको को गत कई माह से वेतन भुगतान नहीं हो रहा है। एक तो इनका वेतन काफी कम है जबकि सरकार के दैनिक भत्ता के अनुसार एक मजदुर कि मजदुरी 500 रु० रोजाना के अनुसार 15,000/- महीना होता है लेकिन अफसोस व हैरत के साथ कहना पड़ता कि BSC एवं MSC डिग्रीधारी साईस शिक्षक को 6000/- प्रति माह वेतन भुगतान कर सरकार इनका भद्दा मजाक उड़ा रही है। एक तो इतना कम वेतन वह भी समय पर भुगतान नहीं होना शर्मानक है। इस संबंध में दानिश आबेदिन ने मुख्यमंत्री से विशेष हस्ताक्षेप करते हुए इन शिक्षकों का समायोजन करते हुए नियमित शिक्षकों के श्रेणी में लाने का आग्रह किया है।
इस मौके पर मुबस्सिर आलम, अलताफ हुसैन, कौसर रब्बानी,मोहम्मद अजमल, रिजवानुल हक, मो० एहसानुल्लाह, खालीद सैफुल्लाह, उमर फारुक नदवी, मुफरान आलम, प्रवेजआलमम, अफताब आलम, इमरान आलम, कारी जमशेद अलम तथा अन्य सैकड़ों शिक्षकगण उपस्थित थे।
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