डॉ क़ासिम खुर्शीद ने बहरीन में भारत और बिहार का सम्मान बढ़ाया.....सैय्यद आसिफ इमाम काकवी दुबई
डॉ. क़ासिम खुर्शीद, जिनका जन्म बिहार के जहानाबाद जिले के काको में हुआ, न केवल एक प्रसिद्ध शायर हैं, बल्कि शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उनका योगदान अप्रतिम है। वे एक सच्चे विद्वान, कुशल शिक्षक, और मानवता के सच्चे सेवक हैं। उनकी शायरी, नाटक, कहानियां और आलोचनात्मक लेखन ने हिंदी और उर्दू साहित्य को न केवल समृद्ध किया है, बल्कि इसे एक नई पहचान भी दी है। डॉ. क़ासिम खुर्शीद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गृहनगर काको से पूरी की। उनकी उच्च शिक्षा पटना यूनिवर्सिटी में हुई, जहां से उन्होंने बीए ऑनर्स, एमए और पीएचडी की उपाधियां प्राप्त कीं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने तकनीकी प्रशिक्षण जैसे टीवी प्रोडक्शन और स्क्रिप्टिंग के क्षेत्र में भी महारत हासिल की। डॉ. खुर्शीद की साहित्यिक यात्रा बहुत कम उम्र में शुरू हुई। उनके पहले दो ग़ज़लें हिंदी पत्रिका ‘प्रगतिशील समाज’ में प्रकाशित हुईं, जिसके बाद उन्होंने कहानियां, नाटक और कविताएं लिखनी शुरू कीं। उनकी शायरी में गहराई, समाज की सच्चाई और मानवीय संवेदनाओं का अद्भुत समावेश होता है। उनके द्वारा प्रस्तुत अशआर उनकी रचनात्मकता और भावना को दर्शाते हैं:
“अंधेरी रात में ख़ून ए जिगर के क़तरों से,
तुम्हारी याद की शम्में जलाते रहते हैं।”
डॉ. क़ासिम खुर्शीद को हाल ही में बहरीन में आयोजित एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मुशायरे में आमंत्रित किया गया। यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों का परिणाम है, बल्कि भारत और बिहार के लिए भी गर्व का विषय है। जबकि इस मुशायरे कवि सम्मेलन में सारी दुनिया से चुने हुए मात्र 10 अत्यंत स्तरीय शायरों कवियों और कवित्रियों को आमंत्रित किया गया था जिन में पीर ज़ादा क़ासिम, अम्बरीन हसीब अरुण जेमिनी क़ासिम खुर्शीद ताहिर फ़राज़ इक़बाल अशहर नवाज़ देवबंदी मणिका दुबे हिना अब्बास और मुस्कान सैयद उल्लेखनीय हैं।बहरीन के अत्यंत भव्य होटल रामी के आलीशान हॉल में हज़ारों की संख्या में लोग आने प्रिय शायरों को सुनने आए थे। विभिन्न देशों के कवियों शायरों ने अपनी अपनी प्रतिनिधि रचनाओं से सभी को प्रभावित किया। मगर ये बिहार के लिए बेहद गौरव की बात थी कि लग भग दो दशक पश्चात पद्मश्री कलीम आजिज़ के बाद बिहार से डा क़ासिम खुर्शीद को आमंत्रण का सौभाग्य प्राप्त हुआ। डॉ अम्बरीन हसीब अंबर ने आमंत्रित किया तो अपने प्रिय शायर को सुनने के लिए उनके स्वागत में बहरीन का भव्य हाल देर तक तालियों से गूंजता रहा। डा क़ासिम खुरशीद ने अपने आमंत्रण पर आयोजकों का विशेष शुक्रिया अदा करते हुए सर सैयद एजुकेशनल क्लचरल सोसाइटी को बधाई भी दी और फिर अपनी ग़ज़लों का सफ़र प्रारंभ किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने अपनी ग़ज़लों और अंदाज़-ए-बयान से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ. क़ासिम खुर्शीद ने बिहार में शैक्षिक दूरदर्शन की शुरुआत की और सैकड़ों वृत्तचित्र व टेली फिल्मों का निर्देशन किया। एक शिक्षक और विभागाध्यक्ष के रूप में उन्होंने शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक प्रयास किए। उनकी 21 प्रकाशित पुस्तकें हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान हैं। डॉ. खुर्शीद को अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं। उन्होंने न केवल उर्दू साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि भारतीय संस्कृति को भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई। डॉ. क़ासिम खुर्शीद का जीवन और उनका कार्य युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उनकी विरासत नई पीढ़ी को साहित्य, संस्कृति और मानवीय मूल्यों से जोड़ने का माध्यम बनेगी। डॉ. क़ासिम खुर्शीद ने अपने साहित्य और शैक्षिक योगदान से यह सिद्ध किया है कि सच्ची लगन और मेहनत से कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान बना सकता है। उनकी शायरी और कार्यों ने यह संदेश दिया है कि शिक्षा और साहित्य के जरिए समाज को बेहतर बनाया जा सकता है। उनके प्रयासों के लिए बिहार और भारत सदैव ऋणी रहेगा।
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