राजनीति में मुसलमानों की भागीदारी और मौजूदा भारतीय राजनीति : डॉ0 शोएब अहमद खान
जन सुराज के राज्य कार्यवाहक सदस्य डॉ0 शोएब अहमद खान ने राजनीति में मुसलमानों की भागीदारी पर विस्तार से अपनी बातों को रखा। उन्होंने बताता की मुसलमानों को भारतीय राजनीति में पूरा भरोसा है? यह सवाल अक्सर देश के संस्थागत जीवन में आम मुसलमानों की राजनीतिक भागीदारी का आकलन करने के लिए एक गंभीर चिंता के रूप में सामने आता है। उन्होंने कहा कि ये सच है कि अन्य पार्टियों ने सिर्फ़ मुसलमानों का वोट लिया है मगर उनकी बदहाली की तरफ धयान नहीं दिया। कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद सबसे ज़्यादा सत्ता कांग्रेस के पास रही मगर इसी कांग्रेस की सत्ता में सच्चर कमिटी की रिपोर्ट आई जो मुसलमानों की बदहाली बयान करता है। एक पुराना तर्क है कि सक्रिय मुस्लिम भागीदारी हमेशा से ही हित-उन्मुख रही है, और इसलिए, राष्ट्र के प्रति उनकी देशभक्ति और वफादारी संदिग्ध है। उन्होंने अन्य राजनीतिक पार्टियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि अल्पसंख्यक शब्द इन्हीं राजनीतिक पार्टियों का दिया हुआ है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए था। लोकतंत्र में सभी वर्ग व समुदाय की बात होनी चाहिए और उनको मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयास भी होना चाहिए। अल्पसंख्यक समर्थक बुद्धिजीवियों और सार्वजनिक टिप्पणीकारों का एक वर्ग यह दावा करता है कि मुसलमान धीरे-धीरे राजनीतिक जीवन से अलग-थलग होते जा रहे हैं जो चिंता का विषय है। सीएसडीएस - लोकनीति सर्वेक्षणों, खासकर चुनावों के बाद किए गए पोस्ट-पोल अध्ययनों से पता चला है कि मोदी युग में मुस्लिम मतदान में कमी नहीं आई है। वास्तव में, 2014 (59%) की तुलना में 2019 (60%) में मुस्लिम मतदान में मामूली वृद्धि देखी गई है। हालांकि यह सच है कि इस अवधि में हिंदू मतदान (2019 में 70% से अधिक) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, लेकिन डेटा यह संकेत नहीं देता है कि मुस्लिम समुदायों ने राष्ट्रीय चुनावों को गंभीरता से लेना बंद कर दिया है। यह विधानसभा चुनावों के लिए भी सच है, जहां मुसलमानों ने राज्य चुनावों के दौरान उत्साहपूर्वक मतदान में भाग लिया। उन्होंने कहा कि हिन्दू मुस्लिम मंदिर मस्जिद की गंदी सियासत ख़त्म होनी चाहिए और मुद्दों की बात होनी चाहिए साथ ही अन्य पार्टियों को मुसलमानों को भी मुख्यधारा में लाने के लिए प्रयास करना चाहिए। देश की आज़ादी में मुसलमानों की भी भागीदारी है जिससे इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि राजनीति में अपनी भूमिका सुनिश्चित करें और बेहतरीन सियासत कर समाज व देश को उन्नति की राह पर ले जाएं।
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