बाढ़ के दीर्घकालिक समाधान के लिए बनाये जाएंगे चार नये बराज : विजय कुमार चौधरी

बाढ़ के दीर्घकालिक समाधान के लिए बनाये जाएंगे चार नये बराज : विजय कुमार चौधरी

जल संसाधन मंत्री ने विभाग और जिला प्रशासन के वरीय अधिकारियों के साथ किया किरतपुर प्रखंड में पश्चिमी कोशी तटबंध के टुटान स्थल का निरीक्षण

जल संसाधन मंत्री ने तटबंध के जिन स्थलों पर ओभर-टॉपिंग की घटना हुई, वहां तटबंधों के उच्चीकरण एवं सुदृढ़ीकरण के दिये निर्देश

कहा, इस वर्ष 56 वर्षों का सर्वाधिक जलस्राव प्राप्त होने के बाद भी विभाग की तत्परता से तबाही को काफी हद तक रोका जा सका

*दरभंगा, 7 अक्टूबर 2024.*

जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सोमवार को दरभंगा जिले के किरतपुर प्रखंड अंतर्गत तेतरी गांव के समीप पश्चिमी कोशी तटबंध के टुटान स्थल का निरीक्षण किया, स्थानीय लोगों का फीडबैक लिया और स्थल की सुरक्षा के लिए अधिकारियों को कई निर्देश दिये। उनके साथ जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल, दरभंगा के जिलाधिकारी राजीव रौशन, बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण के अभियंता प्रमुख मनोज रमण के अलावा विभाग और जिला प्रशासन के वरीय अधिकारी मौजूद थे।

जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने स्थल निरीक्षण के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा, पश्चिमी कोसी तटबंध के टुटान स्थल के कट-एंड को सुरक्षित कर लिया गया है। साथ ही तटबंध के जिन स्थलों पर ओभर-टॉपिंग हुई है, वहां तटबंधों को ऊंचा और सुदृढ़ कराने के निर्देश दिये गये हैं। 
उन्होंने कहा कि बिहार में बाढ़ के प्रभाव को निरंतर कम करना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शीर्ष प्राथमिकता है। इसके लिए पिछले वर्षों में तटबंधों के उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण और उस पर रोड बनाने सहित कई कार्य किये गये हैं। श्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि इस वर्ष के केंद्रीय बजट में पहली बार बिहार की बाढ़ के दीर्घकालिक समाधान के लिए 11,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके तहत ढेंग, तैयबपुर, अरेराज और डगमारा में बराज निर्माण की योजना बन रही है। इन चारो बराजों का निर्माण हो जाने पर बाढ़ का प्रभाव काफी कम हो जाएगा।

जल संसाधन मंत्री ने कहा कि इस वर्ष पूरे नेपाल में एक साथ भारी वर्षा हुई, जिससे नेपाल से आने वाली सभी नदियों में अत्यधिक जलस्राव प्राप्त हुआ। कोशी बराज से पिछले 56 साल का सर्वाधिक जलस्राव प्राप्त हुआ। यह एक ऐतिहासिक प्राकृतिक आपदा थी, लेकिन जल संसाधन विभाग की सतर्कता एवं तत्परता के कारण तबाही को काफी हद तक रोकने में सफलता मिली।

उन्होंने कहा कि कोशी नदी में आये अत्यधिक जलश्राव के कारण विगत 30 सितंबर को पश्चिमी कोशी तटबंध (घोघरडीहा के नीचे) के कि०मी० 33.00 एवं कि०मी० 41.00 के बीच करीब आठ किलोमीटर में पानी तटबंध के ऊपर से प्रवाहित (ओभर-टॉपिंग) हुआ, जिसके कारण पश्चिमी कोशी तटबंध कि०मी० 38.45 पर (दरभंगा जिलान्तर्गत किरतपुर प्रखंड के तेतरी गाँव के समीप) क्षतिग्रस्त हो गया था। इस समय कोशी नदी का जलश्राव उक्त टूटान स्थल से प्रवाहित होकर निकटवर्ती क्षेत्रों में जलप्लावित करते हुए गेहुआ धार (प्राकृतिक धार) के माध्यम से कमला बलान नदी के बायाँ तटबंध में बने एन्टी फ्लड स्लुईस से होकर पुनः कोशी नदी में मिल जा रही है। जल संसाधन विभाग द्वारा टुटान स्थल पर युद्धस्तर पर बाढ़ संघर्षात्मक कार्य कराकर क्षतिग्रस्त तटबंध के दोनों कट-इंड को सुरक्षित कर लिया गया है। नदी में जलस्राव में कमी आने पर टुटान को बंद किया जाएगा।

श्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि बिहार की बाढ़ के स्थाई समाधान के लिए नेपाल में हाईडैम का निर्माण जरूरी है। यह अंतरराष्ट्रीय मामला है। इसके लिए केंद्र सरकार के स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। इसके अलावा नदियों में बड़े पैमाने पर जमा हो रही गाद एक बड़ी समस्या है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इस मुद्दे को समय-समय पर विभिन्न मंचों पर उठाया गया है। गाद की समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बने, यह हम सबकी इच्छा है। राष्ट्रीय गाद नीति के सूत्रण की कार्रवाई केंद्र सरकार के द्वारा प्रक्रियाधीन है।
जल संसाधन मंत्री ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में चलाये जा रहे राहत एवं बचाव कार्यों का भी निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मानना है कि राज्य सरकार के खजाने पर आपदा पीड़ितों का पहला अधिकार है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में हर तरह की राहत पहुंचाते हुए लोगों की मुश्किलें कम करने के लिए राज्य सरकार के संबंधित विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी मुस्तैदी से काम कर रहे हैं। 

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 27 से 29 सितंबर के बीच नेपाल में भारी बारिश के बाद नेपाल से आने वाली कोशी, गंडक, बागमती, महानन्दा एवं अन्य नदियों में रिकार्ड जलश्राव प्रवाहित हुआ। कोशी बराज, वीरपुर से 29 सितंबर की सुबह 5 बजे 6.61 लाख क्यूसेक जलश्राव प्रवाहित हुआ है, जो पिछले 56 वर्षों के दौरान प्रवाहित अधिकतम जलश्राव है। इससे पश्चिमी कोशी तटबंध पर करीब आठ किलोमीटर लंबाई में ओभर-टॉपिंग की स्थिति पैदा हुई, यानी पानी तटबंध के ऊपर से प्रवाहित हुआ। इससे 30 सितंबर को पश्चिमी कोशी तटबंध किरतपुर प्रखंड के तेतरी गाँव के समीप क्षतिग्रस्त हो गया था।

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