डीएम ने की जिला समन्वय समिति की बैठक, पदाधिकारियों को जनहित के मामलों को तत्परता से हल करने का दिया निदेश

डीएम ने की जिला समन्वय समिति की बैठक, पदाधिकारियों को जनहित के मामलों को तत्परता से हल करने का दिया निदेश

योजनाओं का सफल क्रियान्वयन जिला प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता; संबंधित विभागों के पदाधिकारी आपस में समन्वय स्थापित कर इसे सुनिश्चित करेंः डीएम
------------------------------------

पटना, सोमवार, दिनांक 07 अक्टूबर, 2024ः जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह की अध्यक्षता में आज जिला समन्वय समिति की बैठक आयोजित हुई। पदाधिकारियों को आम जनता की समस्याओं का पूरी संवेदनशीलता के साथ त्वरित गति से समाधान करने का निदेश दिया। सरकार के विकासात्मक एवं लोक-कल्याणकारी योजनाओं का गुणवत्तापूर्ण तथा समयबद्ध तरीके से सफल क्रियान्वयन करने का निदेश दिया गया।

समाहरणालय स्थित सभागार में आयोजित इस बैठक में विभिन्न विभागों के जिला-स्तरीय पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, सभी विभागों के अनुमंडल-स्तरीय एवं प्रखंड-स्तरीय पदाधिकारीगण तथा अन्य भी उपस्थित थे। 

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि अधिकारीगण स्व-उतरदायित्व एवं स्व-अनुशासन की भावना से काम करें। सभी क्षेत्रीय पदाधिकारी यह सुनिश्चित करंे कि आम जनता को अपनी समस्याओं को लेकर कार्यालयों का दौर न लगाना पड़े। छोटे-छोटे कार्यों को लेकर भी लोगों को जिला मुख्यालय एवं अनुमंडल मुख्यालयों में न आना पडे़ यह क्षेत्रों में पदस्थापित अधिकारीगण सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी ने कहा कि इसके लिए हर स्तर पर पदाधिकारियों को रिस्पाँसिव होना पड़ेगा। कार्य-संस्कृति को सुदृढ़ रखना होगा। इसके लिए कार्यालयों में सभी कर्मियों तथा अधिकारियों की ससमय उपस्थिति सुनिश्चित करना अनिवार्य है।

जिलाधिकारी ने कहा कि सोमवार को पूर्वाह्न 10ः00 बजे से जिला, अनुमंडल एवं प्रखंड-स्तरीय सभी विभागों के पदाधिकारियों के साथ समन्वय समिति की बैठक आयोजित की जा रही है। इसका मूल उद्देश्य पदाधिकारियों एवं कर्मियों की कार्यालय में समय से उपस्थिति सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि यह बेहतर कार्यालय संस्कृति की पहली शर्त है। जिलाधिकारी ने कहा कि इस बैठक का उद्देश्य अतंर्विभागीय समन्वय भी सुनिश्चित करना है ताकि जनहित के कार्यों को तत्परता से क्रियान्वित किया जा सके। जो भी समस्याएं आती है उसका संबंधित विभागों के पदाधिकारी आपस में संवाद एवं समन्वय स्थापित करते हुए तेजी से समाधान करें। 

जिलाधिकारी ने कहा कि इस तरह की बैठकों का काफी महत्व है। विकास, राजस्व, कल्याण, ग्रामीण विकास, अभियंत्रण सहित सभी विभागों के अधिकारियों के बीच भूमि उपलब्धता, सीमांकन, भवन निर्माण इत्यादि के लंबित मामलों का आपसी समन्वय के द्वारा निपटारा किया जाता है। 

जिलाधिकारी ने कहा कि पदाधिकारीगण आवश्यकतानुसार अन्तर्विभागीय समन्वय स्थापित कर पूर्ण पारदर्शिता, उत्तरदायित्व एवं संवेदनशीलता के साथ कार्य करें।

इस बैठक में जिलाधिकारी द्वारा लोक शिकायत निवारण तथा लोक सेवा के अधिकार से संबंधित मामलों, माननीय न्यायालय, मानवाधिकार, लोकायुक्त से संबंधित मामलों, पंचायत सरकार भवन, सोलर स्ट्रीट लाइट, हर घर नल का जल, हर खेत को सिंचाई का पानी, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, आँगनबाड़ी केन्द्रों का भवन निर्माण, कल्याण विभाग के छात्रावासों का निर्माण सहित विभिन्न योजनाओं में प्रगति की समीक्षा की गई तथा अद्यतन स्थिति का जायजा लिया गया। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि सरकार के विकासात्मक एवं लोक-कल्याणकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन जिला प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। इसके लिए सभी पदाधिकारी सजग, तत्पर एवं प्रतिबद्ध रहें। विभिन्न विभागों के जिन-जिन कार्यों तथा योजनाओं के लिए जमीन की उपलब्धता, अनापति प्रमाण-पत्र, सीमांकन, अतिक्रमण हटाने इत्यादि का मामला लंबित है उसके लिए प्रखंड-स्तरीय विभागीय पदाधिकारी एवं संबंधित अंचल अधिकारी समन्वय स्थापित कर कार्यों में तेज़ी लायें तथा मामले का समाधान करते हुए प्रतिवेदन उपलब्ध कराएं। संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी इसका पर्यवेक्षण करेंगे तथा अपर समाहर्ता, पटना इसका अनुश्रवण करेंगे। जिलाधिकारी ने सभी पदाधिकारियों को माननीय न्यायालयों, लोकायुक्त एवं मानवाधिकार आयोग में लंबित मामलों को समय सीमा के अंदर निष्पादन करने का निदेश दिया। 

======================
लोक शिकायत निवारण एवं आरटीपीएस 
======================

जिलाधिकारी द्वारा लोक शिकायत निवारण एवं आरटीपीएस से संबंधित मामलों की समीक्षा की गयी। सभी लोक प्राधिकारों एवं अधिकारियों को आवेदनों का त्वरित निष्पादन करने का निदेश दिया गया। 

समीक्षा में पाया गया कि जिला में लोक शिकायत निवारण में विगत एक सप्ताह में 262 मामलों को निष्पादित किया गया है जबकि 233 परिवाद प्राप्त हुआ था। विगत 30 कार्य दिवस से अधिक लंबित मामलों की संख्या 469; विगत 45 कार्य दिवस से अधिक लंबित मामलों की संख्या 253 तथा विगत 60 कार्य दिवस से अधिक लंबित मामलों की संख्या 01 है। लंबित परिवादों की कुल संख्या 2,327 है। जिलाधिकारी ने सभी संबंधित पदाधिकारियों को इन लंबित मामलों को निर्धारित समय सीमा के अंदर निष्पादन करने का निदेश दिया। 
लोक शिकायत निवारण के अपील मामलों के क्रियान्वयन की समीक्षा में पाया गया कि प्रथम अपील के लिए दायर 9,551 मामलों में 9,341 मामलों को निष्पादित कर दिया गया है। 60 कार्य दिवस से कम 210 मामले तथा 60 कार्य दिवस से अधिक शून्य मामले लंबित है। द्वितीय अपील के लिए दायर 3,449 मामलों में 3,331 मामलों को निष्पादित किया गया है। 60 कार्य दिवस से कम 118 मामले तथा 60 कार्य दिवस से अधिक शून्य मामले लंबित है। 89 मामलों में लोक प्राधिकार के विरुद्ध आर्थिक दण्ड लगाया गया है जिसमें 2,40,300 रूपये की राशि दण्ड स्वरूप अध्यारोपित है। 25 मामलों में अनुशासनिक कार्रवाई हेतु अनुशंसा की गई है। जिलाधिकारी ने कहा कि जिन-जिन अधिकारियों पर दंड लगाया गया है वे अविलंब दंड की राशि जमा कर दें अन्यथा उनके वेतन से कटौती की जाएगी।

सुनवाई से लोक प्राधिकारों की अनुपस्थिति का प्रतिशत 0.49 है। विगत सप्ताह अर्थात दिनांक 27 सितम्बर से 03 अक्टूबर तक की सुनवाई से अनुमंडल लोक शिकायत निवारण कार्यालय, दानापुर से लोक प्राधिकार अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, दानापुर एक बार तथा थानाध्यक्ष, शाहपुर तीन बार अनुपस्थित थे। जिलाधिकारी ने इन सभी से कारण-पृच्छा करते हुए इनके नियंत्री पदाधिकारियों के माध्यम से स्पष्टीकरण प्राप्त करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। लोक शिकायतों की सुनवाई में लोक प्राधिकारों की हर हाल में शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित रहनी चाहिए। सुनवाई से आदतन अनुपस्थित रहने वाले लोक प्राधिकारों का वेतन स्थगित रखते हुए उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक एवं विभागीय कार्रवाई प्रारंभ की जाएगी।

============================
बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम अन्तर्गत अतिक्रमण वाद के 424 मामले निष्पादन हेतु लंबित हैं। इसमे श्रेणी-सी में अतिक्रमण के 88 मामलों में अंचल अधिकारियों से प्रतिवेदन प्राप्त होना शेष है। इसमें दो अंकों में लंबित अंचलों में दानापुर में 21, बिहटा में 21, पुनपुन में 19, तथा धनरूआ में 11 मामले निष्पादन हेतु लंबित है। बाढ़, दुल्हिनबाजार, पालीगंज, मोकामा, पंडारक, बख्तियारपुर, बेलछी, घोसवरी, मनेर, अथमलगोला, खुशरूपुर, दनियावां तथा फतुहा अंचलों में यह शून्य है। बाकी अंचलों में लंबित मामलों की संख्या सिंगल डिजिट में है। जिलाधिकारी द्वारा विशेष रूचि लेकर इसका निष्पादन करने का निदेश दिया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि श्रेणी-सी के तहत सभी अंचलों में अतिक्रमण के शून्य मामले लंबित रहना चाहिए। इस श्रेणी के तहत वैसे मामले आते हैं जिसमें अंचल अधिकारी को निर्णय लेना है कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण है या नहीं। प्रतिवेदन से स्पष्ट होता है कि 88 मामलों में निर्णय ही नहीं लिया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है। निर्णय नहीं लिया जाना खेदजनक है। सभी संबंधित अंचल अधिकारी राजस्व कर्मचारी से जाँच कराते हुए अविलंब प्रतिवेदन समर्पित करें। अगर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण पाया जाए तो अतिक्रमणवाद प्रारंभ करते हुए 90 कार्य दिवस के अंदर मुखर आदेश पारित करते हुए मामले को नियमानुसार निष्पादित करें। 
=============================
जिलाधिकारी ने अंचल अधिकारियों को निदेश दिया कि 90 दिन से अधिक से लंबित अतिक्रमण के मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निष्पादित करें।

बैठक में अंचलाधिकारियों एवं थानाध्यक्षों की संयुक्त बैठक की समीक्षा की गई। इसमें पाया गया कि 23 अंचलों में संयुक्त बैठक के कुल 10,204 कार्यवाही को अपलोड किया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि संयुक्त शनिवारीय बैठक का भूमि विवादों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निदेश दिया कि नियमित तौर पर अंचलाधिकारी एवं थानाध्यक्ष का हरएक शनिवार को संयुक्त शनिवारीय बैठक आयोजित हो। साथ ही इसे भू-समाधान पोर्टल पर भी अपलोड किया जाए। 

आरटीपीएस में प्रगति की समीक्षा की गई। इसमें कुल एक्सपायर्ड मामलों की संख्या 522 है। जिलाधिकारी ने इसे अविलंब नियमानुसार निष्पादित करने का निदेश दिया। जिन मामलों में तकनीकी समस्याओं के कारण ऑनलाइन निष्पादन प्रदर्शित नहीं हो रहा है उन मामलों में विभाग से समन्वय कर ऑनलाइन एक्सपायरी की संख्या नियमानुसार शून्य करने का निदेश दिया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि एक्सपायर्ड मामलों की संख्या हर हाल में शून्य रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आरटीपीएस अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप समय-सीमा के अंदर आवेदनों का गुणवत्तापूर्ण निष्पादन सुनिश्चित करें। आम जनता को सेवा प्रदान करने में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। 

ज़िलाधिकारी ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 तथा बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम, 2011 का सफल क्रियान्वयन सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, तत्पर एवं प्रतिबद्ध रहें। योजनाओं के क्रियान्वयन में शिथिलता, अनियमितता एवं लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जिलाधिकारी ने कहा कि आरटीपीएस के मामलों में जिन-जिन अंचलों/प्रखंडों में शिथिलता बरती जा रही है वहाँ संबंधित अपीलीय प्राधिकार अनुमंडल पदाधिकारी समीक्षा करते हुए मामलों की स्वतः सुनवाई करेंगे तथा लापरवाह अधिकारियों के विरूद्ध नियमानुसार दंड अध्यारोपित करेंगे। यही नियम लोक शिकायत निवारण के मामलों में भी लागू किया जाएगा।

जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निदेश दिया कि ‘‘जनता के दरबार में माननीय मुख्यमंत्री’’, सीपीग्राम, जिला जनता दरबार सहित विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आवेदनों को त्वरित गति से निष्पादित करें।

0 Response to "डीएम ने की जिला समन्वय समिति की बैठक, पदाधिकारियों को जनहित के मामलों को तत्परता से हल करने का दिया निदेश"

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article