*02 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का जन्म दिन हैं | - इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद*

*02 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का जन्म दिन हैं | - इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद*

पटना -  इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का जन्म दिन हैं | राष्ट्रपिता महत्मा गाँधी एक महान युगद्रष्टा और नवीन भारत के कर्णधार थे | महात्मा गाँधी को अहिंसा का पुजारी भी कहा जाता हैं | गाँधी जी का एक मन्त्र था ” अहिंसा परमो धर्म ” अथार्थ अहिंसा ही इंसान का परम धर्म हैं , हर इंसान को इसका पालन करना चाहिए. गांधीजी ने हिंसा को नकारा और अहिंसा का सहारा लिया | देश की आजादी के लिए बापू ने कई अहिंसात्मक आन्दोलन चलाये | अंग्रेजो की गुलामी के अन्धकार में डूबे भारत को रौशनी का रास्ता दिखने वाले प्यारे बापू ही थे | दांडी सत्याग्रह करने वाले प्यारे बापू ही थे,असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन चलाने वाले हमारे बापू गांधीजी ही थे | भारत में जमी अंग्रेजो की जडो को उखाड़ने वाले गांधीजी ही थे 
इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि गाँधी जयंती केवल अपने देश में ही नहीं मनाया जाता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में पूरे विश्व भर में मनाया जाता है क्योंकि वह अपने पूरे जीवनभर अहिंसा के एक पथ-प्रदर्शक थे।उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है हालाँकि वह बापू और राष्ट्रपिता तथा महात्मा गाँधी के नाम से प्रसिद्ध हैं। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। इस दिन पर, नयी दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गाँधी को उनके समाधि स्थल पर भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के द्वारा प्रार्थना, फूल, भजन आदि के द्वारा श्रद्धाजलि अर्पित की जाती है। गाँधी जयंती भारत के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में गाँधी को याद करने के लिये मनायी जाती है जिन्होंने हमेशा सभी धर्मों और समुदायों को एक नजर से सम्मान दिया। इस दिन पर पवित्र धार्मिक किताबों से दोहा और प्रार्थना पढ़ा जाता है खासतौर से उनका सबसे प्रिय भजन “रघुपति राघव राजा राम”। देश में राज्यों के राजधानियों में प्रार्थना सभाएँ रखी जाती है। जैसा कि भारत सरकार के द्वारा इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रुप में, सभी स्कूल, कॉलेज, कार्यालय आदि पूरे देश में बंद रहते हैं।  
 इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि महात्मा गाँधी एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी को प्राप्त करने में बहुत संघर्ष किया और एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के लिये आजादी प्राप्त करने के अहिंसा के अनोखे तरीके के केवल पथ-प्रदर्शक ही नहीं थे बल्कि उन्होंने दुनिया को साबित किया कि अहिंसा के पथ पर चलकर शांतिपूर्ण तरीके से भी आजादी पायी जा सकती है। वह आज भी हमारे बीच शांति और सच्चाई के प्रतीक के रुप में याद किये जाते हैं।
 इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि "अहिंसा एक विज्ञान है। विज्ञान के शब्दकोश में ‘असफलता’ का कोई स्थान नहीं।"
"देश के महान विभूति को शत शत नमन"
जय हिन्द
Gandhiji is not an immobile statue, he is a living set of ideas and values flowing through India. 
Truth and non-violence, which he lived for and was killed for are the foundation of our country. 
True  patriots must protect them.
*161वी जयंती के शुभ अवसर पर महात्मा गाधी जी को शत शत नमन! - मो0 इस्तेयाक अहमद*
पटना - इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी की जयंती है। इस बार हम ‘बापू’ की 161वीं जयंती मना रहे हैं। इस मौके पर पूरा देशभर में उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है। भारत में उनके जन्मदिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। उनका जन्म 1869 में गुजरात में हुआ था और 30 जनवरी 1948 को एक हिन्दू कट्टरपंथी ने उन्हें गोली मार दी थी। उन तीन गोलियों ने महात्मा के शरीर का तो अंत कर दिया लेकिन उनके विचार आज भी उतने ही समीचीन बने हुए हैं। नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग , बराक ओबामा और आंग सांग सू ची जैसे नेता महात्मा गांधी को अपना राजनीतिक प्रेरणास्रोत मानते हैं।
इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि मोहनदास करमचन्द गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी। जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आंदोलन के लिए प्रेरित किया। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था। जबकि सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम से जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया था। उन्होंने महात्मा गांधी को आजाद हिंद फौज के सैनिकों के लिए उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएं मांगी थीं।
इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि महात्मा गांधी शायद दुनिया के पहले ऐसे राजनेता था जिसने ‘हिंसा’ को राजनीतिक बदलाव के लिए गैर-जरूरी माना। विश्व में बढ़ते असत्य और हिंसा को देखते हुए बापू की सत्य और अहिंसा की नीति पहले से ज्यादा प्रासंगिक हो चुकी है। गांधी जयंती के मौके पर आप भी उनके इन वचनों पर चिंतन-मनन कर सकते हैं। पसंद आने पर अपने मित्र-परिचितों को उनके वचन और तस्वीरें भेज सकते हैं।
इंजीनीयर मो0 इस्तेयाक अहमद ने कहा कि–विश्व के सारे महान धर्म मानवजाति की समानता, भाईचारे और सहिष्णुता का संदेश देते हैं।

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