ट्रांसजेंडर समुदाय के सशक्तिकरण हेतु जागरूकता रथों का शुभारंभ

ट्रांसजेंडर समुदाय के सशक्तिकरण हेतु जागरूकता रथों का शुभारंभ

  ट्रांसजेंडर समुदाय के सशक्तिकरण और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आज जिलाधिकारी पटना डॉ. चंद्रशेखर सिंह द्वारा 8 जागरूकता रथों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। ये जागरूकता रथ अगले इक सप्ताह तक शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को उनके अधिकारों, सुविधाओं, और सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।
                  इस अभियान का मुख्य उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक करना है, ताकि वे अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें और जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं का पूरा लाभ उठा सकें। इन जागरूकता रथों के माध्यम से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आईडी कार्ड और प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दी जाएगी, जिससे उन्हें समाज में पहचान और समानता का अधिकार मिल सके।वर्तमान मे जिला मे 88 ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों का आईडी कार्ड और प्रमाण पत्र निर्गत किया गया है |
                इसके साथ ही, इन रथों के माध्यम से समाज के अन्य लोगों को भी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के प्रति संवेदनशील और जागरूक बनाने का प्रयास किया जाएगा। रथों के जरिए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा, जो समाज में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के प्रति भेदभाव को कम करने और उन्हें समान अधिकार दिलाने में सहायक होंगे।
जिलाधिकारी ने कहा, "यह पहल ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों को सुरक्षित करने और समाज में उन्हें समान स्थान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारा प्रयास है कि ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिक से अधिक व्यक्ति इस जागरूकता अभियान से लाभान्वित हों और अपनी पहचान को सशक्त रूप से स्थापित कर सकें।"
इस पहल के माध्यम से प्रशासन का उद्देश्य सामाजिक समरसता और समावेशिता को बढ़ावा देना है, ताकि सभी नागरिकों के बीच समानता और सम्मान का भाव विकसित किया जा सके।
जिलाधिकारी ने आज घोषणा की कि आगामी कुछ दिनों मे जिले में  जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा बाल अधिकारों और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए चरणबद्ध तरीके से समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के साथ-साथ विभिन्न महत्वपूर्ण कानूनों और अधिनियमों पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। यह अभियान यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (POCSO) अधिनियम 2012, बाल अधिकार, बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, और किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत किया जाएगा।
            इस जागरूकता अभियान का उद्देश्य जिले के सुदूर प्रखंडों और पंचायतों में बाल श्रम, बाल विवाह, बाल व्यापार, बाल दुर्व्यवहार, और बाल यौन अपराध जैसे गंभीर मुद्दों पर लोगों को जागरूक करना है। जिलाधिकारी ने बताया कि समाज के हर वर्ग तक इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी पहुँचाने के लिए प्रखंड और पंचायत स्तर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
               सहायक निदेशक ,उदय कुमार झा  ने कहा, "हमारा उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें हर प्रकार के शोषण से बचाना है। इसके लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित योजनाओं को सुदूर इलाकों तक पहुँचाने के साथ-साथ POCSO अधिनियम 2012, बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, और किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। इस अभियान से बाल मजदूरी, बाल दुर्व्यवहार और बाल यौन अपराध जैसे मुद्दों पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकेगा।"

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