*पद्म श्री पंडित हरी उप्पल की जयंती के अवसर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के द्वारा किया गया शास्त्रीय नृत्य महोत्सव का आयोजन*

*पद्म श्री पंडित हरी उप्पल की जयंती के अवसर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के द्वारा किया गया शास्त्रीय नृत्य महोत्सव का आयोजन*

 
*पद्म श्री शोवना नारायण, पद्म श्री माधवी मुद्गल , पद्म श्री नर्तकी नटराज  की प्रस्तुति से गुलज़ार हुआ भारतीय नृत्य कला मंदिर*
पटना 22 सितम्बर 2024
आज पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर में पद्म श्री पंडित हरी उप्पल की जयंती के अवसर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के द्वारा एक दिवसीय शास्त्रीय नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का उद्घाटन  माननीय उप मुख्यमंत्री, बिहार *श्री विजय कुमार सिन्हा* ने योजना एवं विकास विभाग के प्रधान सचिव *श्री सेंथिल कुमार* , खाद्य, आपूर्ति एंव उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव *श्री एन श्रवण कुमार* , कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव *श्री दयानिधान पांडेय,* *श्री राहुल कुमार,* निदेशक (संग्रहालय एवं पुरातत्व निदेशालय), सांस्कृतिक कार्य निदेशालय *श्रीमती रूबी* एवं अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में दीप प्रज्ज्वलित कर किया । 
कार्यक्रम की शुरुआत में गणमान्य अतिथियों के द्वारा भारतीय नृत्य कला मंदिर पटना के संस्थापक पद्म श्री पंडित हरी उप्पल की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित किया गया ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि माननीय उप मुख्यमंत्री, बिहार *श्री विजय कुमार सिन्हा* ने  कहा कि पद्म *श्री  पंडित हरि उप्पल* केवल एक नाम नहीं बल्कि अपने आप में कला की विभिन्न विधाओं  को समेटे हुए एक मिसाल थे, जिन्होंने बिहार की कला जगत को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया ।  आज हम सब जिस सभागार में उपस्थित हैं उसकी स्थापना पद्म श्री हरी उप्पल के द्वारा की गई थी । श्री उप्पल, इसके संस्थापक और पहले निदेशक थे । 1958 में यह भवन बन कर तैयार हुआ, जिसका उद्घाटन बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री कृष्ण सिंह के द्वारा किया गया था । 
भारतीय नृत्य कला मंदिर में  राज्य की कला, संस्कृति, शास्त्रीय एवं लोक नृत्य परंपराओं एवं भारत के महत्वपूर्ण  शास्त्रीय नृत्यों जैसे  भरतनाट्यम, कथक और ओडिसी एवं शास्त्रीय गायन, विभिन्न वाद्ययंत्रों के वादन, लोकगीत एवं लोक नृत्य का अलग-अलग विधाओं के विशेषज्ञों  के द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है । कला संस्कृति एवं युवा विभाग हर साल  पंडित हरि उप्पल जी की स्मृति में शास्त्रीय संगीत की अलग- अलग विधाओं का आयोजन करता है, जिसमें देश के दिग्गज कलाकार भाग लेते हैं । विभाग आने वाले दिनों में इसे और भी वृहत और व्यापक स्तर पर मनायेगा  ।
कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सचिव *श्री दयानिधान पांडेय* ने कहा कि कला, संस्कृति संगीत हम सब के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण आयामों में से एक है । माननीय उपमुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हमारा विभाग लगातार कला संस्कृति को बढ़ावा देने के क्षेत्र में अग्रसर है । चाहे वह नए कलाकारों को मंच उपलब्ध कराने का हो , उनको प्रोत्साहन देने की बात हो विभाग लगातार इस कार्य में सक्रिय रहता है । हम लोगों ने अभी पिछले महीने राज्य में फिल्मों के प्रोत्साहन के लिए प्रोत्साहन नीति का शुभारंभ किया है जिसे राज्य के अंदर जो भी फिल्म बनाएंगे उनको प्रोत्साहन दिया जाएगा । इसके साथ ही हम लोग यह भी प्रयास कर रहे हैं कि जैसे नई दिल्ली में नेशनल स्कूल आफ ड्रामा है,  इस तरह से हम लोग बिहार के प्रतिभाओं को मौका देने के लिए , उनके अध्ययन के लिए बिहार स्कूल आफ ड्रामा की स्थापना करें इस विषय में काफी कुछ तैयारी की गई है । 
कार्यक्रम की शुरुआत प *द्म श्री नर्तकी नटराज*  एवं दल द्वारा भरतनाट्यम  नृत्य की प्रस्तुति से हुई । शुरुआत उन्होंने गणपति वंदना से की उसके बाद उन्होंने “ *ओ शिव शम्भू शिव* स्तुति की प्रस्तुति दी । उसके बाद उन्होंने पर आधारित शुभ्रम्नायम भारती द्वारा रचित राग मल्लिका पर  अभिनय प्रधान  “ *चिन-चिर किल्ले”* काव्य प्रस्तुति दी । कार्यक्रम का समापन उन्होंने *मंगलम यानि मंगल कामना* से की ।
 इसके बाद *पद्म श्री शोवना नारायण* एवं दल द्वारा कत्थक नृत्य की प्रस्तुति भगवान विष्णु की वंदना से की । इसके पश्चात उन्होंने कत्थक की मनमोहक प्रतुतियों से दर्शोको को मंत्र मुग्ध कर दिया । इसके बाद उन्होंने “ *गोबिंद बोलो हरी गोपाल बोलो पर गता भाव*  की प्रस्तुति दी । यह एकल अभिनय के समान होता है । इसके बाद उन्होंने भोजपुरी में “ *सखी री कईसन बदला जीवनवा रे* पर भाव की प्रस्तुति की ।
कार्यक्रम के अंत में  *पद्म श्री माधवी मुद्गल* एवं दल द्वारा ओडिशी  नृत्य की प्रस्तुति की गई जिसमें सबसे पहले “ जग्नागर *जगरनाथ अष्टकम मंगलाचरण* की प्रस्तुती दी । उसके बाद उनकी शिष्य *सुश्री शालाखा रॉय* द्वारा नटराज नृत्य की प्रतुती की गई । तत्पश्चात  *पद्म श्री माधवी मुद्गल*  द्वारा उड़िया गीत पर अभिनय की प्रस्तुति की गई जिसके  बोल “ *प्राण संगिनी रे”* थी । कार्यक्रम का समापन *“ शंकर वर्णंम “* से की गई । कार्यक्रम के दौरान सभी कलाकारों को प्रतिक चिह्न और अंगवस्त्र भेट कर किया गया । निदेशक सांस्कृतिक कार्य निदेशालय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग *श्रीमती रूबी* के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। कार्यक्रम का मंच संचालन *श्रीमती सोमा चक्रवर्ती* के द्वारा किया गया।

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