डीएम द्वारा लोक शिकायत एवं सेवा शिकायत के 29 मामलों की सुनवाई की गई

डीएम द्वारा लोक शिकायत एवं सेवा शिकायत के 29 मामलों की सुनवाई की गई

कार्यों में लापरवाही तथा लोक शिकायत निवारण में अरूचि एवं संवेदनहीनता के आरोप में तीन लोक प्राधिकारों से स्पष्टीकरण किया गया
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बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता; सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहेंः डीएम
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पटना, शुक्रवार, दिनांक 30 अगस्त, 2024ः जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में तथा बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 के तहत प्रथम अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। लोक शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में तीन लोक प्राधिकारों से स्पष्टीकरण किया गया। 
  
डीएम डॉ. सिंह द्वारा आज लोक शिकायत एवं सेवा शिकायत के कुल 29 मामलों की सुनवाई की गई। 19 मामलों का ऑन द स्पॉट निवारण किया गया तथा 10 मामलों में अंतरिम आदेश पारित किया गया। कार्यों में लापरवाही तथा जनहित के मामलों में संवेदनहीनता के आरोप में तीन लोक प्राधिकारों-भूमि सुधार उप समाहर्ता, पटना सदर; अंचल अधिकारी, पटना सदर तथा अंचल अधिकारी, बिहटा-से स्पष्टीकरण किया गया। 
दरअसल अपीलार्थी निहारिका, पता- पाटलिपुत्रा कॉलोनी, कुर्जी, अंचल-पटना सदर, अनुमंडल-पटना सदऱ, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत दाखिल-खारिज नहीं होने के संबंध में है। परिवादी का कहना था कि सदर अंचल कार्यालय द्वारा दाखिल-खारिज से संबंधित उनका मामला गलत ढ़ंग से अस्वीकृत किया गया है। जिलाधिकारी ने समीक्षा में पाया कि लोक प्राधिकारों भूमि सुधार उप समाहर्ता, पटना सदर तथा अंचल अधिकारी, पटना सदर द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है। उनका प्रतिवेदन भी असंतोषजनक है। जिलाधिकारी द्वारा पूर्व के आदेश में भूमि उप समाहर्ता, पटना सदर को निदेशित किया गया था कि वे अपीलार्थी की शिकायत के संबंध में उनके पक्ष को सुनकर तथा मामले की विस्तृत रूप से जाँच कर आवश्यक कार्रवाई करेंगे। लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, पटना सदर को भी नियमानुसार कार्रवाई करते हुए शिकायत का समाधान करने का निदेश दिया गया था। परन्तु दोनों अधिकारियों द्वारा इस आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, पटना सदर के समक्ष दिनांक 14.12.2023 को ही परिवाद दायर किया गया था। आठ महीना से अधिक की अवधि में भी दोनों पदाधिकारियों द्वारा परिवाद के निवारण हेतु कोई सकारात्मक, सार्थक एवं ईमानदार प्रयास नहीं किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि अधिकारियों का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। लोक प्राधिकारों की इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का इतने दिनों में भी समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। आदेश का अनुपालन नहीं करने तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी द्वारा दोनों लोक प्राधिकारों भूमि सुधार उप समाहर्ता, पटना सदर तथा अंचल अधिकारी, पटना सदर से कारण-पृच्छा की गई। साथ ही अंचल अधिकारी, पटना सदर को निदेश दिया गया कि ऑनलाईन जमाबंदी प्रविष्टि कर दाखिल-खारिज हेतु प्रस्ताव सुओ मोटु भूमि सुधार उप समाहर्ता, पटना सदर के पास भेजें। भूमि सुधार उप समाहर्ता, पटना सदर को निदेशित किया गया कि अंचल अधिकारी द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर नियमानुसार अग्रेतर कार्रवाई करेंगे। दोनों पदाधिकारियों को परिवादी के शिकायत का विधि-सम्मत निवारण करते हुए स्पष्ट प्रतिवेदन के साथ सुनवाई की अगली तिथि 13.09.2024 को उपस्थित रहने का निदेश दिया गया। 
एक अन्य मामले में परिवादी श्रीमती राधिका देवी, ग्राम-खेदलपुरा, अंचल-बिहटा, अनुमंडल-दानापुर, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत भूमि बंदोबस्ती करते हुए राजस्व रसीद निर्गत करने के संबंध में है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, बिहटा द्वारा इस मामले में कोई सार्थक एवं सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है। उनका प्रतिवेदन भी असंतोषजनक तथा भ्रामक है। आज की सुनवाई में भी वे बिना किसी तैयारी के उपस्थित थे। अपीलार्थी महादलित समुदाय एवं भूमिहीन परिवार से हैं। जिलाधिकारी द्वारा अंचल अधिकारी, बिहटा को पूर्व में निदेश दिया गया था कि वे परिवादी के शिकायत का नियमानुसार निवारण करेंगे परन्तु अंचल अधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। बल्कि उन्होंने कार्यालय प्रक्रिया को और जटिल बना दिया। पिछले 1 वर्ष से अधिक समय से परिवादी एक  कार्यालय से दूसरे कार्यालय दौड़ रहीं हैं। अंचल अधिकारी की कार्यशैली के कारण परिवादी की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी अधिकारी का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। जिलाधिकारी द्वारा इन आरोपों के कारण लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, बिहटा से स्पष्टीकरण किया गया। साथ ही सुनवाई की अगली तिथि 18 अक्टूबर को परिवादी की शिकायत का नियमानुसार निवारण करते हुए स्पष्ट प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहने का निदेश दिया गया। 

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों एवं सेवा शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।


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