नारी शिक्षा और पारिवारिक दायित्वबोध विषय पर एकदिवसीय संगोष्ठी
परिवार, समाज तथा विश्व के कल्याण के लिए यह महत्वपूर्ण है कि नारी की प्रयाप्त एवं समुचित शिक्षा की व्यवस्था हो ताकि वह परिवार, समाज व राष्ट्र के प्रति सम्मानपूर्ण स्थान पा सके प्रतिभावान गुणवान, सर्वगुण सम्पन्न भारतीय नारी चेतना समाज की सामूहिक चेतना में सहभाग करती है, वह उन्मुक्त नहीं है, उसमें दायित्व बोध है। सह अस्तित्व, समन्वय और सामंजस्य की भूमि पर इरानी स्वत्व के संरक्षण की पुख्ता भूमि अर्जित की जा सकती है, महिलाओं के बीच इसी विश्वास को बढ़ाने की जरुरत है।
उक्त बातें आज आश्रय अभियान संस्था दवारा (स्थानीय आई० एम० ए० हॉल, पटना में) "नारी शिक्षा श्रय अभियान सदायित्व बोध" विषय पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए संस्था के निर्देशिका सह सचिव डॉरोथी फर्नांडीस ने कही है।
आगे फर्नाडीस ने कही परिवार संस्था का आरम्भ नारी के गृह प्रवेश के साथ होता है। एकाकी पुरुष दफ्तर में काम करके और सराय में सोकर भी गुजर कर सकता है, पर घोसला बनाने और अण्डे बच्चों को संभालने की काम नारी ही कर सकती है। नारी के प्रवेश से ही टूटे पुराने घर- झोपड़ी हास उल्लास से भर जाते है । डॉरोथी फर्नांडीस ने कही नारी घर का आरम्भ ही नहीं करती, वरन उसका विस्तार पोषण और विकास भी वही करती है परिवार को सुसंस्कृत, परिष्कृत और सुन्नत बनाने का ईश्वर प्रदत उत्तरदायित्व भी वही संभाले इस भावनात्मक ढांचा को भली भांति पूरा कर सकने के लिए नारी को ही सर्वथा उपयुक्त बताया गया है।
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