विश्व प्राणिरूजा दिवस पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन
आज दिनांक 06 जुलाई, 2024 को विश्व प्राणिरूजा दिवस के अवसर पर पशुजन्य रोगों
से संबंधित जागरूकता अभियान के तहत पशुपालन निदेशालय द्वारा पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान,
बिहार, पटना के सभागार में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता
सह मुख्य अतिथि, डा० एन० विजयलक्ष्मी, प्रधान सचिव, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार रहीं।
इस अवसर पर प्रधान सचिव महोदया के द्वारा बताया गया कि विश्व प्राणिरूजा दिवस 2024 का थीम
Preventing the spread of Zoonotic Diesease है। विश्व प्राणिरूजा दिवस फांसीसी जीव विज्ञानी
लुईस पास्चर द्वारा रेबीज के खिलाफ एक टीके के सफल प्रयोग की याद में एवं जूनोटिक रोगों के
जोखिम और उनके रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। साफ शब्दों में कहें
तो पशुओं से मनुष्यों में और मनुष्यों से पशुओं में फैलने वाले रोग इस श्रेणी में आते है। मनुष्य से पशु
में जब रोग फैलता है तो उसे रिवर्स जूनोसिस कहते हैं। इस अवसर पर आज जागरूकता हेतु
कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें जिलों से आए पशुपालकगण भाग ले रहे हैं। इस
अवसर पर प्रधान सचिव महोदया के द्वारा बताया गया कि इस जूनोसिस दिवस को सिर्फ एक दिन ही
मानकर भूलना नहीं चाहिए, बल्कि रोजमर्रा की जिन्दगी में उतारा जाए। महोदया द्वारा निदेश दिया
गया कि इस कार्यक्रम को प्रत्येक जिला और प्रखंडों में आयोजित किये जाने की आवश्यकता है। जरूरी
नहीं है कि इसी तिथि को जूनोसिस को याद किया जाए, बल्कि पशुपालकों और आम जनता को भी
इसके प्रति जागरूक करने के लिए निरन्तर कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए। प्रधान सचिव महोदया द्वारा
One World, One Health की बात करते हुए बताया गया कि जब पशुचिकित्सा पदाधिकारी पशु की
चिकित्सा करें तो यह भी ध्यान रखें कि इसका दुष्प्रभाव पशुपालक या पशु उत्पाद का उपयोग करने
वाले जनता पर न हो। इसके लिए पशुचिकित्सा पदाधिकारी, मेडिकल ऑफिसर, पर्यावरणविद् और
वैज्ञानिकों को साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता पर जोर देने की बात कही गई। पशुओं से
मनुष्यों में कोई रोग न आये और साथ ही मनुष्य से पशु में भी कोई रोग नहीं लगे इस बात पर जोर
देते हुए प्रधान सचिव महोदया ने पशु ही नहीं बल्कि पौधों से भी मनुष्य में रोग फैलने को संज्ञान में
लाने की बात उठायी गई। पत्रकार एवं मिडिया बन्धुओं से अनुरोध किया गया कि विश्व प्राणिरूजा
दिवस के महत्व को आम जनता तक पहुंचाएँ। प्रधान सचिव महोदया द्वारा सभी उपस्थित पशुपालकों
को भी इसके व्यापक प्रचार-प्रसार से संबंधित कार्य करने एवं जागरूकता अभियान चलाने हेतु अनुरोध
किया गया।
इस अवसर पर डा० अनूप कुमार अनुपम, निदेशक, पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान, बिहार, पटना द्वारा बताया गया कि मेरा देश कृषि प्रधान होने के कारण हमारी आबादी पशुओं के सीधे संपर्क में रहते हैं जिसके कारण पशुजन्य रोगों से संक्रमित होने की सम्भावना भी अधिक रहती है। अक्सर लोगों को पशु-पक्षियों से प्यार होता है। अगर थोड़ी सी भी सावधानी हटती है तो गम्भीर बीमारी की चपेट में आने की सम्भावना बन सकती है। उन्होंने विस्तार से जूनोसिस और One World, One Health की चर्चा की। जूनोटिक रोगों के भयावहता को उद्धृत करते हुए लगभग 200 से अधिक प्रकार के रोग के जूनोटिक महत्व के होने की बात बतायी गई। उन्होंने पशु स्वास्थ्य उत्पादन संस्थान में Pathological Lab एवं जुनोटिक बीमारी के उद्भेदन हेतु Diagnostic Lab की स्थापना की स्वीकृति को इस दिशा में कारगर कदम बताया।
कार्यक्रम के संयोजक श्री नवदीप शुक्ला, निदेशक पशुपालन द्वारा अपने उद्बोधन में बताया गया कि उभरती जूनोटिक बीमारियाँ मानव एवं पशु स्वास्थ्य, आर्थिक विकास और पर्यावरण के लिए खतरा है। जूनोटिक बीमारियों का बड़ा बोझ गरीब लोगों पर पड़ता है। साथ ही उभरती हुई संक्रामक बीमारियाँ हर किसी को प्रभावित करती है। जूनोसिस के रोग जनक बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी हो सकते हैं जो विभिन्न माध्यम से पशु से मनुष्य या मनुष्य से पशु में फैलते हैं। अनुमान है कि लगभग 60 प्रतिशत मानव संक्रमण पशुओं से उत्पन्न होते हैं। सभी उपस्थित पशुपालकों को इस तरह की बीमारियों की जानकारी से आमजनों को अवगत एवं जागरूक करने हेतु सलाह दी गई।
इस अवसर पर श्री संजय कुमार, निदेशक, गव्य द्वारा अपने संबोधन में बताया कि दुग्ध के माध्यम से भी जूनोटिक रोगों का प्रसार होता है। अतः पशुपालकों को स्वच्छ दुग्ध उत्पादन हेतु जागरूक कर इस रोग के प्रसार को रोका जा सकता है।
इस अवसर पर विशेषज्ञ डा० मनोज कुमार, प्राध्यापक, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना, डा० राकेश रंजन, प्रतिनियुक्त पदाधिकारी, IAHP, पटना तथा डा० मंजू सिन्हा, सहायक प्राध्यापक द्वारा कार्यशाला में जूनोसिस बीमारी से संबंधित प्रस्तुति देते हुए बताया गया कि जूनोसिस महत्व वाली बीमारियाँ हमारे समाज के लिए खतरा है। वे अक्सर महामारी वाली बीमारियों का कारण बनती हैं। इसलिए पशु स्वास्थ्य एवं टीकाकरण के साथ-साथ मांस, दूध एवं अन्य पशुजन्य उत्पादों के क्षेत्र में स्वच्छता को बनाये रखना आवश्यक है। नियमित रूप से पशुओं के स्वास्थ्य की जाँच करनी चाहिए। पशुओं के लिए टीकाकरण एवं चिकित्सा कैम्प आयोजित कर पशु रोगों के संक्रमण और प्रसार को नियंत्रित करना चाहिए। वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। जनसाधारण को पशु रोगों और जूनोसिस से बचाने के लिए जागरूक करना चाहिए। नवीनतम और वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करके पशु रोगों की पहचान और उनका बेहतर प्रबन्धन करने के लिए अध्ययन एवं अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। जन साधारण के माध्यम से पशु स्वास्थ्य, जूनोटिक रोग के प्रसार से बचाव और हाईजिन के महत्व के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। इसके रोकथाम के उपायों पर वृहत जानकारी दी गई तथा इससे संबंधित जागरूकता अभियान चलाकर पशुपालकों एवं आमजनों को जागरूक करने के विभिन्न पहलुओ पर चर्चा की गई।
इस अवसर पर पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान, बिहार, पटना तथा पशुपालन निदेशालय, मत्स्य निदेशालय के पदाधिकारीगण एवं पशुपालक बन्धु उपस्थित हुए।
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