बिहार भीषण सुखाड़ के चपेट में लेकिन सरकार इसके लिए गंभीर नहीं है:- किसान महासभा
*बिहार को तत्काल सुखाड़ग्रस्त क्षेत्र घोषित करे सरकार*
*पटना,30 जुलाई2024*
अखिल भारतीय किसान महासभा के बिहार राज्य सचिव उमेश सिंह ने अपने प्रेस बयान के जरिए गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि बिहार भीषण सुखाड़ का सामना कर रहा हैं और सरकार इस पर गंभीर नही है । बिहार सरकार अविलंब बिहार को सुखाड़ग्रस्त क्षेत्र घोषित करे और युद्ध स्तर पर सरकार राहत राशन का प्रबंध करे।
उन्होंने कहा कि सरकार के झूठे वादों और नाकामियों के चलते बिहार के किसान भगवान भरोसे हो चुके हैं। और जब किसानो का हाल यह है तो उनसे जुड़े खेत मजदूरों का अंदाजा आप लगा सकते है। बिहार में अब तक चार कृषि रोड मैप जारी किया जा चुका है लेकिन इनका कृषि रोड मैप सिंचाई के मामले में टांय टांय फीस हो चुका है। ऐतिहासिक सोन नहर प्रणाली डैम के अभाव में मृत्य प्राय हो चुका है । कोसी और गंडक नहर प्रणाली का और बुरा हाल है। सभी सरकारी नल कूपें बंद पड़ी हैं।और परंपरागत सिंचाई प्रणाली भी समाप्ति के कगार पर है। सिंचाई के लिए किसानों को बिजली नही मिल पा रही है और जो थोड़े बहुत मिलती है उसका बिजली कंपनियों ने अनाप शनाप बिल भेज कर किसानों के साथ जमींदारों जैसा वेवहार कर रही है। सरकार अपने इन ओछे हरकतों और झूठी घोषणाओं से बाज आए ।और सही में जमीन पर उतर कर किसानों के लिए काम करें।
उन्होंने कहा कि अभी तक जो वर्षा होना चाहिए था उसका मात्र 16 प्रतिशत ही हुई है। सोन नहर के मुख्य नहर में भी पानी नहीं है। बिहार सरकार बाण सागर और रिहंद से अपने हिस्से का पानी किसी भी मूल्य पर प्राप्त करे लेकिन सरकार इस दिशा में कोई कदम अभी तक नही उठा रही हैं। रोहतास और पटना जिला के दौरा के दौरान हमने सोन नहर के मुख्य नहर के किनारे के खेतों में सुख रहे रोपे हुए धान की खेतों की तस्वीर ली है जिसे नीचे हम दे रहे है।
ऐसे भयावह हालत से निबटने के लिए अविलंब सभी किसान व खेत मजदूरों के परिवारों को दो दो किवंटल अनाज एवम दस दस हजार रुपया राहत के रूप में दिया जाय।पशुओं के लिए चारा का भी प्रबंध हो । सुख रहे खेतों के सिंचाई के लिए चौबीसों घंटा मुफ्त बिजली का प्रबंध किया जाय। खेतों की मालगुजारी एक वर्ष का माफ किया जाय। सरकारी नल कूपों को अविलंब चालू किया जाय।
उन्होंने कहा कि हमने 19 जुलाई 2024 को ही बिहार के सभी प्रखंड कार्यालयों पर किसानों के धरना प्रदर्शन के माध्यम से सरकार से ये मांगे उठाया था लेकिन सरकार ने सिर्फ खाना पूर्ति के लिए कुछ घोषणाएं कर दी ।लेकिन नीचे जमीन पर कुछ भी लागू नहीं हुआ। न किसानो को सिंचाई हेतु बिजली मिल रही है और न ही डीजल अनुदान ।शायद इनकी घोषणा जमीन तक पहुंचते पहुंचते खेती सुख जायेगा ।और किसानो के हाथ कुछ भी नही लगेगा। सरकार अपने इन ढकोसला बाजी से बाज आए अन्यथा किसानो के कोपभाजन बने।
यदि अविलंब राहत राशन नही बटा तो किसान महासभा बड़े आंदोलन की ओर बढ़ेगा।
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