माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, बिहार, डॉ. प्रेम कुमार, की अध्यक्षता में राज्य में पर्यावरण की स्थिति एवं इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा बैठक संपन्न

माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, बिहार, डॉ. प्रेम कुमार, की अध्यक्षता में राज्य में पर्यावरण की स्थिति एवं इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा बैठक संपन्न

माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, बिहार, डॉ. प्रेम कुमार, की अध्यक्षता में राज्य में पर्यावरण की स्थिति एवं इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों की समीक्षा हेतु बुधवार, दिनांक 10.07.2024 को अपराह्न 03:00 बजे स्थानीय राजधानी वाटिका के सभागार में एक बैठक संपन्न हुई। बैठक में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष, डॉ. डी. के. शुक्लाः सदस्य सचिव, श्री एस. चन्द्रशेखर सहित पर्षद के अन्य वरीय पदाधिकारियों ने भाग लिया।

डॉ. डी. के. शुक्ला, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने सर्वप्रथम माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, बिहार का स्वागत किया। उन्होंने राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की स्थापना, इसके उद्देश्य, दायित्वों एवं वर्तमान में किये जा रहे कार्यों से माननीय मंत्री को अवगत कराया। चर्चा के दौरान उन्होंने जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974; वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 एवं पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 तथा इसके अंतर्गत अधिसूचित विभिन्न नियमावलियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य में वायु प्रदूषण के अनुश्रवण हेतु राज्य के विभिन्न जिलों में कुल 35 अनवरत परिवेशीय वायु गुणवत्ता अनुश्रवण केन्द्रों की स्थापना की गयी है जो कार्यरत है, इनसे प्राप्त आँकड़ों को आम जनता की सूचना हेतु प्रदर्शित किया जाता है एवं इसे केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के साथ साझा किया जाता है। उन्होंने सूचित किया कि पर्षद द्वारा वायु प्रदूषण के सातों के अध्ययन हेतु आई. आई. टी., बी. एच. यू.. वाराणसी, आई. आई. टी., दिल्ली एवं आई. आई. टी., पटना के साथ एक अध्ययन किया जा रहा है साथ ही आई. आई. टी.. कानपुर की सहायता से एक परियोजना के अंतर्गत राज्य के सभी 534 प्रखंडों में वायु गुणवत्ता के आकलन हेतु सेन्सरों की स्थापना की गयी है एवं संबंधित आँकड़े एकत्रित किये जा रहे हैं। इन अध्ययनों से यह देखा गया है कि राज्य में वायु प्रदूषण की समस्या में मुख्य रूप से धूलकणों का योगदान है। परिवेशीय वायु में धूलकणों के मुख्य स्त्रोत गांगेय क्षेत्र में स्थित होने से राज्य की भौगोलिक स्थिति, राज्य की सीमा के बाहर से आने वाले धूलकणों का योगदान, परिवहन, बड़े पैमाने पर हो रहे आधारभूत संरचनाओं का विकास, निर्माण एवं विध्वंस क्रियाकलापों के दौरान मानकों का सही अनुपालन न होना एवं अन्य है। माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, बिहार, डॉ. प्रेम कुमार ने पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में प्रत्येक नागरिक का योगदान सुनिश्चित करने और इस हेतु जन जागरुकता अभियान चलाकर आम जनों को पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनाने हेतु प्रेरित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
माननीय मंत्री महोदय द्वारा पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण हेतु आम आदमी की सहभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से संपूर्ण राज्य में व्यापक जन जागरुकता कार्यक्रम चलाये जाने का निदेश दिया। सभी प्रमुख स्थलों पर होर्डिंग्स जिसमें पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित मुख्य बिन्दुओं का उल्लेख हो की स्थापना किये जाने का निदेश दिया। त्योहारों जैसे श्रावणी मेला, दशहरा, दीपावली, पितृपक्ष मेला, सोनपुर मेला एवं अन्य अवसरों पर विशेष जन जागरुकता अभियान का आयोजन किये जाने हेतु निदेश दिया गया।

बैठक में राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के पर्षद विश्लेषक, श्री अरूण कुमार, वैज्ञानिक सलाहकार; श्री एस. एन. जायसवाल, वरीय वैज्ञानिक, डॉ. नवीन कुमार एवं नोडल पदाधिकारी, डॉ. डी. साहा उपस्थित थे।

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