बिहार सरकार यू डाइस और ज्ञानदीप पोर्टल को संचालित करने में विफल हो गए हैं।
प्रत्येक वर्ष निजी स्कूलों का डाटा लेने के चक्कर में ज्ञानदीप पोर्टल और यू डाइस को निजी स्कूलों को
भरना आवश्यक बना दिया गया है। जब के यह दोनों पोर्टल खोलने में निजी विद्यालय को बहुत
कठिनाई होती है और कई कई दिन लगातार प्रयास करने के बाद भी पोर्टल नहीं खुल पाता है। इसका
समाधान अब तक सरकार ने नहीं निकाला है। सरकार बराबर मीटिंग तो करती है लेकिन अपने
पदाधिकारी के भरोसे ही रहती है। इस कारण इन दोनों पोर्टल को भरने में निजी विद्यालयों को काफी
कठिनाई हो रही है। बिहार पब्लिक स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ डी के सिंह,
उपाध्यक्ष डॉ एस एम सोहैल, सचिव प्रेम रंजन, एवं कोषाध्यक्ष विजय कुमार सिंह ने एक संयुक्त बयान
में बताया कि हम लोग सरकार से हमेशा मांग करते रहे हैं कि बच्चों के नामांकन को लेकर एक सूची
बनाकर स्कूलों में भेजा जाए और वह सभी बच्चे उस स्कूल के आसपास के हो ताकि स्कूल अपना
कर्तव्य निभा सके। इस बार भी पोर्टल नहीं खुलने से 85% निजी विद्यालय परेशान है। सरकार भी
उनका समाधान निकाल नहीं पा रही है। बिहार पब्लिक स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन बिहार
सरकार से अपील करती है कि पोर्टल खोलने की सरल प्रक्रिया को निजी विद्यालय को वर्चुअल नहीं
आमने-सामने की मीटिंग करके बताएं। अपने पदाधिकारी को स्कूलों में भेज कर उनकी मदद करें।
आपके भेजे गए लिस्ट के अनुसार सभी निजी विद्यालय RTE के तहत नामांकन की प्रक्रिया पूरा कर
लेंगे। पिछले 10 सालों से संगठन यह मांग करती रही है कि पटना जिला में स्कूलों को RTE का पैसा
नहीं मिल रहा है। उस पर सभी पदाधिकारी मौन धारण कर लेते हैं। उनके पास कोई समाधान नहीं
होता है। वादा तो किया जाता है परंतु पूरा 10 सालों से नहीं हो रहा है। एसोसिएशन एक बार पुणः
अनुरोध करती है की नामांकन लेने वाले बच्चों का लिस्ट निजी विद्यालयों को भेजा जाए। दोनों पोर्टल
को खोलने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए। और RTE के पैसे का भुगतान जल्द से जल्द किया
जाए।
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