विश्व संगीत दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय नृत्य कला मंदिर में संगीतमय संध्या का हुआ आयोजन
मद से भरे तोरे नैन , तोहे आई न जग से लाज जैसे गीतों पर झूमे श्रोता
पटना: 23 जून 2024
आज कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के द्वारा विश्व संगीत दिवस के उपलक्ष्य में तरंग संस्था के सहयोग से भारतीय नृत्य कला मंदिर में संगीतमय संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव, श्रीमती हरजोत कौर, ने निदेशक संस्कृति, श्रीमती रूबी, भारतीय नृत्य कला मंदिर की प्रशासी पदाधिकारी श्रीमती अमृता प्रीतम, वरिष्ट कलाकार सत्येन्द्र कुमार संगीत एवं अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में दीप जला कर किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अपर मुख्य सचिव, श्रीमती हरजोत कौर ने कहा कि विश्व संगीत दिवस 21 जून के उपलक्ष्य मे आज कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। शास्त्रीय गायक राहुल- रोहित मिश्रा की प्रस्तुति होगी उसके बाद बिहार के गौरव सत्येन्द्र संगीत जी का कार्यक्रम होगा। इसके साथ ही आज बिहार के कुछ नवयुवक गायक और गायिकाओं को मौका दिया है। मुझे उम्मीद है आज रविवार की यह संगीतमय संध्या आप सभी संगीत प्रेमियों के लिए, श्रोताओं के लिए आनंददायक होगा।
कार्यक्रम की शुरुआत बनारस घराने के युवा भारतीय शास्त्रीय गायक राहुल- रोहित मिश्रा की प्रस्तुति से हुई। मिश्र बंधु स्वर्गीय पद्मविभूषण डॉ. गिरिजा देवी जी के गंडाबंद शिष्य हैं, जो अपने समय में बहुमुखी बनारस गायकी की सबसे वरिष्ठ प्रतिनिधि थीं। राहुल- रोहित मिश्रा संस्कृति मंत्रालय द्वारा "विदेशों में भारत महोत्सव" के पैनल में शामिल कलाकार भी हैं और वर्तमान में बनारस घराने के ख्याल, ठुमरी और दादरा की पूरब अंग गायकी का प्रतिनिधित्व करते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने “पायलिया झँकाएँ मोरी”, से की। उसके बाद उन्होंने “मद से भरे तोरे नैना” , और “ क्या जादू डाला, दीवाना किए जा क्या जादू डाला”, जैसे गीतों ने दर्शकों तबला पर श्री श्याम मोहन और हरमोनियम पर बनारस के श्री पंकज मिश्रा ने संगत किया।
इसके बाद बिहार राज्य कला पुरस्कार (वरिष्ठ) एवं बिहार गौरव, के साथ अनेकों अवार्ड से सम्मानित और आकाशवाणी दूरदर्शन के उच्च श्रेणी प्राप्त गायक कलाकार सत्येन्द्र संगीत ने अपनी प्रस्तुति दी। श्री संगीत, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मंचों के साथ फिल्म और दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों के साथ ही भारत के राष्ट्रपति के समक्ष भी अपनी प्रस्तुति कर चुके हैं। श्री संगीत, सुगम संगीत और लोक संगीत की हर विधा की प्रस्तुति के लिए जाने जाते हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने *“तोहे आई न जग से लाज”* से शुरू किया। इसके बाद उन्होंने “ *झीनी झीनी अचरिया के पार गोरिया, चंदा सा मुखड़ा तोहर गोरिया”* से गीत गाकर दर्शकों को मोह लिया।
इनके साथ तबला पर श्री बृज बिहारी मिश्र, ऑर्गन पर श्री संजय मिश्र, पैड पर श्री संतोष कुमार, हारमोनियम पर श्री प्रेमचंद्र और ढोलक पर श्री जज्जी जी ने संगत किया।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए भागलपुर के सूफियाना बैंड अंग हेरिटेज के युवा कलाकारों ने पारंपरिक तरीके से सूफ़ी संगीत को प्रस्तुत किया । प्रस्तुति की शुरुआत राग बहार पर आधारित *सकल बन फूल फूल रही सरसों* से किया। इसके बाद इन्होंने *“आया तेरे दर पर दीवाना,"जिंदा रहने के लिए तेरी कसम एक मुलाकात जरूरी है सनम* एवं अन्य गीत प्रस्तुत किए। कई राजकीय महोत्सव में अपनी प्रस्तुति दे चुकी भागलपुर बिहार की प्रसिद्ध टीम के गजेंद्र मिश्रा, आदिल खान, शिवम मिश्रा और विरेश की प्रस्तुति ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम में चित्रपट संगीत मे स्नेह रौशन ने प्रस्तुति दी। स्नेहा को संगीत विरासत में अपनी मां से प्राप्त हुआ है। फिर भी स्नेहा बचपन से ही संगीत की शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। स्नेहा भारत की सुर साम्राज्ञी सुश्री लता मंगेशकर के गीतों को गाने के लिए मशहूर हैं। इनके साथ सुनील कुमार ने संगत किया जो एक बहुत ही सुरीले गायक कलाकार हैं और फिल्मों के गीत-संगीत के लिए जाने जाते हैं।
कार्यक्रम के अंत में अपर मुख्य सचिव श्रीमती हरजोत कौर और निदेशक संस्कृति, श्रीमती रूबी ने सभी कलाकारों को अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का मंच संचालन श्रीमती पल्लवी विश्वास ने किया। कार्यक्रम में संगीतप्रेमियों, कलाकारों के साथ ही लगभग 400 लोग उपस्थित रहे।
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