संभावित बाढ़ एवं जल-जमाव से निपटने हेतु तैयारियों की डीएम ने की समीक्षा
बाढ़ आने की स्थिति में प्रभावितों के जान-माल की सुरक्षा एवं ससमय राहत पहुँचाना प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता; क्षेत्रीय पदाधिकारी तुरंत रिस्पॉन्ड करेंगेः डीएम
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डीएम ने कहाः त्रुटिरहित आपदा प्रबंधन के लिए अंतर्विभागीय समन्वय, सतर्कता एवं सक्रिय रहने की आवश्यकता; पदाधिकारी मिशन मोड में काम करें
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संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ से निपटने हेतु जिला प्रशासन पूर्णतः तैयारः डीएम
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जिलाधिकारी, पटना श्री शीर्षत कपिल अशोक ने कहा है कि संभावित बाढ़ एवं जल-जमाव से निपटने हेतु जिला प्रशासन पूरी तरह तैयार है। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार जिला स्तर पर सभी व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि बाढ़ आने की स्थिति में प्रभावितों के जान-माल की सुरक्षा एवं ससमय राहत पहुँचाना प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। एसओपी के अनुसार क्षेत्रीय पदाधिकारी यथा अंचलाधिकारी एवं थाना प्रभारी तथा अनुमंडल पदाधिकारी एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी तुरंत रिस्पॉन्ड करेंगे।
डीएम ने कहा कि संभावित आसन्न आपदाओं का पूर्वानुमान, ससमय एवं शीघ्र चेतावनी और आम जनता के बीच उनका प्रभावी प्रचार-प्रसार सफल आपदा प्रबंधन के मुख्य घटक हैं। प्रबंधन के विभिन्न चरणों यथा आपदा का निवारण, कमी एवं आपदा के प्रति प्रत्युत्तर के लिए सम्पूर्ण तंत्र सक्रिय है।
जिलाधिकारी ने कहा कि आपदा की स्थिति में सामान्य जन-जीवन प्रभावित न हो यह सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन सजग, तत्पर एवं प्रतिबद्ध है। उन्होंने सभी पदाधिकारियों को मिशन मोड में काम करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान वे बाढ़ पूर्व तैयारियों एवं व्यवस्थाओं का जायजा लेंगे।
डीएम ने कहा कि गंगा के दियारा क्षेत्रों में मनेर से मोकामा तक तथा मसौढ़ी एवं पटना सिटी में पुनपुन नदी तथा दरधा नदी के क्षेत्रों में बाढ़ आने की संभावना रहती है। अत्यधिक मॉनसूनी वर्षा की स्थिति में तथा गंगा, सोन एवं पुनपुन नदियों के जल-स्तर में एक साथ असामान्य वृद्धि से बाढ़ की स्थिति बन जाती है। जब गंगा एवं पुनपुन दोनों नदी का जल स्तर अत्यधिक रहता है तो अतिवृष्टि की स्थिति में शहरी क्षेत्रों से नदियों के माध्यम से जल प्रवाह नहीं हो पाने पर जल-जमाव हो जाता है। ऐसी स्थिति वर्ष 2019 में आयी थी जब पटना शहर में जल-जमाव हो गया था। डीएम ने कहा कि इसकी पुनरावृति रोकने के लिए हम सबको सजग रहना होगा। उन्होंने कहा कि वरीय पदाधिकारियों की टीम द्वारा नौ प्रमुख नालों की जाँच करायी गई थी। अनुमंडल पदाधिकारी मॉनसून पूर्व सभी नालों की सम्पूर्ण सफाई की मॉनिटरिंग करें। नालों को अतिक्रमणमुक्त रखें। सभी ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन को तैयार रखना होगा। सम्प हाउस के इन्लेट-आउटलेट का लगातार अनुश्रवण करें। सभी डीपीएस पर पम्प कार्यरत रहना चाहिए। कोई भी यांत्रिक या विद्युत त्रुटि नहीं रहनी चाहिए। विद्युत आपूर्ति निर्वाध होनी चाहिए। डीजल पम्पसेट एवं मोबाईल पम्पसेट की समुचित व्यवस्था रखें।
विदित हो कि डीएम द्वारा संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ से निपटने हेतु तैयारी की नियमित समीक्षा की जा रही है। उन्होंने तटबंधों की लगातार पेट्रोलिंग सुनिश्चित करने का निदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि संवेदनशील स्थलों पर तटबधों का सुदृढीकरण एवं मरम्मति करें। संचार तंत्र एवं सूचना प्रणाली को सुदृढ़ रखें। शरण स्थलों पर मोबाइल मेडिकल टीम, शौचालय एवं पेयजल की समुचित व्यवस्था रहनी चाहिए। यहां मेडिकल कैंप, शिशु टीकाकरण, प्रसव, भोजन का उपस्कर, बच्चों हेतु विशेष भोजन, मच्छरदानी, सैनिटरी किट के लिए विशेष रूप से निर्मित योजनाओं का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करें। उन्होंने पुल-पुलियों एवं मुख्य सड़कों विशेषकर जिला मुख्यालय से प्रखंड को जोड़ने वाले लिंक रोड की नियमानुसार मरम्मती एवं संधारण कार्य पर विशेष ध्यान देने को कहा। डीएम ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संकटग्रस्त एवं भेद्य समुदायों का प्रशिक्षण कर क्षमतावर्धन कार्य पर विशेष ध्यान देने का निदेश दिया है।
डीएम ने कहा कि सार्थक संचार तंत्र सफल आपदा प्रबंधन की रीढ़ है। उन्होंने सभी पदाधिकारियों को इसे सुदृढ़ एवं सक्रिय रखने का निर्देश दिया।
## संभावित बाढ़, 2024 की पूर्व तैयारी से संबंधित विवरण निम्नवत हैः-
सभी तटबंध पूरी तरह सुरक्षित है।
वर्षामापक यंत्र/दैनिक वर्षापात प्रतिवेदन- वर्तमान में जिले में समुचित संख्या में वर्षामापी यंत्र कार्यरत है। इनसे प्रतिदिन वर्षापात के आँकड़ों को संग्रहित किया जाता है। जिला सांख्यिकी कार्यालय द्वारा समेकित दैनिक प्रतिवेदन पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। जिले के पंचायतों में स्वचालित वर्षामापी यंत्र (एआरजी) का अधिष्ठापन किया गया है। एआरजी से पंचायतवार वर्षापात के आंकड़े प्राप्त होते हैं । सभी प्रखंडों में स्वचालित मौसम केन्द्र की स्थापना की गई है जिससे वर्षापात के साथ-साथ तापमान, आर्द्रता, हवा की गति एवं दिशा संबंधी आंकड़े प्राप्त होते हैं। डीएम ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों को प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारियों के साथ वर्षा मापी यंत्रों का निरीक्षण-पर्यवेक्षण करने का निदेश दिया।
संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्र एवं संकटग्रस्त व्यक्ति-समूहों की पहचान कर ली गई है।
संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। परिचालन योग्य सरकारी नाव, निजी नावों के साथ एकरारनामा, संभावित बाढ़ की पूर्व तैयारी के तहत बाढ़ प्रभावित परिवारों के बीच वितरण हेतु राहत सामग्रियों एवं अन्य सामग्रियों तथा नाव का दर निर्धारण, पॉलीथिन शीट्स का दर निर्धारण, पॉलीथिन शीट्स की उपलब्धता, टेन्ट, महाजाल, लाईफ जैकेट, इन्फ्लेटेबल लाईटनिंग सिस्टम, प्रशिक्षित गोताखोरों, चिन्हित शरण स्थलों, खोज बचाव एवं राहत दलों, एसडीआरएफ/एनडीआरएफ मोटरबोट, आकस्मिक फसल योजना, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, पशुचारा/चुन्नी-चोकर एवं पशुदवा की व्यवस्था, मानव दवा की व्यवस्था एवं मोबाईल मेडिकल टीम, जिला में बाढ़ से निपटने हेतु सभी आवश्यक दवा पर्याप्त संख्या में उपलब्ध रहना, सरकारी तथा गैर सरकारी क्षेत्र के महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संस्थानों, ब्लड बैंकों की पहचान , असामान्य स्थिति से निपटने हेतु सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा चलन्त मेडिकल टीम का गठन, प्रखण्डवार ब्लीचिंग पाउडर, हैलोजन टेबलेट एवं लाईम पाउडर उपलब्धता , जिला ड्रग स्टोर तथा स्वास्थ्य संस्थानों (प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, रेफरल अस्पताल एवं अनुमंडल अस्पतालों) में सभी आवश्यक दवा यथा ओआरएस , एंटि-रेविज वैक्सिन (एआरवी) वायल, सांप काटने की दवा (एएसवीएस) वायल, डेक्स्ट्रोज 10 प्रतिशत 500 एम.एल., डीएनएस 500 एम.एल., मैट्रोनाईडाजोल 400 एमजी टैबलेट, एनएस 500 एम.एल., ऑण्डेन्सट्रॉन इन्जेक्शन, ऑण्डेन्सट्रॉन/डॉम्पेरिडोन, आरएल 500 एम.एल., आईवी सेट (एडल्ट), ब्लीचिंग पाउडर,लाईम पाउडर, हैलोजेन टैबलेट की उपलब्धता आदि पर विशेष ध्यान देने का निदेश दिया गया।
कोषांगों का गठन एवं जिला स्तरीय 24’7 नियंत्रण कक्ष की स्थापना- आपदा प्रबंधन हेतु 11 बाढ़ राहत कोषांग क्रियाशील है। ज़िला आपातकालीन संचालन केंद्र में जिला-स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित है जिसकी दूरभाष संख्या 0612 - 2210118 है। आपदा के कारण हुई मौतों तथा डायरिया इत्यादि बीमारियों के फैलाव के अनुश्रवण हेतु आईडीएसपी कोषांग क्रियाशील है। एएनएम, आशा एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा बीमारियों के लक्षण एवं बचाव हेतु आम जनता को जागरूक किया जा रहा है। नोडल पदाधिकारी/जिला स्तरीय टास्क फोर्स-पंचायत स्तरीय/प्रखण्ड स्तरीय नोडल पदाधिकारी/जोनल पदाधिकारी तथा सुपर जोनल पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गई है। जिला स्तरीय टास्क फोर्स का भी गठन कर लिया गया है।
पटना शहरी क्षेत्र के नालों की सफाई एवं सम्प हाउस की स्थिति- पटना जिलान्तर्गत 09 बड़े नालों यथा-सर्पेन्टाईन नाला, मंदिरी नाला, कुर्जी/राजीव नगर नाला, आनन्दपुरी नाला, बाकरगंज नाला, बाईपास नाला (एनसीसी क्षेत्र), बाईपास नाला (केबीसी क्षेत्र), योगीपुर नाला तथा सैदपुर नाला सहित समस्त मध्यम एवं छोटे खुले/बॉक्स नालों, मैन होल इत्यादि की उड़ाही का कार्य किया गया है। नालों की उड़ाही एवं सम्प हाउस की क्रियाशीलता का नियमित अनुश्रवण किया जाता है।
डीएम ने अपर जिला दंडाधिकारी विधि-व्यवस्था को नालों को अतिक्रमणमुक्त रखने के लिए नगर कार्यपालक पदाधिकारियों की देख-रेख में टीम की प्रतिनियुक्ति करने का निदेश दिया। उन्होंने सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि विभिन्न मार्गों पर कार्य कर रही क्रियान्वयन एजेंसियाँ समय से कार्य पूर्ण करें। सुरक्षात्मक मापदंडों का अनुपालन करें तथा सड़कों को मोटरेबुल रखें।
आज की बैठक में अपर समाहर्ता आपदा प्रबंधन श्री डी पी शाही , अधीक्षण अभियंता बाढ़ नियंत्रण, महाप्रबंधक पेसू, समादेष्टा एनडीआरएफ, टीम कमांडर एसडीआरएफ, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी अनुमंडलों के अनुमंडल पदाधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता, सभी प्रखंडों के अंचल अधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं अन्य भी उपस्थित थे।
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