विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर दसरथ मांझी श्रम एवं नियोजन अध्ययन संस्थान में श्रम संसाधन विभाग, बिहार सरकार द्वारा आज एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर दसरथ मांझी श्रम एवं नियोजन अध्ययन संस्थान में श्रम संसाधन विभाग, बिहार सरकार द्वारा आज एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया


पटना, 12 जून 2024 : विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर दिनांक 12 जून 2024 को पटना स्थित, दसरथ मांझी श्रम एवं नियोजन अध्ययन संस्थान में श्रम संसाधन विभाग, बिहार सरकार द्वारा आज एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया| उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विभाग के माननीय मंत्री, श्री संतोष कुमार सिंह शामिल हुए| साथ ही विभाग के प्रधान सचिव, डॉ. बी राजेन्दर, विशेष सचिव, श्री राजीव रंजन, श्रमायुक्त बिहार, रंजिता, निदेशक नियोजन एवं प्रशिक्षण, श्री श्याम बिहारी मीणा, उप श्रमायुक्त पटना, श्री विजय कुमार के साथ विभाग के अन्य पदाधिकारी एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे|  

कार्यक्रम के दौरान रेनबो के बच्चों द्वारा बाल श्रम पर आधारित लघु नाटक की प्रस्तुति की गयी एवं बाल श्रम से विमुक्ति की दिशा में श्रम संसाधन विभाग द्वारा चलाये गये विशेष अभियान को लेकर लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया| कार्यक्रम के दौरान बाल श्रम विमुक्ति की दिशा में जिलों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले श्रम अधीक्षकों को प्रशस्ति पत्र देकर मुख्य अतिथि और गणमान्य अतिथियों द्वारा पुरुस्कृत भी किया गया|  

अपने संबोधन में मुख्य अतिथि, माननीय मंत्री, श्रम संसाधन विभाग बिहार, श्री संतोष कुमार सिंह ने कहा कि बच्चे निःसन्देह, किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी पूँजी हैं| किसी राष्ट्र में बच्चों की देखभाल कैसे की जाती है एवं किस प्रकार उनका पालन किया जाता है यह राष्ट्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण सूचक है| बाल श्रम मूलतः गरीबी, आर्थिक-प्रवंचना एवं अशिक्षा का परिणाम है। ऐसा भी कहा जाता है कि यह खंडित श्रम बाजारों एवं कमजोर स्तर के श्रम सशक्तिकरण का प्रतिफलन है। गरीबी बाल श्रम को जन्म देती है क्योंकि गरीब परिवार किसी भी संभव तरीके से जीने के लिए संघर्षरत रहते हैं। परन्तु यह भी समान रूप से सत्य है कि बाल-श्रम गरीबी को स्थायी बनाता है। बच्चे विनाशकारी/विकृत, पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाली शोषण व्यवस्था एवं गरीबी के दुष्चक्र के शिकार हो जाते हैं। बाल श्रम की समस्या राष्ट्र के समक्ष चुनौती के रूप में खड़ी है। राज्य सरकार के द्वारा इसके समाधान के लिए सक्रियता पूर्वक विभिन्न तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि बाल श्रम की समस्या को जड़ से समाप्त किया जाए और बच्चों को उनका बचपन लौटाया जाए|   

उन्होंने कहा कि ऐसे कार्य जो बच्चों या किशोरों के स्वास्थ्य एवं व्यक्तिगत विकास को प्रभावित नहीं करते हैं या जिन कार्यों का उनकी स्कूली शिक्षा पर कोई कुप्रभाव नहीं पड़ता हो। उसे लेकर हमें आगे बढ़ना होगा, जिसमें सभी स्तरों पर समन्वय और सहयोग जरुरी है| हमने जिलों को बाल श्रम मुक्त बनाये जाने का प्रण लिया है, जिसे हम नियत समय पर पूरा करेंगे| बाल श्रम से मुक्ति और उनके पुनर्वास के लिए हम निरंतर प्रयासरत हैं साथ ही उनके कौशल विकास और रोजगार परक कौशल से जोड़ने के लिए भी कारवाई की जा रही है| 

श्री सिंह ने बताया कि दुनियाभर में आज ऐसे लाखों बच्चे हैं जो मजदूरी करने के लिए मजबूर है। अपने नाजुक कंधो से बोझा ढोकर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं| अपने देश में दशकों से बालश्रम एक गंभीर समस्या बनी हुई है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि ऐसे बच्चों की पहचान करें और उनकी मदद के लिए आगे आयें। उन्होंने यह भी कहा कि पहले सभी नियोजक यह सुनिश्चित करें कि उनके दुकान या प्रतिष्ठान में किसी भी बाल श्रमिक को नियोजित नहीं किया जाएगा अन्यथा ऐसे नियोजकों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हमें हीं उनके जीवन को संवारना होगा, पहले हम यह सुनिश्चित करें कि हम अपने घरों किसी भी बाल श्रमिक को नहीं रखेंगे, बल्कि उनके भविष्य को संवारने में मदद करेंगे| बिहार सरकार बाल श्रम उन्मूलन को लेकर प्रयत्नशील है, और आप सबों से सहयोग और समन्वय की अपेक्षा के साथ इसे दूर करने के लिए कृतसंकल्पित है| 

कार्यक्रम के दौरान सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ. बी राजेन्दर, प्रधान सचिव, श्रम संसाधन विभाग ने कहा कि हर साल 12 जून को मनाए जाने वाले विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा साल 2002 में की गई| उन्होंने कहा कि इस बार राज्य स्तरीय कार्यक्रम के साथ-साथ हमने सभी जिलों में भी कार्यक्रमों का आयोजन किया है ताकि सामुदायिक स्तर पर लोगों को बाल श्रम के बारे में बेहतर ढंग से जागरूक किया जा सके| उन्होंने राज्य के जीविका दीदियों से अपने ग्राम संगठनों के माध्यम से बाल श्रम को ख़त्म करने के लिए पूरी सक्रियता से कार्य करने का आह्वान किया| बाल श्रम को ख़त्म करने के लिए अभिभावकों की काउंसलिंग के साथ-साथ सामुदायिक स्तर पर सक्रियता भी जरुरी है| सरकार द्वारा नए उद्योग स्थापित करने एवं स्कूल जाने योग्य सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की दिशा में भी तेज़ी से प्रयास किए जा रहे हैं जिससे बिहार को बाल श्रम मुक्त बनाने में बहुत मदद मिलेगी। अभी तक बिहार में विभिन्न विभागों के समेकित प्रयास से अब तक 1963 बच्चों को बाल श्रम जैसे अमानवीय कुचक्र से मुक्त कराया गया है|  अद्यतन स्थिति के अनुसार राज्य में वित्तीय वर्ष 22-23 में कुल 908 और 23-24 में अब तक कुल 1393 बच्चों को बाल श्रम से विमुक्त कराया गया है| बता दें कि फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में 1393 बच्चों को रेस्क्यू किया गया। 1244 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया। मुख्यमंत्री राहत कोष में एलिजिबल 508 में से 533 बच्चों तक सहायता पहुंचाई गई। 1 अप्रैल 2024 तक 54 बच्चों को रेस्क्यू किया गया और 54 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया। इनमें मुख्यमंत्री राहत कोष में 44 बच्चे एलिजिबल थे और मुख्यमंत्री राहत कोष (मुख्यालय ) से 152 बच्चों को मदद दी गई।

ज्ञात हो कि कार्यक्रम के दौरान विगत 6 महीने में POP के आधार पर श्रम प्रवर्त्तन पदाधिकारी बांका श्री रामदास, श्रम प्रवर्त्तन पदाधिकारी समस्तीपुर श्री सुबोध मिश्रा, श्रम प्रवर्त्तन पदाधिकारी पूर्वी चंपारण श्री किशुनदेव साह, श्रम प्रवर्त्तन पदाधिकारी श्री संतोष कुमार, श्रम प्रवर्त्तन पदाधिकारी बेगूसराय श्री अविनाश कुमार, श्रम प्रवर्त्तन पदाधिकारी सीतामढ़ी श्री चन्द्रनाथ राय, श्रम प्रवर्त्तन पदाधिकारी बक्सर श्री संदीप कुमार, श्रम प्रवर्त्तन पदाधिकारी समस्तीपुर श्री सुबोध मिश्रा, श्रम प्रवर्त्तन पदाधिकारी अरवल श्री धीरज कुमार और श्रम प्रवर्त्तन पदाधिकारी बांका श्री राम दास को 1 से 10 स्थान हासिल किया। वित्तीय वर्ष 2023- 24 में अधिकतम योजना आवेदनों को अप्रूव करने वाले उप श्रमायुक्त मुजफ्फरपुर, भागलपुर और दरभंगा रहे। वित्तीय वर्ष 2023- 24 में अधिकतम योजना आवेदनों को अप्रूव करने वाले श्रम अधीक्षक पूर्वी चंपारण, गोपालगंज और मुजफ्फरपुर, वित्तीय वर्ष 2023- 24 में निजी प्रतिष्ठानों से अधिकतम उपकर राशि प्राप्त करने वाले तीन प्रमंडल उप श्रमायुक्त पटना, पूर्णिया और मुजफ्फरपुर एवं वित्तीय वर्ष 2023- 24 में निजी प्रतिष्ठानों से अधिकतम उपकर राशि प्राप्त करने वाले तीन जिला श्रम अधीक्षक पटना, पूर्णिया और गया हैं।

0 Response to "विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर दसरथ मांझी श्रम एवं नियोजन अध्ययन संस्थान में श्रम संसाधन विभाग, बिहार सरकार द्वारा आज एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया"

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article