*देश को हमेशा सख्त और मजबूत नेता की आवश्यकता महसूस होती रही है- 2024 का चुनाव भी लगभग उसी दिशा में बढ़ता प्रतीत हो रहा है*
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 31 मई, 2024 ::
लोकसभा चुनाव के मतदान 01 जून समाप्त हो गई और 04 जून को मतगणना के साथ चुनाव समाप्त हो जायेगी। विपक्षी पाटियों द्वारा केन्द्र सरकार पर युवाओं को नौकरी नहीं देने का आरोप लगातार लगता रहता है। बिहार विधान सभा का चुनाव 2025 में होना है। युवाओं को खुश रखने के लिए लोकसभा चुनाव से ही लोक लुभावने वादे और दिवा स्वप्न दिखाये जा रहे हैं, ताकि युवाओं का झुकाव बढ़े और वोट मिले।
विपक्ष के लाख आरोप-प्रत्यारोपों के बीच नरेन्द्र मोदी पिछले दो चुनाव में लगातार जनता की पसंद बने रहे हैं और 2024 का चुनाव भी लगभग उसी दिशा में बढ़ रहा है। विपक्षी दल मुद्दे बनाने के प्रयास करते रहे हैं पर वहीं मुद्दे सेल्फ गोल में परिवर्तित होते दिख रहे हैं। विपक्ष बॉन्ड को लेकर भाजपा को घेरने का खूब प्रयास किया, लेकिन चुनाव में यह प्रयास सफल होता नहीं दिखा। वहीं सत्तारूढ़ दल को गरीब आम मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है और इसे मुद्दा बना कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या भाजपा आम मतदाता को अपने पक्ष में साधने में पूरी तरह सफल होते दिख रहे है। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर विपक्ष खुलेआम तरह तरह के आरोप लगाता रह रहा है।
01 जून को सातवें और अंतिम चरण में बिहार, हिमाचल, झारखंड, ओडिशा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, चंडीगढ़ के इन सभी प्रदेशों की कुल 57 सीटों पर मतदान होंगे। जबकि बिहार में सातवें और अंतिम चरण में नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकाट एवं जहानाबाद में मतदान होगी। नालंदा से 29, पटना साहिब से 17, पाटलिपुत्र से 22, आरा से 14, बक्सर से 14, सासाराम से 10, काराकाट से 13 एवं जहानाबाद से 15 प्रत्याशी मैदान में है।
पटना साहिब लोकसभा से 17 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है, जिसमें भाजपा से रविशंकर प्रसाद, कांग्रेस से अंशुल अभिजीत, बसपा से नीरज कुमार, राजपा धनंजय कुमार, अभाजपा से सुमित रंजन सिन्हा, जआपा से मो. शाहिद आलम, भा. मोमिन फ्रंट से महबूब आलम अंसारी, भा. जन क्रांति दल (डे.) से राकेश दत्त मिश्र, लोसपा से गुलाब प्रसाद, पि. पार्टी ऑफ इंडिया (डे.) से उमेश रजक, समता पार्टी से महेश कुमार, सो. यू.से. ऑफ इंडिया (क.) से सरोज कुमार सुमन, निर्दलीय डॉ धर्मवीर, निर्दलीय अमित कुमार अलबेला, निर्दलीय संजय कुमार, निर्दलीय राकेश शर्मा एवं निर्दलीय अवधेश प्रसाद हैं।
पटना साहिब लोकसभा से चुनाव मैदान में खड़े प्रत्याशियों ने सूत्रों के अनुसार जो खर्च का प्रथम ब्योरा जिला निबंधन सह परामर्श केन्द्र को उपलब्ध कराया है उसके अनुसार, भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने 12,62,000, कांग्रेस के अंशुल अभिजीत ने 4,83,850, बसपा के नीरज कुमार ने 26,300, राजपा के धनंजय कुमार ने 38,246, अभाजपा के सुमित रंजन सिन्हा ने 25,352, , मोमिन फ्रंट के महबूब आलम अंसारी ने 25,200, भा. जन क्रांति दल (डे.) के राकेश दत्त मिश्र ने 32,633, लोसपा के गुलाब प्रसाद ने 17,015, पि. पार्टी ऑफ इंडिया (डे.) के उमेश रजक ने 33,420, सो. यू.से. ऑफ इंडिया (क.) के सरोज कुमार सुमन ने 26,130, निर्दलीय डॉ धर्मवीर कुमार भास्कर ने 57, 740, निर्दलीय अमित कुमार अलबेला ने 26,172, निर्दलीय संजय कुमार ने 29,765, निर्दलीय राकेश शर्मा ने 26,170 एवं निर्दलीय अवधेश प्रसाद ने 31,900 राशि खर्च कर चुके हैं।
पाटलिपुत्र लोकसभा से 22 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है, जिसमें ऑल इं फार्वर्ड ब्लॉक से माधुरी कुमारी, राष्ट्रवादी चेतना पार्टी से राम निरंजन राय, भारतीय जनता पार्टी से रामकृपाल यादव, राष्ट्रीय जनता दल से मीसा भारती, बहुजन समाज पार्टी से हरिकेश्वर राम, सोयूसें ऑफ इंडिया (क.) से अनिल कुमार चांद, भारतीय दलित पार्टी से अनिल दास, हमारा सहारा पार्टी से कुणाल कुमार, ऑल इंडिया मजलिस ए इतिहादुल मुसलिम से मो. फ़ारूख रजा, आजाद से नीतेश कुमार पटेल, राष्ट्रीय जन संभावना पार्टी से बिन्दु देवी, हिन्दुस्तान विकास दल से शंभू प्रसाद शर्मा, अपना किसान पार्टी से शिव कुमार सिंह, अभापपा से खुशबू कुमारी, भारतीय मानवता पार्टी से जवाहर सिंह, पीपुल्स पार्टी (डे) से नागेश्वर प्रसाद, भालोचेपा से सुभाष कुमार, भारतीय सार्थक पार्टी से संजय सिंह, भागीदार पार्टी (पी) से मृत्युंजय कुमार, निर्दलीय नीरज कुमार, निर्दलीय रंजन कुमार, निर्दलीय दुर्गेश नंदन सिंह हैं।
पाटलिपुत्र लोकसभा से से चुनाव मैदान में खड़े प्रत्याशियों ने सूत्रों के अनुसार जो खर्च का प्रथम ब्योरा जिला निबंधन सह परामर्श केन्द्र को उपलब्ध कराया है उसके अनुसार, ऑल इं फार्वर्ड ब्लॉक के माधुरी कुमारी ने 33,390, राष्ट्रवादी चेतना पार्टी के राम निरंजन राय ने 27,510, भारतीय जनता पार्टी के रामकृपाल यादव ने 8,52,000, राष्ट्रीय जनता दल के मीसा भारती ने 4,47,507, सोयूसें ऑफ इंडिया (क.) के अनिल कुमार चांद ने 25,695, हमारा सहारा पार्टी के कुणाल कुमार ने 32,045, राष्ट्रीय जन संभावना पार्टी के बिन्दु देवी ने 2,90,511, अभापपा के खुशबू कुमारी ने 27,800, पीपुल्स पार्टी (डे) के नागेश्वर प्रसाद ने 25,066, भालोचेपा के सुभाष कुमार ने 65,384, भारतीय सार्थक पार्टी के संजय कुमार सिंह ने 80,802, भागीदार पार्टी (पी) के मृत्युंजय कुमार ने 28,370, निर्दलीय नीरज कुमार ने 30,100, निर्दलीय रंजन कुमार, निर्दलीय दुर्गेशनंदन सिंह ने 32,946 राशि खर्च कर चुके हैं।
कांग्रेस की राजनीतिक सेहत लगातार बिगड़ती जा रही है और यह कहना गलत नहीं होगा कि बीते दस वर्षों में तो उसकी छवि में भी तेज गिरावट हुई है और यह सिलसिला अब भी जारी है। कई राज्यों में वह दशकों से सत्ता से बाहर है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में वह 34 साल से सत्ता से न सिर्फ बाहर है, बल्कि उसकी जमीन दिनोंदिन सिमटती ही जा रही है। जबकि देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस राजनीतिक दलों में सबसे पुरानी पार्टी है। ऐसी स्थित में यह सवाल उठना लाजिमी है कि कांग्रेस में ऐसा क्या हुआ कि बीते दस वर्षों में उसका हर राजनीतिक दांव उल्टा ही पड़ रहा है और पार्टी लगातार नीचे की ओर उतर रही है। देश में जो लोग राजनीतिक और वैचारिक तौर पर भाजपा के खिलाफ मजबूत विकल्प और विपक्ष के हिमायती हैं, वे भी यही बात कह रहे हैं।
देखा जाय तो देश को हमेशा सख्त व्यक्तित्व के मजबूत नेता की आवश्यकता हमेशा महसूस होती रही है। लोकतंत्र में आरोप-प्रत्यारोप को भी खारिज कर दिया जाता हैं और निर्णय लेने में कोई हिचकता नहीं है, इसका सीधा लाभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पक्ष में होता दिखता है। नरेन्द्र मोदी पर विपक्ष तानाशाही और जुमलेबाज जैसे गम्भीर आरोप लगाते रह रहे, लेकिन विपक्ष के आरोपों को सिरे से नकारते जा रहे हैं। आम जनता धारा 370, राम मंदिर, तीन तलाक, सर्जिकल स्ट्राइक जैसे बोल्ड निर्णय और विदेशों में भारत की भूमिका को देशवासी अपना गौरव समझने लगे हैं। यही कारण है कि चुनाव में विपक्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने ठगा हुआ महसूस करते रह रहा है।
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