अभिलाषा ज्योति फाउंडेशन द्वारा आयोजित वार्षिकोत्सव में बालिकाओं को किया गया सम्मानित

अभिलाषा ज्योति फाउंडेशन द्वारा आयोजित वार्षिकोत्सव में बालिकाओं को किया गया सम्मानित


 दि• 11अप्रिल 2024 को अभिलाषा ज्योति फाउंडेशन का बालिका सशक्तिकरण को समर्पित वार्षिकोत्सव का आयोजन बी• आई• ए• के हाल में किया गया ।

     यह कार्यक्रम बालिकाओं का , बालिकाओं के लिए, बालिकाओं के द्वारा आयोजित था ।

      कार्यक्रम का शुभारम्भ   पद्मश्री सुधा वर्गीज, श्री राजेश्वर प्रसाद सिंह  (आई• ए• एस•)  , डा• अनिल सुलभ , अध्यक्ष हिन्दी साहित्य सम्मेलन, श्री राज कुमार नाहर , दूर दर्शन बिहार के निदेशक,  श्री के• पी• एस• केसरी, अध्यक्ष, बिहार इन्डस्ट्रीज एसोसिएशन तथा अभिलाषा ज्योति फाउंडेशन की अध्यक्षा श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव के साथ ही अभिवंचित वर्ग की  तीन बालिकाओं के   द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। 

    कार्यक्रम के प्रारंभ में अभिलाषा ज्योति फाउंडेशन  की सदस्या श्रीमती आशा अग्रवाल  ने संस्था के उद्देश्य , गतिविधि एवं आज के कार्यक्रम की रूप रेखा से अवगत कराते हुए कहा कि बालिकाओं के सर्वांगीण सशक्तिकरण के साथ ही उनका भावनात्मक एवं नैतिक सशक्तिकरण  आवश्यक है 

         वक्ताओं   ने कहा कि आज की  बालिकाएं ही कल की नारी है । सशक्त बालिका यानी सशक्त नारी , सशक्त समाज एवं सशक्त राष्ट्र। उन्होंने कहा कि आज की बालिकाएं एवं महिलाएं अब अबला नहीं रह गई है , वे काफी सशक्त हो चुकी है , वे हर क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना रही है। आवश्यकता है कि समाज उनके प्रति अपना दृष्टिकोण बदले ।

    कार्यक्रम  पांच सत्रों में आयोजित किया गया ।  उद्घाटन  सत्र के पश्चात् द्वितीय सत्र  में अभिवंचित वर्ग की बालिकाओं की संस्था *नारी गुंजन 



एवं  रेनबो होम्स* की बालिकाओं के द्वारा गीत, नृत्य एवं लघु नाटिका की  शानदार प्रस्तुति हुई।  

  तीसरे सत्र में *बालिका विमर्श* का आयोजन किया गया जो अत्यंत सार्थक कार्यक्रम था ।  एक पक्ष बालिकाएं  थी जो कल की नारियां होंगी । दूसरी पक्ष महिलाएं थी जो कल की बालिकाएं थीं ।बालिकाओं ने अपनी उड़ान के मार्ग में आ रहे अवरोधों  एवं लिंग भेद पर खुलकर अपने विचार प्रस्तुत किये। उनका कहना था कि बाल्यावस्था में माँ- पापा ही उन्हें बड़े- बड़े सपने दिखाते हैं 'उन्हें पंख और हौसला देते हैं।  किन्तु जैसे जैसे वे बड़ी होती जाती हैं, उनके पंखों  को कुतरने लगते हैं।बालिकाओं का  अनुरोध था -- *मत काटो मेरे पंख *।उन्हें अपने विकास के लिए खुला आकाश और ऊँची उड़ान के लिए पंख , अभिभावकों का हौसला और विश्वास चाहिए।  वहीं दूसरी ओर महिलाओं का कहना था कि बड़ी होती बालिकाओं के पंख नहीं काटना चाहती हैं, उनकी उम्र और सामाजिक वातावरण को देखते हुए भटकाव से बचाने के लिए केवल  उनकी उड़ान को नियंत्रित करना चाहती हैं। 

   चौथा  सत्र  था -- *विविधा* जिसमें आई• टी•‍आई •‍दीघा घाट की बालिकाओं के द्वारा लघु नाटिका की प्रस्तुति की गई । इसी सत्र में विभिन्न संस्थाओं की बालिकाओं के द्वारा उत्कृष्ट  नृत्य , गीत एवं   योगा की प्रस्तुति  हुई। 

   सुश्री   अराध्या , स्वीटी गुप्ता एवं मनस्वी  के नृत्य, सुश्री अंजलि भार्गव के गीत ने दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। योगांजलि  ॠषि के योगा की प्रस्तुति इतनी उत्कृष्ट थी कि इसके लिए प्रशंसा की झड़ी लग गई। 

    बालिकाओं के द्वारा बनाये गए स्केच तथा पेंटिंग प्रदर्शित किये गये जो अत्यंत सराहनीय थे ।

  अन्तिम सत्र पुरस्कार एवं सम्मान का था। जिसका वितरण वरिष्ठलेखिका डाॅ पूनमआनंद, आशा अग्रवाल, उषा ओझा आदि ने बच्चियों को सम्मान पत्र और मेडल भी दिया गया। आज के कार्यक्रम के सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र एवं मेडल्स देकर पुरस्कृत एवं प्रोत्साहित किया गया।  साथ ही 4 बालिकाओं को उनकी विशिष्ट उपलब्धि के लिए सम्मानित किया गया।  

    संपूर्ण कार्यक्रम का  उत्कृष्ट संचालन श्रीमती शिवानी गौड़ के  द्वारा किया गया ।i

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