पीएलएफ का पटना में शानदार औरतों का मुशायरा व कवि सम्मेलन का हुआ सफलतापूर्वक आयोजन

पीएलएफ का पटना में शानदार औरतों का मुशायरा व कवि सम्मेलन का हुआ सफलतापूर्वक आयोजन

 


 महिला मुशायरा व कवि सम्मेलन का उद्घाटन डॉक्टर सत्यजीत सिंह मैनेजिंग डाइरेक्टर रूबन मेमोरियल अस्पताल ने किया।                                                                

700 लोगों ने इस प्रोग्राम का लुफ्त उठाया

देश और विदेश की ख्याति कवित्रियों ने इस मुशायारा में शिरकत की

पटना, 07 मार्च, 2024: पटना लिट्रेरी फेस्टिवल (पीएलएफ) के तत्वाधान और पटना के प्रतिष्ठित रूबन मेमोरियल अस्पताल व शीतल बिल्डटेक के सहयोग से पटना स्थित रवींद्र भवन आॅडोटोरियम पटना में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के पूर्व संध्या पर भव्य महिला मुशायरा व कवि सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। महिला मुशायरा का उद्घाटन डॉक्टर सत्यजीत सिंह, मैनेजिंग डाइरेक्टर रूबन मेमोरियल हाॅस्पिटल पटना श्रीमती बिभा सिंह निदेशक रूबन मेमोरियल हाॅस्पिटल पटना, यासिर इमाम डाइरेक्टर शीतल बिल्डटेक, डाॅक्टर आयशा फातिमा सहित सम्मानित अतिथियों मिला दीप प्रज्वलन किया। इस अवसर पर पीएलएफ के फाउंडर और सचिव खुर्शीद अहमद ने कहा की महिलाओ के बगैैर पुरुषों की जीवन अधूरी है। उन्होंने कहा कि महिलाओ को सम्मानित करना जरूरी है। उनके सम्मान में महिला मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है और सबसे खुशी की बात है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के शुभ अवसर पर यह कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का आयोजन कराने के लिए 6 माह पहले से ये सोंच थी जो आज पुरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर की होती है। जैसा कि बिहार सरकार भी इसको महत्व दे रही है। इसी को देखते हुए प्रोग्राम किया गया है। इस कार्यक्रम में सभी महिलाएं ही हैं। शायरा के साथ-साथ संचालन, अध्यक्षता और ऐंकरिंग महिलाएं ही कर रही हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर सत्यजीत कुमार सिंह मैनेजिंग डाइरेक्टर रूबन मेमोरियल अस्पताल, श्रीमति बिभा सिंह, सम्मानित अतिथि यासिर इमाम डाइरेक्टर शीतल बिल्डटेक। डॉक्टर आईशा फातिमा ने आए हुए शायरात का मोमेंटो देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर शायरा ने डब्लू नुमाँ केक काट कर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का ज़श्न मनाया, इस दौरान मंच पर डॉ. सत्यजीत कुमार सिंह, खुर्शीद अहमद, यासिर इमाम, डॉ. आशीष सिंह, शिल्पी सिंह और पूर्व चीफ जस्टिस झारखंड रवि रंजन, प्रोफेसर सुनीता राय, पंकज चतुर्वेदी, फैजान अहमद, ओबैदूर रहमान, अपूर्व हर्ष, प्रेरणा प्रताप, अनूप शर्मा, राकेश रंजन, शिवजी चतुर्वेदी, अरशद रशीद मौजूद थे। मुशायरा की निजामत डॉक्टर शगुफ्ता यासमीन (दिल्ली) ने किया

जबकि अध्यक्षता मशहूर शायरा तारा इकबाल ने किया। कार्यक्रम की दूरदर्शन दिल्ली की एंकर तपस्या ने किया। इस अवसर पर शायरा की गजलें नज्में सुनने के लिए रवींद्र भवन खचाखच भरा हुआ था। जबरदस्त नजारा देखने को मिल रहा था। तमाम शायरा ने अपने-अपने कलाम से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। खुर्शीद अहमद जी ने कहा इस प्रोग्राम के खास बात ये है महिला दिवस पर महिला मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया मगर इसका नाम टैग लाइन मेन सेलिब्रेट इंटरनेशनल वोमेंस डे है। इसका मतलब ये है कि महिला दिवस को आज सभी हम मर्द लोग इन लोगों के साथ मिलकर सेलिब्रेट कर रहे हैं और इस मुशायरा के द्वारा शहर में खुशियां बांट रहे हैं।

शायरा शबीना अदीब (कानपुर यूपी) 

खमुश् लब हैं झुकी हैं पलकें

दिलों में उल्फत नई नई है। 

अभी तकल्लुफ है गुफ्तगु में

अभी मुहब्बत नई नई है। 


तारा इक़बाल (बरैली यूपी) 

हम जो आ जाते हैं युँ रोज मनाने तुमको, 

बे बसी है इसे कमजोरी ना समझा जाए। 

कुछ दूर तलक तो मेरे हमराह चलो तुम, 

कुछ दूर तलक तो मुझे होने का गुमां हो। 


डॉक्टर नुसरत मेहदी (भोपाल) 

आप शायद भूल बैठे हैं यहां मैं भी तो हूँ, 

इस जमीन और आसमां के दरम्यां मैं भी तो हूँ। 

आज इस अंदाज से तुमने मुझे आवाज दी, 

एक ब एक मुझको ख्याल आया कि हाँ मैं भी तो हूँ। 


लता हया (जयपुर, राजस्थान) 

औरत हूँ आईना नहीं टूट जाऊंगी, 

इन पत्थरों से और किसी  को डराइये। 

अर्शा तो होते ही सुनाने के लिए हैं, 

लेकिन ’हया’ के साथ इन्हें गंगुनाइये। 


हिना रिज़वी हैदर (पटना) 

अंधेरों को ये गुमां है कि बुझा देंगी चिराग, 

और चिरागों को यह जिद है कि उजाला हो जाए। 

टूट सकता है किसी पल भी समंदर का गरूर, 

मुँह अगर मोड़ लें दरिया तो ये प्यासा हो जाए। 

अलीना इतरत (दिल्ली) 

अभी तो चाक पे जारी है रक्श मिट्टी का,

अभी कुम्हार की नियत बदल सकती है। 

कोई मिला ही नहीं जिससे हाल दिल कहते, 

मिला तो रह गये लफ्जों के इंतखाब में हम। 


फौजिया रबाब (अहमदाबाद गुजरात) 

इश्क़ भी करना है घर के काम भी, 

ये मुसीबत भी नई है इन दिनों। 

मेरी साँसों में है तेरी खुशबू, 

मेरी मेहदी में तू ही रचता है। 


आयशा फरहान (लखनऊ)

हद्दे निगाह देखिये बनने के गम गुसार, 

उसको भी चुप कराइये जो रो नही रहा। 


ज्योति आजाद खत्री (ग्वालियर एमपी) 

तस्व्वरात की जागीर देखते रहना, 

हमारे ख़ाब की ताबीर देखते रहना, 

मैं सामने हूँ अभी गुफ्तगु करो मूझसे, 

कि बाद में मेरी तस्वीर देखते रहना। 


 प्रेरणा प्रताप (पटना) 

मैंने डरना नही सिखा, हारने के बाद हौसला शिक्नि। 

हादसात ने मुझे सिखाया, जहां खौफ हो वहां जाओ। 


 सपना मूलचंदानी (अजमेर, राजस्थान) 

दर्द दिल का उभर नहीं आता, 

जब तलक वह नजर नहीं आता। 

जिसके हिस्से में हो सफरनामे, 

उसके हिस्से में घर नहीं आता। 


तमाम शायरा के कलाम पर दर्शकों ने खूब तालियां बजाकर  हौसला अफजाई ।

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