बिहार एवं झारखंड में पुनः मेघगर्जन/ वज्रपात/ तेज हवा/ ओलावृष्टि की संभावना

बिहार एवं झारखंड में पुनः मेघगर्जन/ वज्रपात/ तेज हवा/ ओलावृष्टि की संभावना


तारीख: 18-03-2024

भारत मौसम विज्ञान विभाग के मौसम विज्ञान केंद्र, पटना से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार 19 से 21 मार्च, 2024 तक बिहार राज्य के उत्तर-पूर्व एवं दक्षिण भाग (विशेषकर गया, नवादा, बांका एवं जमुई) के एक या दो स्थानों पर मेघगर्जन/ वज्रपात एवं 30-40 किमी प्रति घंटा की गति से तेज हवाओं के भी चलने की संभावना है। इस दौरान राज्य के उत्तर एवं पूर्व भाग में भी कुछ स्थानों पर मेघगर्जन/ वज्रपात की संभावना है। संभवतः इस दौरान राज्य में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम स्तर की वर्षा हो सकती है। तत्पश्चात् राज्य के अधिकतम तापमान में 2-4°C तक गिरावट का भी पूर्वानुमान है। 

भारत मौसम विज्ञान विभाग के मौसम विज्ञान केंद्र, रांची से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार झारखंड राज्य में 18 से 20 मार्च, 2024 तक राज्य के दक्षिणी और निकटवर्ती मध्य भागों में गर्जन, वज्रपात एवं 30-50 किमी प्रति घंटा की गति से तेज हवाओं के चलने की संभावना है। कुछ स्थानों पर गर्जन के साथ हल्के से मध्यम स्तर की और एक या दो स्थानों पर भारी वर्षा का भी पूर्वानुमान है। राज्य में विशेषकर गुमला, खूंटी, रांची, सिमडेरा और पश्चिम सिंघभुम जिलों में कहीं-कहीं पर भारी वर्षा और ओलावृष्टि की भी संभावना है। ऐसे में सभी को सूचित किया जाता है कि, अद्यतन स्थिति पर नजर रखें एवं सतर्क रहें। 

संभावित प्रभाव: 

मेघगर्जन, वज्रपात, भारी वर्षा एवं ओलावृष्टि की स्थिति में जान-माल और पशुधन को नुकसान हो सकता है। 

वज्रपात, ओलावृष्टि एवं तेज हवाओं के कारण परिपक्वता पर पहुँच चुकी फसलों, फलों और सब्जियों को नुकसान हो सकता है। 

कच्चे घरों और पशु-घर का भी नुकसान हो सकता है।

तेज हवाओं के कारण आम और लीची के पुष्पन को नुकसान हो सकता है।

किसान बंधु क्या करें:

अगर मसूर या सरसों की फसल तैयार हो गई हो तो उसे काटकर सुरक्षित स्थान पर रख दें। 

परिपक्वता पर पहुँच चुकी सब्जियों जैसे भिंडी, लौकी, नेनुआ, खीरा, सतपुतिया, परवल, खरबूज  इत्यादि और फलों जैसे बेर, स्ट्रॉबेरी, आंवला, अमरूद इत्यादि को तोड़ कर सुरक्षित जगह पर रख दें। 

तरबूज के छोटे और बढ़ते फलों को बारिश से बचाव के लिए पुआल से ढक दें।  

खेतों में जल निकासी की व्यवस्था करें। यदि सम्भव हो तो इस जल को तालाब में डाल दें। सिंचाई को वर्षा/ओलावृष्टि होने तक न करें। 

यह आम और लीची के बौर का महीना है। हल्की से मध्यम स्तर की वर्षा रोगों को बढ़ावा दे सकती है। इसलिए फफूंदीजनक बीमारियों से बचाव हेतु कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्ल्यूजी का 2 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। 15 दिन बाद इस प्रक्रिया को पुनः दोहराएँ।

आम और लीची में कीटों के हमले को रोकने के लिए, थियामेथोक्साम 25% डब्ल्यूपी का 0.5 ग्राम/लीटर पानी दर से छिड़काव करें और 15 दिनों के बाद एक बार पुनः छिड़काव करें।

पूर्व में खुदे आलू का सुरक्षित स्थान पर भंडारण कर दें।⁠

मतस्यपालक तालाब में पानी के स्तर को 6-8 फीट तक बनाए रखें।    

वानिकी एवं फल वर्गीय छोटे पौधों को झाड़ियों या प्लास्टिक से ढक दें। 

पशुगृह के दरवाजे पर जूट या तिरपाल का पर्दा बांधें।

स्मार्ट फोन उपयोगकर्ता वज्रपात की अधिक सटीक जानकारी हेतु मोबाइल अप्लीकेसन “दामिनी” का उपयोग करें और समयानुसार ही अपने दैनिक खेती के कार्य करें।


किसान बंधु क्या न करें:

कृषक बंधु बिजली चमकने के दौरान खेतों में न जाएं, पेड़ों के पास आश्रय न लें और मौसम के साफ होने की प्रतीक्षा करें। 

ऊंचे पेड़ों एवं बिजली के खंबों से दूर रहें और मौसम के साफ होने तक निकटतम पक्के मकानों में ही रुकें। 

वर्षा, मेघ गर्जन ,वज्रपात एवं ओलावृष्टि के दौरान पशुधन को खुले स्थान पर न छोड़े। 

संभावित मध्यम स्तर की वर्षा फसलों के लिए पर्याप्त है अतएव खेतों में व्यर्थ सिंचाई न करें। 

तालाब में खाद/ गोबर का प्रयोग न करें।


यह कृषि मौसम परामर्श भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वैज्ञानिकों द्वारा दिया गया है।

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