गौरैया संरक्षण पर केंद्रित संजय कुमार लिखित ‘आओ गौरैया’ पुस्तक का हुआ लोकार्पण

गौरैया संरक्षण पर केंद्रित संजय कुमार लिखित ‘आओ गौरैया’ पुस्तक का हुआ लोकार्पण



20 मार्च: विश्व गौरैया दिवस : पटना जू में राजकीय समारोह 


पटना :20 मार्च 2024

विश्व गौरैया दिवस के मद्देनजर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग बिहार सरकार द्वारा पटना जू में गौरैया दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार की सचिव  बंदना प्रेयषी ने गौरैया संरक्षण पर केंद्रित पीआईबी-सीबीसी के उपनिदेशक और गौरैया संरक्षणविद् संजय कुमार लिखित पुस्तक "आओ गौरैया’ का लोकार्पण किया। साथ ही गौरैया ब्रोशर, गौरैया मोबाईल एप एवं बाल पुस्तक पत्रिका" का भी विमोचन किया। 

इस अवसर पर पी.के. गुप्ता, प्रधान मुख्य वन संरक्षक-सह-मुख्य वन्यप्राणी, प्रतिपालक, बिहार, अभय कुमार, निदेशक, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण, पटना, सत्यजीत कुमार, निदेशक, संजय गाँधी जैविक उद्यान, पटना, लेखक संजय कुमार, अजित झा,प्रो. डॉ मो नाजिम, विभागाध्यक्ष भूगोल विभाग,पटना विद्यालय मौजूद रहे।

मौके पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार की सचिव बंदना प्रेयषी ने कहा कि गौरैया संरक्षण की दिशा में लगातार प्रयास होना चाहिए और इस दिशा में विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। हम लोगों तक पहुँच रहे हैं। जागरूकता अभियान चल रहा है। ऐसे में गौरैया संरक्षण पर पुस्तक का आना महत्वपूर्ण है। पी.के.गुप्ता, प्रधान मुख्य वन संरक्षक-सह-मुख्य वन्यप्राणी, प्रतिपालक, बिहार ने कहा कि संजय कुमार लगातार गौरैया संरक्षण को लेकर प्रयास कर रहे हैं। इस अभियान में हर लोगों को जुड़ने की जरुरत है। क्योंकि गौरैया इन्सान के बिलकुल पास रहती है और इसके रहने से सुख, शांति और समृधि मिलती है। अभय कुमार, निदेशक, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण, पटना ने कहा कि गौरैया बिहार की राजकीय पक्षी है और इसका संरक्षण करना हमारा दायित्व है। पुस्तक के लेखक  पीआईबी -सीबीसी के उपनिदेशक और गौरैया संरक्षणविद् संजय कुमार ने कहा कि घर आंगन में चहकने -फुदकने वाली गौरैया धीरे- धीरे गायब हो रही हैं। गौरैया की कमी के कई कारण है। हालांकि स्टेट ऑफ़ इंडियनस बर्ड्स 2020 की रिपोर्ट को देखें तो भारत में गौरैया की संख्या पिछले 25 साल से स्थिर है लेकिन चौंकाने वाले आंकड़े भी हैं कि यह गायब होती जा रही है। इसके लिए मोबाइल टावर को लोग दोषी करा देते हैं, लेकिन जानकार आश्चर्य होगा कि 1950 और 70 के बीच गौरैया की संख्या बढ़ी थी और 1970- 90 के बीच इसकी संख्या में गिरावट आई थी, उसे वक्त मोबाइल टावर नहीं था। रूठने या गायब होने के कारण को तलाशे तो इसके लिए जिम्मेवार हम इंसान ही हैं। इसके वापसी का प्रयास जरुरी है। गौरैया की घर वापसी के लिए दाना पानी रखें, बॉक्स-पेड़ लगायें, साथ ही थोड़ा प्यार दें, अभियान ने असर छोड़ा है। “आओ गौरैया” पुस्तक में घर वापसी की कहानियां संयोजित है जो सन्देश देती है। संजय गाँधी जैविक उद्यान, पटना के निदेशक सत्यजीत कुमार ने कहा कि ‘आओ गौरैया’ पुस्तक गौरैया संरक्षण के लिए लोगों को जोड़ेगी ।

मौके पर पटना जू द्वारा "गौरैया स्टूडियो” का निर्माण कराया गया जिसमें प्रदर्शनी लगाई गयी।


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