बिहार एवं झारखंड में वर्षा, वज्रपात एवं ओलावृष्टि की संभावना
तारीख: 12-02-2024
भारत मौसम विज्ञान विभाग के मौसम विज्ञान केंद्र, पटना से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार 13 से 14 फरवरी, 2024 के मध्य राज्य के दक्षिण-पश्चिमी जिलों (बक्सर, भोजपुर, अरवल, कैमूर, रोहतास और औरंगाबाद) के अनेक स्थानों पर वर्षा की संभावना है। राज्य के उत्तर-पश्चिमी, दक्षिण-पश्चिमी एवं दक्षिण-पूर्वी जिलों में वज्रपात / मेघगर्जन के साथ ओलावृष्टि की भी संभावना है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के मौसम विज्ञान केंद्र, रांची द्वारा भी 13 से 15 फरवरी, 2024 तक पूरे रांची राज्य के लिए वर्षा एवं वज्रपात / मेघगर्जन का पूर्वानुमान है। गढ़वा, पलामू चतरा और लातेहार जिले में कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि की प्रबल संभावना है। गुमला, लोहदरगा, हजारीबाग, रांची और कोडरमा में भी कहीं-कहीं पर ओलावृष्टि की संभावना है। ऐसे में सभी को सूचित किया जाता है कि, अद्यतन स्थिति पर नजर रखें एवं सतर्क रहे।
किसान बंधु क्या करें:
पक चुकी सब्जियों जैसे टमाटर, फूलगोभी, बंद गोभी, मटर, फ्रास बीन, ब्रोकली, धनिया एवं पालक को तोड़ कर सुरक्षित जगह पर रख दें। सब्जी की नर्सरी के बचाव के लिए प्लास्टिक से ढक दें। सुरक्षित जगह पर रख दें।
मतस्यपालक तालाब में पानी के स्तर को 6-8 फीट तक बनाए रखें।
वानिकी एवं फल वर्गीय छोटे पौधों को झाड़ियों या प्लास्टिक से ढक दें।
दलहनी फसलों के लिए खेतों में जल निकासी की व्यवस्था करें।
ओलावृष्टि के बाद मौसम साफ हो जाने पर क्षतिग्रस्त फसलों पर 2% यूरिया का छिड़काव
करें। बादल छाए रहने पर फसलों पर माहू का प्रकोप बढ़ सकता है, इसलिए डाइमिथोएट 30% (1
मिली प्रति लीटर) अथवा थियामेथोक्साम 25% (0.25 ग्राम प्रति लीटर) का छिड़काव करें। स्मार्ट फोन उपयोगकर्ता वज्रपात की अधिक सटीक जानकारी हेतु मोबाइल अप्लीकेसन "दामिनी का उपयोग करें और समयानुसार ही अपने दैनिक खेती के कार्य करें।
किसान बंधु क्या न करें: कृषक बंधु बिजली चमकने के दौरान खेतों में न जाएं, पेड़ों के पास आश्रय न लें और मौसम के साफ होने की प्रतीक्षा करें।
ऊंचे पेड़ों एवं बिजली के खंबों से दूर रहे और मौसम के साफ होने तक निकटतम पक्के मकानों में ही रुके।
वर्षा, मेघ गर्जन, वज्रपात एवं ओलावृष्टि के दौरान पशुधन को खुले स्थान पर न छोडे। संभावित मध्यम स्तर की वर्षा गेहूं की फसल के लिए पर्याप्त है अतएव खेतों में व्यर्थ सिंचाई न करें।
तालाब में खाद / गोबर का प्रयोग न करें।
यह कृषि मौसम परामर्श भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वैज्ञानिकों द्वारा दिया गया है।
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