बिहार के पिछले 5 साल (2017 - 2022) के बजट पर बिहार सामाजिक अंकेक्षण जागरण फोरम द्वारा स्वेत पत्र जारी

बिहार के पिछले 5 साल (2017 - 2022) के बजट पर बिहार सामाजिक अंकेक्षण जागरण फोरम द्वारा स्वेत पत्र जारी


पटना (11 फरवरी, 2024) : सामाजिक अंकेक्षण लोकतंत्र का सबसे मजबूत हथियार हैं जिसके द्वारा नागरिक अपने सरकार के विभिन्न  अंगों का समय - समय पर अंकेक्षण कर सरकारी सेवाओं का मूल्यांकन कर सरकार को मिड टर्म कोर्स करेक्सन के लिए सुझाव दे सकते हैं। सामाजिक अंकेक्षण का एक हिस्सा हैं नागरिक रिपोर्ट कार्ड, जिसके द्वारा आम नागरिक सरकारी संस्थाओं का सही मूल्यांकन कर सकते हैं। इसी उद्देश्य से “सामाजिक अंकेक्षण जागरण फोरम” की परिकल्पना की गई है। लोकतंत्र में सही सवाल पूछना बहुत जरूरी हैं, और सही सवाल के लिए लोगों तक सही डाटा और फैक्ट्स पहुंचना जरूरी है। इसी कड़ी में आज बिहार के पिछले 5 साल ( 2017 - 2022) के बजट पर बिहार सामाजिक अंकेक्षण जागरण फोरम द्वारा एक स्वेत पत्र जारी किया गया है। उक्त बातें रविवार को फ्रजेर रोड स्थित पटना युथ हॉस्टल में प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए समाजसेवी एवं बिहार सामाजिक अंकेक्षण जागरण फोरम के सदस्य संजीव श्रीवास्तव ने कही। उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल के क्रिया कलापों के ब्योरा के साथ हमारे कुछ सुझाव भी हैं, इस उम्मीद के साथ की नई सरकार इस सकारात्मक सुझाव पर ध्यान देगी तथा लोग अपने नेताओं से सही सवाल पूछना शुरू करेंगे। इस अवसर पर उपस्थित बिहार के सेवानिवृत्त डीजीपी अभयानंद एवं सेवानिवृत्त सीनियर ऑडिट ऑफिसर सत्येंद्र नारायण सिंह ने भी इस बिहार बजट पर अपने - अपने सुझाव दिए। संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि वर्ष 2017 से 2022 तक बिहार बजट प्रावधान का रु. 3,23,215.97 करोड़ रुपए खर्च नहीं किए, चाहे अब जो भी हुआ हो, सरकार राशि को व्यवस्थित न कर पाई हो या कार्यपालिका कार्य न कर पाई हो, ये हमारा मुद्दा नहीं, हमारा मकसद हैं की सरकार वास्तविक बजट पेश करे ताकि लोग खुद को ठगा हुआ ना महसूस करे। ऐसा न लगे की सरकार ने सिर्फ दिखाने के लिए बजट बनाया था और नियत नहीं थी विकास एवं रोजगार के सृजन का। नए वित्त मंत्री से बड़ी उम्मीद हैं और हमारा सुझाव हैं की प्लान्स का मासिक रिव्यु कर मिड कोर्स करेक्शन करती रहे ताकि एक ही साल में बिहार का नक्शा बदल जाए। हर जिले में एक मेडिकल, एक इंजिनीरिंग व एक मैनेजमेंट कॉलेज बनाया जा सकता हैं जिससे जो स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड का पैसा बाहर चला जा रहा हैं वो राज्य में ही रहेगा। उन्होंने कहा कि अब तो देश में भी विरोध होने लगा हैं, यूं लगता हैं जैसे हम लोग दूसरे प्रदेशों पर बोझ बनते जा रहे हैं। 


बिहार सामाजिक अंकेक्षण जागरण फोरम द्वारा प्रस्तुत स्वेत पत्र के प्रमुख बिंदु : 


1. वर्ष 2021 - 2022 में कुल रु. 2,65,396.87 करोड़ का प्रावधान था जिसमें रु. 1,94,202.20 करोड़ का ही व्यय किया गया। कुल बचत 71194.67 करोड़ में से केवल रु. 9878.08 ही सरेंडर किया जा सका, यह वित्तीय अनुशासन के विपरित हैं, इसपर सरकार को ध्यान देना होगा। 

2. वर्ष 2021-2022 में बिहार के प्रति व्यक्ति आय रुपए 54383.00 थी जबकि उत्तर प्रदेश की रुपए 79396.00, झारखंड रुपए 88535.00, मध्यप्रदेश रुपए 137339, बंगाल रु. 157254.00 एवं ओडिशा रूपये 139995 थी, ये एक बेहद सोचनीय बिंदु है और बजट से ही इसका समाधान निकलेगा। 

3. वर्ष 2017 से 2022 की अवधि में सिर्फ 3 विभागों में खर्च नहीं की गई राशि रु. 76528.29 करोड़ थी, शिक्षा विभाग 52031.51 करोड़ यानी हर जिला में 2 मेडिकल कॉलेज, 2 इंजीनियरिंग कॉलेज और 5 मैनेजमेंट कॉलेज, पंचायती राज 16660.60 करोड़, सोचिए इतने रुपए में गांव कहां पहुंच जाते। कृषि विभाग 7836.18 करोड़, इससे हर जगह मंडी बनाई जा सकती थी, कोल्ड स्टोरेज चेन लग सकता था, या सिंचाई का काम हो सकता था। 

4. वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की आवंटित राशि का 2017. 29 करोड़ रु (75.73 प्रतिशत तक) का खर्च बिहार सरकार द्वारा नहीं किया गया। 

5. वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग की आवंटित राशि का 2222.16 करोड़ रु. (24.11 प्रतिशत से 30.16 प्रतिशत तक) का खर्च बिहार सरकार द्वारा नहीं किया गया। 

6. वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक पंचायती राज विभाग की आवंटित राशि का 16660.60 करोड़ रु. (39 प्रतिशत तक) का खर्च बिहार सरकार द्वारा नहीं किया गया। 

7. वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक कृषि विभाग की आवंटित राशि का 7836.18 करोड़ रु. (38 प्रतिशत से 55 प्रतिशत तक) का खर्च बिहार सरकार द्वारा नहीं किया गया। 

8. वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक शिक्षा विभाग की आवंटित राशि का 52031.51 करोड़ रु. (24 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक) का खर्च बिहार सरकार द्वारा नहीं किया गया। 

9. वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की आवंटित राशि का 2017. 29 करोड़ रु. (75.73 प्रतिशत तक) का खर्च बिहार सरकार द्वारा नहीं किया गया।  

10. वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक बिहार सरकार ने 3,23,215. 97 करोड़ रुपये व्यय नहीं किये, सरकार की नियत होनी चाहिए की इस पैसे से सभी प्रखंडों में 10-10 माध्यम दर्ज़े के उद्योग स्थापित किया जा सकते थे जिससे करीब 13.50 लाख लोगो को रोजगार मिल सकता था। 


कुछ विभागों की समीक्षा हमने कर दी हैं, साथ ही एक क्यूआर दे रहे हैं जहां से आप और नागरिक बाकी विभागो के परफॉरमेंस का स्वाध्याय कर सकते है और हमारे द्वारा दिए हुए डाटा की ऑथेंटिसिटी चेक कर सकते हैं। आगे हमारा इरादा पूरे बिहार में गांव के स्तर पर सामाजिक अंकेक्षण बनाने का हैं ताकि भ्रष्टाचार पर चर्चा, विभागों और अधिकारियों के कार्यकलापों की चर्चा गांव के स्तर पर हो सके।

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