पीएमसीएच में दुर्लभ सर्जरी से कुबड़ेपन से दिलाई मुक्ति टीबी की वजह से रीढ़ की हड्डी सड़कर हो गयी थी टेढ़ी एक दिन में दो दुर्लभ सर्जरी को दिया अंजाम
पटना।
पीएमसीएच में एक दिन में स्पाइन की दो दुर्लभ सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। ये दोनों सर्जरी स्पाइन सर्जरी के विशेषज्ञ डॉ. महेश प्रसाद की अगुवाई में हुई। इनमें एक सर्जरी ऐसी थी जिसमें स्पाइन में टीबी की वजह से रीढ़ की हड्डी सड़कर टेढ़ी हो गयी थी। मरीज को दो साल से टीबी था। इसके कारण धीरे-धीरे उसकी रीढ़ की हड्डी सड़कर टेढ़ी और कमजोर हो गयी थी। इस वजह से वह ठीक से चल नहीं पाता था। चलते-चलते झुक जाता था। उसे काफी दर्द भी रहता था। उसकी पीठ की हड्डी निकल गयी थी। जिसे आम भाषा में लोग कुबड़ा हो जाना भी कहते हैं। आमतौर पर यह स्थिति बुढ़ापे में आती है मगर रीढ़ की हड्डी में टीबी के कारण उसे यह समस्या सिर्फ 20 साल की उम्र में झेलनी पड़ रही थी।
डॉ. महेश प्रसाद की अगुवाई में उसका ऑपरेशन हुआ। तीन घंटे से ज्यादा का समय लगे इस ऑपरेशन के दौरान 200 - 300 एमएल मवाद निकाला गया और फिर रीढ़ की हड्डी को सीधा किया गया। इसके बाद नस को फ्री कराया गया।
दूसरी सर्जरी गर्दन की हुई जिसमें गिरने के कारण मरीज के गर्दन की हड्डी डिस्लोकेट (अपने मूल जगह से खिसक गयी थी) कर गयी थी। जिसके कारण नस में दबाव बन गया था। मरीज के दोनों हाथ और दोनों पैर कमजोर हो गए थे। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि वह पैरालाइज्ड हो गया था। गर्दन की हड्डी काफी नाजुक होती है। इसकी सर्जरी में बारीक से बारीक चीजों को ध्यान से देखना होता है। मगर डॉक्टरों ने अपने अनुभव से इस सर्जरी को भी सफल बनाया।
डॉ. महेश प्रसाद की अगुआई में हुई इन दोनों सर्जरी में डॉ. मनीष रंजन, डॉ. सौरभ, डॉ. अमन, डॉ. सुभाष, डॉ. विवेक, डॉ. सत्यजीत, डॉ. पुष्कर और डॉ. चांद शामिल रहे।
ऑपरेशन के बाद डॉ. प्रसाद ने बताया कि स्पाइन में टीबी के मरीज के डिफॉरमिटी करेक्शन का पीएमसीएच में यह संभवत: पहला मामला है। जो कि सफल रहा। मरीज सुरक्षित है और डॉक्टरों को उम्मीद है कि वह तेजी से रिकवर करेगा। साथ ही खुद के बूते चलने लगेगा। डॉ. महेश प्रसाद यह भी जोड़ते हैं कि पीएमसीएच जैसे संस्थान में सीमित संसाधनों के साथ ऐसी सर्जरी जो कि निजी अस्पतालों में काफी खर्चिली होती है, बहुत ही दुर्लभ और मुश्किल है। मगर डॉक्टरों के कठिन प्रयास और सूझ-बूझ से ऐसी सर्जरी सफल हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्राचार्य विद्यापति चौधरी, अधीक्षक आईएस ठाकुर और विभागाध्यक्ष डॉ. भरत सिंह के सहयोग के बिना ऐसी मुश्किल सर्जरी संभव नहीं थी। वे कहते हैं कि इस तरह की सर्जरी न सिर्फ गरीब-जरूरतमंद मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है बल्कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे युवा छात्रों को सीखने का एक बेहतरीन विकल्प भी मिल रहा है।
बता दें कि डॉ. महेश प्रसाद को इसी तरह की सर्जरी के लिए हाल ही में बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के हाथों सम्मानित किया गया था।
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