‘‘अब रोक युधिष्ठिर को न यहाँ‘‘ की भव्य प्रस्तुति

‘‘अब रोक युधिष्ठिर को न यहाँ‘‘ की भव्य प्रस्तुति


विश्वमोहन चौधरी"सन्त" की रिपोर्ट

पटना

   अहसास कलाकृति, पटना द्वारा संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार तथा कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार के सौजन्य से पटना के कालिदास रंगालय में डॉ0 प्रमोद कुमार सिंह लिखित एवं कुमार मानव निर्देशित हिन्दी नाटक ‘‘अब रोक युधिष्ठिर को न यहाँ‘‘ की दमदार प्रस्तुति देखने को मिली।

  कार्यक्रम की शुरूआत उद्घाटनकर्ता अभिमन्यु दास, अवर सचिव, निगरानी विभाग(अ0प्रा0), मुख्य अतिथि प्रमोद कुमार सिंह, अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय तथा विशिष्ट अतिथि सैयद अता करीम, वरिष्ठ रंगकर्मी, विश्वमोहन चौधरी ‘‘संत‘‘, वरिष्ठ पत्रकार, जितेन्द्र कुमार सिंह, प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर, रेलवे चिल्ड्रेन इण्डिया के कर कमलों द्वारा हुआ। 

   नाटक में स्त्री संघर्ष को दर्शाया गया। सदियों से नारी को शोषित और प्रताड़ित होना पड़ा है और आज भी पितृ सत्तात्मक समाज नारीयों को अपनी संकीर्ण मानसीकता से चोट पहुँचाने का काम करते हैं जो समाज के विकास में बाधक है। 

   नाटक में भाग लेने वाले कलाकार में मुख्य पात्र कामिनी की भूमिका में रंगोली पांडे ने अपने चरित्र के साथ न्याय किया। नाटक के निर्देशक कुमार मानव ने बाबू साहब की भूमिका निभाकर पात्र को जीवंत कर दिया। दर्शकों से उन्हें भरपूर सराहना मिली। सोमा बाई का चरित्र निभाकर अर्चना कुमारी ने दर्शकों को आंदोलित किया, हिजड़ा की छोटी भूमिका में भी मंतोष कुमार और सतपाल की भूमिका में राजकिशोर पासवान ने छाप छोड़ी। पंडित की भूमिका में भुनेश्वर कुमार, पंडिताइन की भूमिका में हेमा कुमारी, नेता की भूमिका में विजय कुमार चौधरी, विजय की भूमिका राहुल पाठक ने बखूबी निभाई। वरिष्ठ रंगकर्मी सरबिन्द कुमार ने गेहुमन सिंह की भूमिका निभाकर दर्शकों की वाहवाही लूटी।  

   मंच से परे कलाकारों में मंच संचालन मानसी कुमारी, प्रकाश परिकल्पना ब्रहम्मानन्द पांडेय, मंच परिकल्पना संतोष कुमार व बलराम कुमार, रूपसज्जा माया कुमारी, संगीत संयोजन डॉ0 शैलेन्द्र जोसेफ व मयंक कुमार तथा वस्त्र विन्यास अनिता शर्मा ने किया।

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