
*बिलकिस बानो मामले में देर से आया न्याय, फिर भी तहे दिल से स्वागत*
भाकपा- माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि
भारत की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर गुजरात 2002 के दोषियों को न केवल चयनात्मक छूट दी गई थी, बल्कि एक नायक के बतौर उनका स्वागत किया गया था और 'संस्कारी' होने का प्रमाणपत्र दिया गया था।
आज सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को वापस जेल लौटने को कहा है. न्याय में देरी न्याय न मिलने के समान है। लेकिन इस अंधेरे समय में बिलकिस बानो मामले में देर से आया न्याय भी तहे दिल से स्वागत का पात्र है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार पर 'सत्ता हड़पने और उसका दुरुपयोग' करने और भौतिक तथ्यों को दबाने का आरोप लगाया है.
0 Response to " *बिलकिस बानो मामले में देर से आया न्याय, फिर भी तहे दिल से स्वागत* "
एक टिप्पणी भेजें