औषधीय खेती से होगी बिहार की आर्थिक वृद्धि - टीकेडीएल में आधे से ज्यादा आयुष के सुरक्षित नुस्खे यूनानी चिकित्सा पद्धति के हैं।

औषधीय खेती से होगी बिहार की आर्थिक वृद्धि - टीकेडीएल में आधे से ज्यादा आयुष के सुरक्षित नुस्खे यूनानी चिकित्सा पद्धति के हैं।


 पटना 

 "लोगों के बदलते रुझान और लोगों के बीच आयुष की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि निकट भविष्य में औषधीय पौधों की बड़े पैमाने पर खेती की जरूरत होगी और इससे इसकी खेती को बढ़ावा मिलेगा।" देश-विदेश में भी औषधीय पौधे। बिहार के लोगों के लिए स्वास्थ्य और रोजगार के नये अवसर उपलब्ध कराये जायेंगे। हम सभी जानते हैं कि औषधीय पौधे प्राचीन काल से ही हमारी सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा रहे हैं, लेकिन कोरोना महामारी के बाद औषधीय पौधे और हर्बल जड़ी-बूटियाँ पूरी दुनिया में फैल गई हैं। इसने एक नया मानक स्थापित किया है और वैश्विक स्तर पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। कल बिहार में औषधीय पौधों के विकास पर प्रांतीय स्तर के सम्मेलन में ये मुख्य शब्द थे। राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड के क्षेत्रीय केंद्र आरसीएफसी कोलकाता द्वारा आयोजित कार्यशाला में क्षेत्रीय निदेशक डॉ. संजय बाला ने अधिकारियों से यह बात कही।

 कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में राजकीय मेडिकल कॉलेज के वर्तमान प्राचार्य डॉ. मुहम्मद तनवीर आलम, दो शिक्षक डॉ. मुहम्मद अनस और डॉ. मुहम्मद निज़ामुद्दीन के साथ शामिल हुए।  डॉ. तनवीर ने अपने संबोधन में कहा कि यूनानी चिकित्सा पद्धति में लगभग 2000 पौधों का उल्लेख है, लगभग 100 खुराक रूप हैं और लगभग 75000 यौगिक नुस्खे हैं।  भारत की सरकारी एजेंसी टीकेडीएल में आयुष के आधे से ज्यादा सुरक्षित नुस्खे यूनानी चिकित्सा के हैं।  इसलिए, यदि कोई बिहार में पाई जाने वाली हर्बल दवाओं के क्षेत्र में एनएमपीबी अनुसंधान करना चाहता है, तो सरकारी मेडिकल कॉलेज, पटना द्वारा हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।

   उद्घाटन सत्र में अतिथि के रूप में बोलते हुए बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री केपीएस केशवारी ने कहा कि वर्तमान समय में बिहार के किसान बड़े पैमाने पर औषधीय पौधों की खेती कर इसका औद्योगीकरण कर अधिकतम लाभ उठा सकते हैं.  बिहार उद्योग संघ हर्बल उद्योग स्थापित करने वाले नये उद्यमियों को हरसंभव सहयोग देगा.आयुर्वेद कॉलेज पटना के पूर्व प्रोफेसर डॉ. दिनेश्वर प्रसाद एवं डॉ. अजय कुमार सिंह ने औषधीय पौधों की खेती एवं निर्माण में गुणवत्ता नियंत्रण पर विशेष चर्चा की. आयुर्वेद चिकित्सा से औषधि  कार्यशाला के तकनीकी सत्र में बोलते हुए वरिष्ठ विज्ञानक डॉ. शिवनाथ दास ने औषधीय पौधों की खेती से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विशेष चर्चा की।  करिया किसान कंपनी बेंगलुरु के आशीष सोमानी ने बिहार के लिए उपयोगी शतावर, सर्पगंधा, ब्राह्मी, तुलसी, सफेद मोसली आदि औषधीय पौधों के विपणन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।  कार्यक्रम में भाग लेते हुए किसानों, व्यापारियों, विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधियों तथा विभिन्न एजेंसियों के अधिकारियों एवं प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

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