*भिखारी ठाकुर के रचे गए नाटक और गीत आज के सन्दर्भ में भी प्रासंगिक- श्री जितेन्द्र कुमार राय, मंत्री*

*भिखारी ठाकुर के रचे गए नाटक और गीत आज के सन्दर्भ में भी प्रासंगिक- श्री जितेन्द्र कुमार राय, मंत्री*


 *भिखारी ठाकुर की रचनाओं के केंद्र में है स्त्रियोंके मनोभाव  वियोग और उनकी व्यथाओं का चित्रण*


भिखारी ठाकुर की जयंती पर दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम “भिखारी द किंग” का हुआ शुभारंभ 

18 दिसम्बर 2023

आज पटना के नृत्य कला मंदिर के सभागार में बिहार के विरासत तथा बिदेसिया के जनक भिखारी ठाकुर की जयंती (18 दिसंबर) के अवसर पर कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार के सौजन्य से  भिखारी ठाकुर रंगमंडल प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र के द्वारा “ भिखारी द किंग " नामक दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का उदघाटन  माननीय मंत्री, कला संस्कृति कला संस्कृति एवं युवा विभाग श्री जितेन्द्र कुमार राय, अपर मुख्य सचिव, श्रीमती हरजोत कौर बम्हरा, नाच कला के लब्ध प्रतिष्ठित कलाकर लखिचंद मांझी, निदेशक,  श्रीमती रूबी एवं अन्य अतिथियों की उपस्थिति में दीप प्रज्वल्लित कर किया गया । इस अवसर पर सभी अतिथियों ने स्वर्गीय भिखारी ठाकुर के चित्र पर माल्यार्पण किया। 

माननीय मंत्री *श्री जितेन्द्र कुमार राय* ने कहा कि यह मेरे लिए गर्व कि बात है कि मैं भिखारी ठाकुर  के गृह जिले से हूँ। अपने समय में ही भिखारी ठाकुर  जी ने स्वस्थ और समतामूलक समाज का निर्माण कैसे हो, इसपर केंद्रित नाटक और गीत रचे थे । उनके द्वारा रचे गए नाटक और गीत आज के सन्दर्भ में भी प्रासंगिक हैं जो उनकी दूरदर्शी सोच को दर्शाता है। बिहार की जो संस्कृति और पहचान रही है उसे आगे बढ़ाने में कलाकरों की भूमिका महत्वपूर्ण है और बिहार सरकार कलाकरों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा विभिन्न विधाओं के विद्वानों पर कार्य किया जा रहा है। 

अपर मुख्य सचिव *श्रीमती हरजोत कौर बम्हरा* ने कहा कि आज भिखारी ठाकुर जी के 136 वी जयंती पर भिखारी द किंग नामक इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। भिखारी ठाकुर जी ने  सामाजिक कुरीतियों पर लगभग दर्जन भर से ज़्यादा नाटक एवं गीत लिखे हैं। उन्होंने नाटक भी ऐसे रचे हैं, जो आम लोगों के लिए सहज, सरल सीधी भाषा में हैं। उनके नाटकों ने लोगों की मानसिकता को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंनें स्त्रियोंके मन, उनके भाव, वियोग और उनकी व्यथाओं का चित्रण बहुत ही सुन्दर और सहज ढंग से किया था। श्रीमती कौर ने कहा कि आज के इस अवसर पर भिखारी ठाकुर जी के शिष्य एवं उनके साथ कार्य कर चुके श्री लखिचन्द माँझी जी को नाच कला में जीवनपर्यंत उत्कृष्ट योगदान के लिए कला संस्कृति एवं युवा विभाग (बिहार सरकार) द्वारा "बिहार कला पुरस्कार" के तहत लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्कार (प्रदर्श कला) से सम्मानित किया जा रहा है ।    

कार्यक्रम  के दौरान श्री लखिचन्द माँझी को बिहार कला सम्मान के तहत एक लाख रुपये की राशि एवं प्रतिक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान उन्होंने भिखारी ठाकुर रचित सोहर गाया। 

कार्यक्रम के दौरान “नई पीढ़ी और भिखारी ठाकुर” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। तिगोला सांगितिक प्रस्तुति विश्व प्रसिद्ध गायिका कल्पना पटवारी, पद्मश्री रामचंद्र माँझी जी की शिष्या प्रसिद्ध लोकगायिका सरिता साज़ एवं भोजपुरी विरासत के ठेंठ गायक रामेश्वर गोप के द्वारा किया। इस डरूँ इन तीनों कलाकरों की मनमोहर प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। भिखारी ठाकुर कृत गबरघिचोर नाटक का मंचन डॉ. जैनेन्द्र दोस्त के निर्देशन में किया गया ।

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