*क्या भारत में वरिष्ठ नागरिक होना अपराध है?*
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 23 सितम्बर ::
सेवा निवृत सरकारी सेवक हो या वरिष्ठ नागरिक, भारत में, 70 वर्ष की उम्र सीमा पार करने के बाद, चिकित्सा बीमा के लिए अयोग्य (पात्र नहीं) हो जाते हैं, वहीं उन्हें किसी तरह का ऋण ईएमआई पर मिलना बंद हो जाता है। बने हुए ड्राइविंग लाइसेंस भी नवीकरण करना भी सरकार बंद कर देती है। लोग उन्हें बूढ़ा बाबा से संबोधित करने लगते है। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने के वाबजुद उन्हें कोई काम नहीं दिया जाता है, ऐसी स्थिति में वे दूसरों पर निर्भर रहने जाते हैं, और लोग कहने लगते है कि वह बूढ़ा, उस पर बोझ है।
देखा जाय तो उन्होंने सेवानिवृत्ति की उम्र यानि 60 वर्ष तक सभी प्रकारों के करों (टैक्स), सभी तरह की बीमा प्रीमियम का भुगतान, किसी तरह का ऋण पर ईएमआई का भुगतान करता था। लेकिन जब सेवा निवृत्त होकर, सीनियर सिटीजन बनने के बाद भी, उन्हें सारे टैक्स चुकाने होते हैं और चुकाते हैं। परंतु अन्य सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है।
संसद में एक महिला सांसद ने बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया था, उन्होंने अपने भाषण कहा था कि वरिष्ठ नागरिकों को मार डालो। सरकार को सभी वरिष्ठ नागरिकों को मार देना चाहिए। क्योंकि सरकार इन राष्ट्र निर्माताओं पर ध्यान देने को तैयार नहीं है। "क्या भारत में वरिष्ठ नागरिक होना अपराध है?"
भारत में, वरिष्ठ नागरिकों के लिए फिलहाल कोई योजना नहीं है। रेलवे में मिलने वाली 50 फीसदी छूट भी करोना काल से बंद कर दी गई है। वहीं दूसरी तरफ विधायक, सांसद, मंत्री पद पर बैठे वरिष्ठ नागरिकों को हर संभव लाभ दिया जा रहा है। सरकार समझती है कि वरिष्ठ नागरिकों के पास सरकार बदलने की ताकत है, उन्हें नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। फिर भी नजरअंदाज कर रही है।
देखा जाय तो सरकार वरिष्ठ नागरिक का शोषण कर रही है। सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने पर भी आयकर के दायरे में रहता है। लेकिन सरकारी सभी तरह के लाभ से वंचित हो जाता है।
जबकि उनके पास सरकार बदलने का जीवन भर का अनुभव होता है। इसलिए सरकार को उन्हें कमजोर नहीं समझना चाहिए। बल्कि वरिष्ठ नागरिकों के लाभ के लिए बहुत सारी योजनाओं को चलाने की आवश्यकता है। वरिष्ठ नागरिकों को रेलवे, बस और हवाई यात्रा में रियायत, अंतिम सांस तक बीमा अनिवार्य होना चाहिए और प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा किया जाना चाहिए, अदालती मामलों को शीघ्र निर्णय के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए, शहरों में सभी सुविधाओं से युक्त वरिष्ठ आश्रय स्थल होना चाहिए, जैसे लाभों पर सरकार को विचार करना चाहिए। वर्तमान सरकार, जो हर समय ईमानदार रहती है और "सब का साथ, सब का विकास" की बात करती है, फिर वरिष्ठ नागरिकों के प्रति उदासीन क्यों है?
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