*चंद्रयान-3 भारत के लिए गौरव की बात*

*चंद्रयान-3 भारत के लिए गौरव की बात*


जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 26 अगस्त  ::


भारत के चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से दुनिया के वैज्ञानिक अचंभित है। वहीं देश में खुशी का माहौल है, जो वाजिब भी है। चंद्रयान-3 मिशन के “विक्रम लैंडर” का चांद पर सफलता  पूर्वक उतरना इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) की तकनीकी क्षमताओं का प्रभावी प्रदर्शन कहना न्यायोचित होगा। यह मिशन महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाक्रम है।


“विक्रम लैंडर” की लैंडिंग से पहले हाल ही में रूस का चंद्रमा पर पहुंचने का अभियान विफल हो गया था और उसके बाद चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जहां इससे पहले कोई नहीं पहुंचा था वहाँ सफल लैंडिंग होना वैज्ञानिकों को अचंभित करना भी लाजमी है। यह कहा जा सकता है कि चंद्रमा पर भारतीय तिरंगा लहराने का संकल्प को भारत ने साकार किया है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग कराना मुश्किलों के महासागर को पार करने जैसा था। इस सफलता को अमृतकाल की सफलता कहा जा सकता है। हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत और  देश के प्रधानमंत्री का संकल्प मिलकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक जहां इससे पहले कोई भी देश नहीं पहुंचा था वहाँ अकेले भारत पहुँच कर पहला देश बना है। यह हर भारतीय के लिए गौरव की बात है।


चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भारत के चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ ही भारत चाँद पर पहुँचने वाले चौथा देश बन गया है। इससे पहले चाँद पर पहुँचने वाले देशों में अमेरिका, चीन और रुस है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव बने गड्ढों में 2 अरब वर्षों से सूर्य की रोशनी नहीं पहुँची है। यहाँ का तापमान -230 डिग्री सेल्सियस तक कम होने की संभावना है। माना जा रहा है कि यहाँ कम तापमान रहने के कारण यहाँ की मिट्टी में जमा चीजें लाखों वर्ष से यथावत है। चंद्रयान-3 की रिसर्च से सौर परिवार के जन्म , चंद्रमा और पृथ्वी के जन्म के रहस्यों जैसी कई जानकारियाँ मिल सकती है। अनुमान है कि चंद्रयान-3 सतह पर मिट्टी और प्लाज्मा के घनत्व का विश्लेषण, सतह के नीचे के ताप संचालन का संभावित अध्ययन और स्थानीय भूकंप संबंधी हालात का भी अध्ययन करेगा। अनुमान है कि 14 दिन तक यानि एक चंद्र दिवस (पृथ्वी पर 14 दिन, चंद्रमा पर एक दिन होता है) तक सक्रिय रहेगा और इसके अध्ययनों के परिणाम से हमारी जानकारी बढ़ेगी।


चंद्रयान-3 में चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर के साथ चार प्रमुख उपकरण लगाए गए हैं जिसमें सबसे महत्वपूर्ण 26 किलो वजन का प्रज्ञान रोवर है।  विक्रम ब्लेंडर के साथ पांच महत्वपूर्ण उपकरण में (1) शेप (स्पेक्टरों पोलिरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लेनेट अर्थ), (2) एल्सा इंस्ट्रूमेंट पर लूनर सीस्मिक एक्टिविटी ),  (3)  रंभा (रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाइन्ड हाइपर सेंसेटिव आइनोस्फीयर एन्ड एटमॉस्फेयर (4) चास्टें (चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट) (5) एलआरऐ ( लेजर रेट्रो रिफ्लेक्टर) यह सभी उपकरण चंद्रमा पर उपस्थित तमाम तत्व, पानी, ऑक्सीजन और वैज्ञानिक अनुसंधान हेतु उपयोगी तत्वों की खोज करेगा। 


इसके अतिरिक्त इसरो द्वारा सूर्य के लिए एक मिशन रवाना किया जाएगा यह मिशन भारत का पहला सूर्य मिशन होगा और इसे भेजने की तैयारी पूरी की जा रही है। 


इसरो भारतीय संचार अधोसंरचना में भी अहम हिस्सेदार है। यह मौसम सेवाओं, भौगोलिक और जियो मैपिंग सूचनाओं के बारे में भी अहम जानकारी मुहैया कराता है। इसके अलावा यह उपग्रह प्रक्षेपित करने के मामले में भी वाणिज्यिक रूप से भी सफल और किफायती है।

           

0 Response to " *चंद्रयान-3 भारत के लिए गौरव की बात* "

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article