बाल श्रम के उन्मूलन हेतु जिला-स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक का आयोजन, नियमित तौर पर बाल श्रम संवेदीकरण कार्यशाला एवं धावा दल का संचालन करने का डीएम ने दिया निदेश

बाल श्रम के उन्मूलन हेतु जिला-स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक का आयोजन, नियमित तौर पर बाल श्रम संवेदीकरण कार्यशाला एवं धावा दल का संचालन करने का डीएम ने दिया निदेश

विमुक्त बाल श्रमिकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं से आच्छादित करेंः डीएम ने पदाधिकारियों को दिया निर्देश 
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बाल श्रम के उन्मूलन के लिए अंतर्विभागीय समन्वय की आवश्यकता पर डीएम ने दिया बल
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बंधुआ मजदूरी प्रथा उन्मूलन अधिनियम, 1976 के तहत जिला निगरानी समिति की भी बैठक हुई, सभी स्टेकहोल्डर्स को अधिनियम का अक्षरशः अनुपालन करने का ज़िलाधिकारी ने दिया निदेश 
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पटना, बुधवार, दिनांक 24.12.2025: जिला पदाधिकारी, पटना डॉ. त्यागराजन एस.एम. की अध्यक्षता में आज समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में बाल श्रम उन्मूलन हेतु गठित जिला-स्तरीय टास्क फोर्स की मासिक बैठक हुई। इस बैठक में जिले में बाल श्रमिकों की पहचान, विमुक्ति, पुनर्वास एवं बाल श्रम के उन्मूलन हेतु की गई कार्रवाइयों की समीक्षा की गई।ज़िलाधिकारी ने बाल श्रम के उन्मूलन हेतु अन्तर्विभागीय समन्वय की आवश्यकता पर बल देते हुए विमुक्त बाल श्रमिकों तक सरकार की विभिन्न लोक कल्याणकारी एवं विकासात्मक योजनाओं का लाभ पहुँचाने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं, शिक्षा, पुलिस, स्वास्थ्य, विधि, समाज कल्याण विभाग सहित सभी भागीदारों को आपस में सार्थक समन्वय करते हुए बाल श्रम उन्मूलन हेतु प्रतिबद्ध रहना होगा।

जिलाधिकारी ने निदेश दिया कि जो बाल श्रमिक विमुक्त कराए जाते हैं उनका फॉलो-अप किया जाए ताकि वे पुनः बाल श्रम की ओर न लौटें। उनके पुनर्वास, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि सहायक निदेशक, बाल संरक्षण इकाई विमुक्त बाल एवं किशोर श्रमिकों के शैक्षणिक एवं आर्थिक पुनर्वास हेतु राज्य कार्य योजनान्तर्गत नोडल पदाधिकारी के रूप में नामित हैं। जिला बाल संरक्षण इकाई को निदेश दिया गया कि सीएलटीएस में दर्ज विमुक्त बच्चों की सूची के आधार पर उनके एवं उनके परिवार की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर सरकारी योजनाओं से जोड़ने का कार्य करेंगे।

जिलाधिकारी ने आम जनता से आह्वान किया कि बाल श्रम से संबंधित कोई भी सूचना या शिकायत  तुरंत दी जाए। जिला स्तर से इसपर त्वरित कार्रवाई की जाएगी। 

इस बैठक में श्रम अधीक्षक, पटना द्वारा जिला टास्क फोर्स के गठन, संरचना एवं उद्देश्यों से सदस्यों को अवगत कराया गया। 
श्रम अधीक्षक, पटना द्वारा चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम (सीएलटीएस) के बारे में बताया गया। उनके द्वारा बताया गया कि बाल श्रम से विमुक्त बच्चों के बारे में सभी प्रकार की सूचना, नियोजक के विरूद्ध की गयी कार्रवाई एवं पुनर्वासन संबंधी कृत कार्रवाई को ऑनलाईन पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। 

श्रम अधीक्षक द्वारा बाल श्रम उन्मूलन हेतु कृत कार्रवाई से संबंधित अद्यतन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। उन्होंने बताया कि श्रम संसाधन विभाग द्वारा नियमित रूप से धावा दल का संचालन किया जाता है एवं सघन अभियान चलाया जाता है। 01 अप्रैल, 2025 से अद्यतन पटना जिला के 46 बाल श्रमिकों को विमुक्त कराया गया है। विमुक्त कराए गए बाल श्रमिकों के नियोजकों के विरूद्ध बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की गई है। 

बैठक में श्रम अधीक्षक द्वारा बाल श्रम से संबंधित शिकायत दर्ज कराने हेतु उपलब्ध विभिन्न प्लेटफॉर्मों की जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि भारत सरकार का पेंसिल पोर्टल (PENCIL Portal), पुलिस विभाग तथा श्रम विभाग को बाल श्रम शिकायतों के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। श्रम अधीक्षक ने यह भी अवगत कराया कि धावादल  टीम द्वारा अब तक कुल 49 निरीक्षण में मुक्त कराए गए 46 बाल श्रमिकों के अतिरिक्त 8 बंधुआ श्रमिकों को भी मुक्त कराया गया है। 

ज़िलाधिकारी ने कहा कि जिला प्रशासन, पटना द्वारा बाल श्रम एवं बंधुआ श्रम के उन्मूलन हेतु निरंतर प्रभावी कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने सभी पदाधिकारियों को निदेश  दिया कि बाल श्रमिकों की विमुक्ति के अभियान को और सघन किया जाए।

बैठक में जिला पदाधिकारी ने सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा कोषांग को रेलवे स्टेशन के आसपास भिक्षावृत्ति में संलग्न बच्चों को तत्काल रेस्क्यू करने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने धावादल टीम को स्वतः संज्ञान लेते हुए छापेमारी करने का भी निर्देश दिया, ताकि बाल श्रम एवं बंधुआ श्रम की प्रभावी रोकथाम सुनिश्चित की जा सके।

ज़िलाधिकारी ने नगर निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों एवं श्रम अधीक्षक को होटल, ढाबा, चाय की दुकान, गैरेज सहित सभी संभाव्य स्थानों पर बाल श्रम के विरूद्ध विशेष अभियान चलाने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि आवश्यकतानुसार जिला नियंत्रण कक्ष से दंडाधिकारियों एवं पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी।  

ज़िलाधिकारी ने पटना जिला अंतर्गत बाल श्रम से विमुक्त एवं सीएलटीएस में दर्ज विमुक्त बच्चों को विमुक्ति पश्चात पुनर्वासित किए जाने से संबंधित अद्यतन प्रतिवेदन का जायजा लिया। श्रम अधीक्षक द्वारा प्रस्तुतिकरण के दौरान बताया गया कि पटना जिला से संबंधित कुल 46 जिसमें पटना जिला के 27 बाल श्रमिक थे एवं 19 अन्य जिलों से संबंधित थे जिन्हें विमुक्त कराया गया है। 24 विमुक्त बाल श्रमिकों को प्राथमिक पुनर्वास की राशि (प्रति विमुक्त बाल श्रमिक रुपये 3,000/-) उपलब्ध करायी गई है। मुख्यमंत्री राहत कोष से 7 बाल श्रमिकों के नाम से प्रति विमुक्त बाल श्रमिक रुपये 25,000/- की दर से सावधि जमा की गई है। 27 विमुक्त बाल श्रमिकों के लिए जिला बाल श्रमिक पुनर्वास-सह-कल्याण कोष में दोषी नियोजक के द्वारा 20,000/- रुपये प्रति बाल श्रमिक की दर से जमा किया गया है। 27 विमुक्त बाल श्रमिकों के लिए जिला बाल श्रमिक पुनर्वास-सह-कल्याण कोष में 5,000/- रुपये प्रति बाल श्रमिक की दर से जमा किया गया है। कुल 21 नियोजकों के विरुद्ध सर्टिफिकेट वाद दायर किया गया है। 
जिलाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला कल्याण पदाधिकारी को निदेश दिया कि विमुक्त बाल श्रमिकों को योजनाओं से आच्छादित करने के लिए कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि सभी विमुक्त बाल श्रमिकों का नियमित तौर पर फॉलो-अप किया जाए ताकि वे पुनः बाल श्रम की ओर न लौटें।

ज़िलाधिकारी ने कहा कि बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत बच्चों से कार्य कराना संज्ञेय अपराध है। साथ ही बाल श्रम संवैधानिक प्रावधानों यथा-अनुच्छेद 21ए(शिक्षा का अधिकार), अनुच्छेद 23, अनुच्छेद 24 एवं अनुच्छेद 39 का उल्लंघन भी है। उन्होंने नियमित रूप से धावा दल का संचालन करने का निदेश दिया। जिलाधिकारी ने विमुक्त बाल श्रमिकों के बारे में आंकड़ों को नियमित तौर पर अद्यतन करने का निदेश दिया। उन्होंने प्रखंड स्तर पर भी बाल श्रम उन्मूलन हेतु टास्क फोर्स का बैठक कराने एवं सघन अभियान चलाने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि दोषी नियोजकों के विरूद्ध यथाशीघ्र नियमानुकूल कार्रवाई कर दंडित किया जाय ताकि भविष्य में कभी बाल श्रम का नियोजन नहीं करे। 

जिलाधिकारी ने प्रखंड स्तरों  पर टास्क फोर्स की बैठक कराने एवं नियमित अंतराल पर इस टास्क फोर्स के माध्यम से बाल श्रम उन्मूलन कार्यक्रम का अनुश्रवण करने का निदेश दिया। उन्होंने श्रम अधीक्षक को सभी प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के साथ उन्मुखीकरण एवं संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित करने का निदेश दिया।

जिलाधिकारी ने विमुक्त बाल श्रमिकों का शत-प्रतिशत भौतिक सत्यापन कर मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रति विमुक्त बाल श्रमिक रुपये 25,000/- की दर से विमुक्त बाल श्रमिक के नाम से सावधि जमा की प्रक्रिया को त्वरित गति से पूर्ण करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि आवश्यकतानुसार आवंटन की अधियाचना कर लें।

जिलाधिकारी ने बाल श्रम से विमुक्त एवं सीएलटीएस में दर्ज विमुक्त बच्चों का शत-प्रतिशत भौतिक सत्यापन करने एवं प्राथमिक पुनर्वास राशि प्रति विमुक्त बाल श्रमिक रुपये 3,000/-, प्रति विमुक्त बाल श्रमिक रुपये 5,000/- की दर से जिला बाल श्रमिक पुनर्वास-सह-कल्याण कोष में जमा, दोषी नियोजक के द्वारा प्रति बाल श्रमिक रुपये 20,000/- की दर से जिला बाल श्रमिक पुनर्वास-सह-कल्याण कोष में जमा करने की प्रक्रिया को तत्परता से सम्पन्न करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि आवश्यकतानुसार आवंटन की अधियाचना कर लें। 

जिलाधिकारी ने जिला पंचायत राज कार्यालय  को निदेश दिया कि ग्राम पंचायतों से बाहर जाने वाले बच्चों एवं किशोरों तथा बाल एवं किशोर श्रमिकों से संबंधित पंचायत कार्यालय में रजिस्टर अद्यतन संधारित कराना सुनिश्चित करेंगे। बाल एवं किशोर श्रमिकों के नामांकन व उनके परिवार के पुनर्वास से संबंधित अद्यतन प्रविष्टि इसमें की जाएगी ताकि बच्चे पुनः काम पर वापस न लौटे । डीएम ने कहा कि त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के जन प्रतिनिधियों के बैठक एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में बाल श्रम उन्मूलन, विमुक्ति एवं पुनर्वास विषय को अनिवार्य रूप से शामिल कर गॉव-गॉव तक संवेदीकरण एवं जन-जागरूकता उत्पन्न की जाए।

जिलाधिकारी ने पात्रता रखने वाले बाल एवं किशोर श्रमिकों के परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर जन वितरण प्रणाली से जोड़ते हुए राशन कार्ड निर्गत करने का तथा उनके परिवार को प्राथमिकता के आधार पर मनरेगा के अंतर्गत जॉब कार्ड उपलब्ध कराने हेतु निदेश दिया।

जिलाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को निदेश दिया कि विमुक्त बाल एवं किशोर श्रमिकों को उच्च प्राथमिकता के आधार पर प्रारंभिक एवं बुनियादी शिक्षा उपलब्ध कराया जाए, उनका नामांकन विद्यालय में कराने तथा उनको मुफ्त पाठ्य पुस्तक मध्याह्न भोजन, छात्रवृति, साईकिल एवं पोशाक उपलब्ध कराया जाए। जिला कार्यक्रम समन्वयक, बिहार शिक्षा परियोजना, पटना को निदेश दिया कि श्रम संसाधन विभाग और समाज कल्याण विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर बाल श्रमिक सहित विद्यालय से बाहर रह गये बच्चों का सर्वेक्षण करना, साथ ही साथ विद्यालय से बाहर रह गये सभी बच्चों का विद्यालय में नामांकन करवाना सुनिश्चित करें। उन्होंने बच्चों को ब्रिजकोर्स से जोड़कर उनको मुख्य धारा में लाने का निदेश दिया। स्वास्थ्य विभाग को निदेश दिया गया कि विमुक्त बाल एवं किशोर श्रमिकों तथा उनके माता-पिता को प्राथमिकता के आधार पर निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने हेतु स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जाए।

ज़िलाधिकारी ने कहा कि बाल श्रम जैसे सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करने के लिए सघन जन-जागरूकता अभियान चलाने का आवश्यकता है। उन्होंने बाल श्रम उन्मूलन पर आधारित चलचित्रों एवं वृतचित्रों का प्रदर्शन करने का निदेश दिया। नियमित तौर पर जागरूकता अभियान चलाने एवं व्यापक प्रचार-प्रसार करने, किशोर श्रम के मुद्दों को लक्ष्य में रखकर प्रशिक्षण, सूचना, प्रचार-प्रसार अभियान के लिए संसाधन सामग्रियों, अद्यतन हस्तकों, यूजर मित्रवत मानक बुकलेट आदि का वितरण कराने का निदेश दिया।

जिलाधिकारी ने कहा कि जिन परिवारों के बच्चों को मजबूरन बाल श्रमिक बनने की सम्भावना है, उनपर ध्यान केन्द्रित करते हुए ऐसे परिवारों के बच्चे को चिन्हित करते हुए आईसीडीएस केन्द्रों में नामांकित करने की कार्रवाई की जाए। उन्होंने जिला कल्याण पदाधिकारी को निदेश दिया कि प्राथमिकता के आधार पर अर्हता प्राप्त कोटियों के बाल/किशोर श्रमिकों को किसी अन्य विद्यमान कल्याण योजनाओं के अधीन लाभ प्रदान करने हेतु आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करें।

जिलाधिकारी ने कहा कि बाल श्रम उन्मूलन, विमुक्ति एवं पुनर्वास हेतु सभी भागीदारों (स्टेक होल्डर्स) को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। 
इस बैठक में सहायक श्रम आयुक्त पटना, सिविल सर्जन, सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा, बाल कल्याण समिति (CWC) के सदस्य, जिला कल्याण पदाधिकारी सहित जिला टास्क फोर्स के अन्य सदस्य उपस्थित थे।

इस बैठक के बाद जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बंधुआ मजदूरी प्रथा उन्मूलन अधिनियम, 1976 के तहत जिला निगरानी समिति की बैठक हुई। सभी स्टेकहोल्डर्स को अधिनियम का अक्षरशः अनुपालन करने का निदेश दिया गया।


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