कृषि अनुसंधान परिसर, पटना में विश्व मृदा दिवस का आयोजन
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में विश्व मृदा दिवस मनाया गया, जिसका उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य तथा सतत कृषि पद्धतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना था।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक ने पूर्वी भारत में मृदा क्षरण, जैविक पदार्थों की कमी तथा पोषक तत्व असंतुलन जैसी बढ़ती चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह रेखांकित किया कि भूमि क्षरण को रोकने एवं कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक हस्तक्षेपों के साथ-साथ किसानों में जागरूकता बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है।
किसानों को संबोधित करते हुए डॉ. आशुतोष उपाध्याय, प्रमुख, भूमि एवं जल प्रबंधन प्रभाग ने मृदा संरक्षण, समेकित पोषक तत्व प्रबंधन, कार्बन संचयन तथा मृदा देखभाल हेतु डिजिटल उपकरणों के उपयोग से संबंधित विभिन्न रणनीतियों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने संरक्षण कृषि के महत्व पर भी बल दिया, जो मृदा संरचना सुधारने तथा जल उपयोग दक्षता बढ़ाने में सहायक है।
कार्यक्रम के अंतर्गत किसानों के साथ एक विशेष संवाद सत्र आयोजित किया गया, जिसमें मृदा नमूना संग्रह एवं परीक्षण की वैज्ञानिक तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। इन प्रदर्शनों से किसानों को मृदा स्वास्थ्य के आकलन संबंधी प्रक्रियाओं को व्यावहारिक रूप से समझने में महत्वपूर्ण सहायता मिली। संवाद के दौरान किसानों ने मृदा उर्वरता बढ़ाने के प्रभावी उपायों जैसे हरित खाद का उपयोग, फसल अवशेष प्रबंधन तथा सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की और अपने अनुभव साझा किए। डॉ. कीर्ति सौरभ, वैज्ञानिक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ |
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