राष्ट्रीय पत्रकार सुरक्षा आयोग में शामिल हुए पत्रकारिता, प्रसारण और सिनेमा के सशक्त हस्ताक्षर - “डॉ. वारिस अहमद खान”

राष्ट्रीय पत्रकार सुरक्षा आयोग में शामिल हुए पत्रकारिता, प्रसारण और सिनेमा के सशक्त हस्ताक्षर - “डॉ. वारिस अहमद खान”

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 28 दिसम्बर, 2025 :: 

राष्ट्रीय पत्रकार सुरक्षा आयोग के लिए यह गर्व का विषय है कि आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष निशिकांत राय की सहमति से डॉ. प्रो. निशा सिंह द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार डॉ. वारिस अहमद खान को राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य नियुक्त किया गया है। आयोग को न केवल उनसे आशा है, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि वे संगठन को और अधिक सशक्त बनाने में पत्रकारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करेंगे। उनकी यह नियुक्ति मीडिया जगत के अनुभव, ईमानदारी और रचनात्मकता को संस्थागत मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारतीय मीडिया, रेडियो और सिनेमा जगत में जिन व्यक्तित्वों ने पेशेवर उत्कृष्टता के साथ सांस्कृतिक संवेदनशीलता को साधा है, उनमें डॉ. वारिस अहमद खान का नाम विशेष सम्मान से लिया जाता है। वे वर्तमान में “अबान फिल्म्स” (Abaan Films) के निदेशक हैं और साथ ही “इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर” के आजीवन सदस्य भी हैं। यह उनकी सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक दायित्वबोध को दर्शाता है।

डॉ. वारिस अहमद खान ने भारत सरकार के प्रतिष्ठित संस्थान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रोडक्शन सेंटर में उप-निदेशक के रूप में लंबी और महत्वपूर्ण सेवाएं दी हैं। इस दौरान उन्होंने शैक्षणिक प्रसारण, मीडिया प्रशिक्षण और प्रोडक्शन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनके प्रयासों से शैक्षणिक मीडिया को नई दिशा और गुणवत्ता मिली है।
प्रसारण जगत में डॉ. खान का अनुभव अत्यंत समृद्ध रहा है। वे “वॉयस ऑफ अमेरिका” (Voice of America), नई दिल्ली में एंकर/ब्रॉडकास्टर के रूप में कार्य कर चुके हैं, जहाँ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय दृष्टिकोण और सामाजिक सरोकारों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया था। इसके साथ ही वे आकाशवाणी (All India Radio), नई दिल्ली में समाचार वाचक भी रहे हैं। उनकी सधी हुई आवाज और संतुलित प्रस्तुति शैली ने श्रोताओं के बीच उन्हें एक विश्वसनीय पहचान दिलाई है।

डॉ. वारिस अहमद खान एक सशक्त और संवेदनशील लेखक भी हैं। उन्होंने दो दर्जन से अधिक रेडियो नाटक लिखे हैं, जो आकाशवाणी, नई दिल्ली से प्रसारित हो चुका है। ये नाटक सामाजिक यथार्थ, मानवीय संवेदनाओं और संवाद की गहराई के लिए जाना जाता है। उनके रेडियो नाटकों के संग्रह पर आधारित दो पुस्तकें वर्तमान में बाजार में उपलब्ध हैं, जो रेडियो साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जाता है। 

फिल्म माध्यम में भी डॉ. खान ने अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने 10 शॉर्ट फीचर फिल्मों का निर्देशन और निर्माण किया है। इन फिल्मों में कथ्य की स्पष्टता, विषय की गंभीरता और दृश्य भाषा की परिपक्वता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ समाज के अनकहे सवालों को संवेदनशीलता के साथ सामने लाती हैं।
डॉ. वारिस अहमद खान का जीवन और कार्य पत्रकारिता, प्रसारण, साहित्य और सिनेमा, चारों क्षेत्रों में समर्पण, सृजनशीलता और जिम्मेदारी का उदाहरण है। राष्ट्रीय पत्रकार सुरक्षा आयोग में उनकी भूमिका निश्चित रूप से संगठन को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान करेगी।
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